सोनिया गांधी की राज्यसभा उम्मीदवारी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की ‘आसन्न हार’ की स्वीकारोक्ति: भाजपा

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नयी दिल्ली,  भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बुधवार को कहा कि कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी का राज्यसभा का विकल्प चुनना आगामी लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी की ‘आसन्न हार’ की स्वीकारोक्ति है।

राजस्थान से आगामी राज्यसभा चुनाव के लिए सोनिया गांधी के जयपुर में नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद भाजपा की यह प्रतिक्रिया आई है।

विधानसभा भवन में नामांकन दाखिल करते समय उनके साथ राहुल गांधी और प्रियंका गांधी, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और विपक्ष के नेता टीकाराम जोली मौजूद थे।

इस घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए भाजपा के आईटी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘अमेठी में कांग्रेस की करारी हार के बाद, रायबरेली की बारी थी। राज्यसभा का विकल्प चुनने का सोनिया गांधी का निर्णय एक आसन्न हार की स्वीकारोक्ति है।’’

मालवीय ने कहा कि गांधी परिवार ने अब ‘अपने कथित गढ़’ छोड़ दिए हैं क्योंकि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने परिवार के गढ़ रायबरेली से लोकसभा चुनाव लड़ने के बजाय राज्यसभा की राह अपनाने का फैसला किया है।

भाजपा नेता ने कहा, ‘‘समाजवादी पार्टी (सपा) द्वारा 11 सीट की पेशकश किए जाने के बावजूद कांग्रेस उत्तर प्रदेश में एक भी सीट जीत नहीं सकेगी।’’

राजस्थान में राज्यसभा की तीन में से एक सीट पर कांग्रेस आसानी से जीत दर्ज कर लेगी। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अप्रैल में अपना छह साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद यह सीट खाली हो रही है।

लोकसभा सदस्य के रूप में पांच कार्यकाल पूरे करने के बाद उच्च सदन में सोनिया गांधी का यह पहला कार्यकाल होगा।

रायबरेली लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाली 77 वर्षीय सोनिया गांधी पहली बार 1999 में कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद वहां से सांसद चुनी गई थीं। सोनिया गांधी ने 2019 में घोषणा की थी कि यह उनका आखिरी लोकसभा चुनाव होगा।

वह पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बाद राज्यसभा में प्रवेश करने वाली गांधी परिवार की दूसरी सदस्य होंगी। इंदिरा गांधाी अगस्त 1964 से फरवरी 1967 तक उच्च सदन की सदस्य थीं।