धर्मशाला (हिप्र), 28 नवंबर (भाषा) हिमाचल प्रदेश के कृषि मंत्री चंद्र कुमार ने शुक्रवार को कहा कि आवारा पशुओं का मुद्दा हमारी सभ्यता और संस्कृति का उपहार है, हालांकि उन्होंने इसके समाधान के लिए राज्य की वन भूमि के उपयोग से इनकार कर दिया।
वह विधानसभा में गैर सरकारी कामकाज के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक सुखराम चौधरी के प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब दे रहे थे। मंत्री ने कहा कि इस समस्या के लिए “पूरा समाज” जिम्मेदार है।
चौधरी ने वन विभाग की अनुमति से राज्य के सभी 68 विधानसभा क्षेत्रों में वन भूमि पर गौशालाएं बनाने का प्रस्ताव रखा था।
उन्होंने कहा कि आवारा पशुओं की समस्या के कारण बड़ी संख्या में किसानों ने खेती छोड़ दी है।
हालांकि, मंत्री के जवाब के बाद उन्होंने अपना निजी प्रस्ताव वापस ले लिया।
कुमार ने सदन को बताया कि सरकार के पास राज्य के सभी आवारा पशुओं को रखने के लिए पर्याप्त साधन नहीं हैं और इस समस्या का “एकमात्र समाधान” जागरूकता है।
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सरकार इस समस्या के समाधान के लिए आवारा पशुओं के लिए जंगल नहीं खोल सकती।
मंत्री ने सभी विधायकों से अपने निर्वाचन क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाने की अपील की ताकि लोग घर पर ही पशु पाल सकें।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में राज्य की गौशालाओं में 21,360 पशुओं को रखने की क्षमता है, लेकिन ऐसी और अधिक गौशालाएं खोलना इस समस्या का समाधान नहीं है। उन्होंने बड़ी संख्या में निजी क्षेत्र के गौशालाओं के विचार को भी खारिज कर दिया।
कुमार ने कहा, “लोग अक्सर पैसा कमाने के लिए इन्हें खोलते हैं।”