बांध बनाना अब व्यावहारिक और दीर्घकालिक समाधान नहीं रहा : जलशक्ति मंत्री पाटिल

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नयी दिल्ली, 28 नवंबर (भाषा) केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी आर पाटिल ने शुक्रवार को कहा कि उच्च लागत, भूमि अधिग्रहण की बाधाओं और नदी के घटते प्रवाह के कारण जल प्रबंधन के लिए नए बांध बनाना अब व्यावहारिक और दीर्घकालिक समाधान नहीं रह गया है।

मंत्री ने राज्यों से संरक्षण के लिए केंद्र के प्रयासों में सहयोग करने का आग्रह किया तथा सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता को रेखांकित किया।

पाटिल ने जल शक्ति मंत्रालय के ‘सुजलाम भारत विजन’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय शिखर सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर कहा, ‘‘हम सभी जानते हैं कि जल जीवन देता है, लेकिन जब हम इसका प्रबंधन करने में विफल रहते हैं, तो यह विनाश भी लाता है।’’

उन्होंने रेखांकित किया कि भारत में विश्व की 18 प्रतिशत आबादी और पशुधन निवास करते हैं ,जबकि वैश्विक मीठे जल संसाधनों तक इसकी पहुंच मात्र चार प्रतिशत है।

पाटिल ने कहा, ‘‘हमें हर पल पानी की जरूरत होती है, लेकिन हम इसका उचित प्रबंधन नहीं कर पाए हैं।’’

उन्होंने नये बांधों के निर्माण में आने वाली कठिनाइयों को रेखांकित करते हुए कहा, ‘‘हमारे पास 6,500 से अधिक बांध हैं, लेकिन हम अब भी केवल लगभग 750 बीसीएम (अरब घन मीटर) पानी का ही भंडारण कर पाते हैं। एक बांध बनाने में 25 वर्ष और 25,000 करोड़ रुपये लगते हैं। क्या हमारे पास इतना समय है? क्या हमारे पास इतना पैसा है?’’

पाटिल ने कहा कि उच्च लागत, भूमि अधिग्रहण संबंधी बाधाएं और नदी प्रवाह में कमी, बांध आधारित जल भंडारण रणनीति को आगे बढ़ाने में प्रमुख बाधाएं हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार ने ‘जल संचय जन भागीदारी’ (जेएसजेबी) पहल और जल शक्ति अभियान के माध्यम से बड़े पैमाने पर जल संरक्षण, सामुदायिक भागीदारी और भूजल पुनर्भरण पर ध्यान केंद्रित किया है।

मंत्री ने जेएसजेबी संरचनाओं के ‘तेजी से विस्तार’ को रेखांकित करते हुए नागरिकों को ‘प्रधानमंत्री के शब्दों को जमीन पर उतारने’ श्रेय दिया।

पाटिल ने कहा, ‘‘पहले 10 महीनों में 10 लाख संरचनाओं के लक्ष्य के मुकाबले लोगों ने 27.5 लाख संरचनाएं बनाईं।’’ उन्होंने कहा कि इस वर्ष का लक्ष्य एक करोड़ संरचनाएं बनाना है।

पाटिल ने समुदाय नीत प्रयासों के प्रभाव को समझाने के लिए गुजरात और राजस्थान के उदाहरण भी दिए। उन्होंने बताया कि बनासकांठा में, गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) वंतारा और स्थानीय किसानों ने 30,000 पुनर्भरण संरचनाओं के निर्माण में मदद की, जिससे सूख रहे कुओं को पुनर्जीवित किया गया।

पाटिल ने कहा, ‘‘सरकार अकेले ऐसा नहीं कर सकती। जल केवल राज्य का विषय नहीं है, बल्कि यह हम सबकी जिम्मेदारी है।’’

जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने कहा कि भारत में मौजूदा भूजल स्थिति के मद्देनजर तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है, क्योंकि लगभग 29 प्रतिशत इलाके ‘अति-दोहित’ या ‘गंभीर’ श्रेणी में आते हैं।

चौधरी ने कहा कि ‘कैच द रेन’ अभियान ने ‘असाधारण परिणाम’ दिए हैं। उन्होंने 2019 से अबतक 1.94 करोड़ जल-संबंधी कार्यों और चार करोड़ से अधिक युवाओं को संगठित करने का हवाला दिया।

जल शक्ति राज्य मंत्री वी. सोमन्ना ने कहा कि भारत को दीर्घकालिक जल सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पारंपरिक ज्ञान को तकनीकी समाधानों के साथ जोड़ना होगा।

उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत अब 82 प्रतिशत ग्रामीण घरों में नल का जल उपलब्ध है और स्वच्छ भारत मिशन के तहत छह लाख गांव खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं।

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