चुनावी बॉन्ड पर फैसले से वोट की ताकत मजबूत होगी : कांग्रेस

नयी दिल्ली,  कांग्रेस ने चुनावी बॉन्ड योजना पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि यह निर्णय नोट के मुकाबले वोट की ताकत को और मजबूत करेगा तथा उम्मीद की जाती है कि सरकार अब ऐसे ‘शरारतपूर्ण’ विचारों का सहारा लेना बंद करेगी।

पार्टी ने साथ ही यह आरोप भी लगाया कि इस फैसले से इस बात पर मुहर लग गई है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने चुनावी बॉण्ड को रिश्वत और कमीशन लेने का माध्यम बना दिया था।

उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया और कहा कि यह संविधान प्रदत्त सूचना के अधिकार और बोलने तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करता है।

इस फैसले में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को छह वर्ष पुरानी योजना में दान देने वालों के नामों की जानकारी निर्वाचन आयोग को देने के निर्देश दिए गए हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘चुनावी बॉन्ड योजना की शुरुआत के दिन कांग्रेस पार्टी ने इसे अपारदर्शी और अलोकतांत्रिक बताया था। इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने अपने 2019 के घोषणापत्र में मोदी सरकार की इस संदिग्ध योजना को खत्म करने का वादा किया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम आज उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हैं जिसने मोदी सरकार की इस ‘‘काला धन रूपांतरण’ योजना को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया है। हमें याद है कि कैसे मोदी सरकार, पीएमओ और वित्त मंत्रालय ने भाजपा का खजाना भरने के लिए हर संस्थान – आरबीआई, चुनाव आयोग, संसद और विपक्ष पर बुलडोजर चला दिया था।’’

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि इस योजना के तहत 95 प्रतिशत चंदा भाजपा को मिला।’’

उनका कहना था, ‘‘हमें उम्मीद है कि मोदी सरकार भविष्य में ऐसे शरारतपूर्ण विचारों का सहारा लेना बंद कर देगी और उच्चतम न्यायालय की बात सुनेगी ताकि लोकतंत्र, पारदर्शिता और समान अवसर कायम रहे।’’

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि भाजपा ने चुनावी बॉण्ड को रिश्वत और कमीशन लेने का माध्यम बना दिया था।



उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘नरेन्द्र मोदी की भ्रष्ट नीतियों का एक और सबूत आपके सामने है। भाजपा ने चुनावी बॉण्ड को रिश्वत और कमीशन लेने का माध्यम बना दिया था। आज इस बात पर मुहर लग गई है।’’

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने मोदी सरकार की बहुप्रचारित चुनावी बॉन्ड योजना को संसद द्वारा पारित कानूनों के साथ-साथ भारत के संविधान दोनों का उल्लंघन माना है। लंबे समय से प्रतीक्षित फैसला बेहद स्वागत योग्य है और यह नोट पर वोट की शक्ति को मजबूत करेगा।’’

उन्होंने किसानों के ‘दिल्ली मार्च’ आंदोलन की पृष्ठभूमि में आरोप लगाया कि मोदी सरकार ‘चंदादाताओं’ को विशेषाधिकार देते हुए अन्नदाताओं पर हर तरह का अत्याचार कर रही है।

रमेश ने कहा, ‘‘हमें यह भी उम्मीद है कि उच्चतम न्यायालय इस बात पर ध्यान देगा कि चुनाव आयोग लगातार वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) के मुद्दे पर राजनीतिक दलों से मिलने से भी इनकार कर रहा है। यदि मतदान प्रक्रिया में सब कुछ पारदर्शी है तो फिर इतनी जिद क्यों?”

उन्होंने आरोप लगाया कि आज उच्चतम न्यायालय ने साबित कर दिया है कि मोदी सरकार ‘सूट-बूट-झूठ-लूट की सरकार’ है।

कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘कांग्रेस पार्टी न्यायालय के इस फैसले का स्वागत करती है और मांग करती है कि एसबीआई तमाम जानकारी सार्वजनिक पटल पर रखे, जिससे जनता को मालूम पड़े कि किसने कितना पैसा दिया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह योजना मोदी सरकार ‘मनी बिल’ के तौर पर लाई थी, ताकि राज्यसभा में इसपर चर्चा न हो, यह सीधा पारित हो जाए। हमें डर है कि कहीं फिर से कोई अध्यादेश जारी न हो जाए और मोदी सरकार उच्चतम न्यायालय के इस फैसले से बच जाए। ’’

उन्होंने सवाल किया कि क्या इस ‘घोटाले’ की जांच के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को लगाया जाएगा?

खेड़ा ने आरोप लगाया, ‘‘चुनावी बॉन्ड योजना भ्रष्टाचार का मामला है, जिसमें सीधे-सीधे प्रधानमंत्री शामिल हैं। देश पर चुनावी बॉन्ड को थोपा गया, जबकि चुनाव आयोग, वित्त मंत्रालय और कानून मंत्रालय के अधिकारियों ने विरोध किया था। आज प्रधानमंत्री और उनका भ्रष्टाचार बेनकाब हो गया है।’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘प्रधानमंत्री ने धन विधेयक लाकर इसे कानूनी जामा पहनाया था, ताकि विधायक खरीदे जा सकें, मित्रों को कोयले की खदान, हवाई अड्डे दिए जा सकें।’’