मोदी ने स्काईरूट के रॉकेट का अनावरण किया, नयी प्रौद्योगिकी तैयार करने के लिए ‘जेन जेड’ की सराहना की

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हैदराबाद, 27 नवंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को अंतरिक्ष स्टार्टअप ‘स्काईरूट’ के पहले ‘ऑर्बिटल रॉकेट’ का अनावरण किया और नयी प्रौद्योगिकियां तैयार करने के लिए ‘जेन जेड’ पेशेवरों की सराहना की।

प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हैदराबाद में ‘स्काईरूट इन्फिनिटी कैंपस’ का उद्घाटन किया। कंपनी का ‘आर्बिटल रॉकेट विक्रम-1’ उपग्रहों को कक्षा में स्थापित कर सकेगा।

उन्होंने कहा कि ‘जेन जेड’ इंजीनियर, डिजाइनर, कोडर और वैज्ञानिक नयी प्रौद्योगिकियां तैयार कर रहे हैं।

‘जेन जेड’ पीढ़ी का तात्पर्य उन लोगों से है जिनका जन्म 1997 और 2012 के बीच हुआ।

अपने संबोधन में, प्रधानमंत्री ने सरकार के ‘ऐतिहासिक’ अंतरिक्ष सुधारों को रेखांकित किया और कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोलने के परिणामस्वरूप स्काईरूट और अन्य इकाइयां इस तरह के नवाचारों के साथ सामने आई हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्तमान में भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी क्षेत्र तेज़ी से उभर रहा है। उन्होंने कहा कि 300 से ज़्यादा अंतरिक्ष स्टार्टअप इस क्षेत्र को नयी उम्मीदें दे रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘इन्फिनिटी कैंपस भारत की नयी सोच, नवाचार और विशाल युवा शक्ति का प्रतिबिंब है। युवाओं का नवाचार, जोखिम उठाने की क्षमता और उद्यमिता नयी ऊंचाइयों को छू रही है।’’

मोदी ने कहा, ‘‘भारत की निजी अंतरिक्ष प्रतिभा दुनिया में अपनी अलग पहचान बना रही है। भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र वैश्विक निवेशकों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बन रहा है। दुनिया में छोटे उपग्रहों की मांग तेज़ी से बढ़ रही है।’’

उन्होंने कहा कि साइकिल पर रॉकेट के पुर्जे ढोने से लेकर दुनिया के सबसे विश्वसनीय प्रक्षेपण यान विकसित करने तक, भारत ने साबित कर दिया है कि सपनों की ऊंचाई संसाधनों से नहीं, बल्कि दृढ़ संकल्प से तय होती है।

उन्होंने बदलते समय के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र का विस्तार स्पष्ट है, क्योंकि यह संचार, कृषि, समुद्री निगरानी, ​​शहरी योजना, मौसम पूर्वानुमान और राष्ट्रीय सुरक्षा का आधार बन गया है।

उन्होंने कहा कि यही कारण है कि भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार किये गए, सरकार ने इसे निजी नवाचार के लिए खोल दिया और एक नयी अंतरिक्ष नीति तैयार की तथा स्टार्टअप उद्यमों और उद्योगों को नवाचार से जोड़ने के प्रयास किये गए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि परमाणु क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोलने की भी योजनाएं हैं।

स्काईरूट इन्फिनिटी कैम्पस एक अत्याधुनिक केंद्र है, जिसमें लगभग 2,00,000 वर्ग फुट का कार्यक्षेत्र है और बहु-प्रक्षेपण यान के डिजाइन, विकास, एकीकरण और परीक्षण के लिए हर महीने एक आर्बिटल रॉकेट बनाने में सक्षम है।

स्काईरूट भारत की अग्रणी निजी अंतरिक्ष कंपनी है, जिसकी स्थापना पवन चंदना और भरत ढाका ने की है, जो भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) के पूर्व-छात्र, इसरो के पूर्व वैज्ञानिक और अब उद्यमी हैं।

नवंबर 2022 में, स्काईरूट ने अपना सब-ऑर्बिटल रॉकेट, विक्रम-एस का प्रक्षेपण किया, जिससे वह अंतरिक्ष में रॉकेट लॉन्च करने वाली पहली भारतीय निजी कंपनी बन गई।

अपने संबोधन में, मोदी ने इस बात का जिक्र किया कि भारत की अंतरिक्ष यात्रा सीमित संसाधनों के साथ शुरू हुई थी, लेकिन देश की महत्वाकांक्षाएं कभी सीमित नहीं रहीं।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘इसरो ने दशकों से भारत की अंतरिक्ष यात्रा को नये पंख दिए हैं। उन्‍होंने इस बात पर जोर दिया कि विश्वसनीयता, क्षमता और मूल्य (वैल्यू) ने इस क्षेत्र में भारत की विशिष्ट पहचान स्थापित की है।’’

उन्होंने कहा कि केवल पिछले छह से सात वर्षों में, भारत ने अपने अंतरिक्ष क्षेत्र को एक खुले, सहकारी और नवाचार-संचालित ‘इको-सिस्‍टम’ में बदल दिया है।

उन्होंने कहा कि भारत के युवा हमेशा राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखते हैं और हर अवसर का सर्वोत्तम इस्‍तेमाल करते हैं।

मोदी ने कहा कि जब सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र को खोला, तो देश के युवा, विशेषकर ‘जेन-जेड’ पीढ़ी, इसका पूरा लाभ उठाने के लिए आगे आए।

उन्होंने कहा, ‘‘आज 300 से अधिक अंतरिक्ष स्टार्टअप भारत के अंतरिक्ष भविष्य को नयी उम्मीदें दे रहे हैं। इनमें से अधिकतर स्टार्टअप छोटी-छोटी टीम, कभी दो लोग, कभी पांच लोग, कभी किराये के एक छोटे से कमरे में सीमित संसाधनों के साथ, लेकिन नयी ऊंचाइयों तक पहुंचने के दृढ़ संकल्प के साथ शुरू हुए थे।’’ उन्होंने कहा कि इसी भावना ने भारत में निजी अंतरिक्ष क्रांति को जन्म दिया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के पास अंतरिक्ष क्षेत्र की ऐसी क्षमताएं हैं जो दुनिया में कुछ ही देशों के पास हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इसकी अंतरिक्ष क्षमता किफायती और विश्वसनीय, दोनों है और यही वजह है कि दुनिया को देश (भारत) से काफी उम्मीदें हैं।

उन्होंने कहा कि वैश्विक कंपनियां भारत में उपग्रहों का निर्माण करना चाहती हैं, प्रक्षेपण सेवाएं प्राप्त करना चाहती हैं तथा प्रौद्योगिकी साझेदारी चाहती हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्र को इस अवसर का अधिकतम लाभ उठाना चाहिए।

उन्होंने रेखांकित किया कि पिछले एक दशक में फिनटेक, एग्रीटेक, हेल्थटेक, क्लाइमेटटेक, एडुटेक और डिफेंसटेक जैसे विविध क्षेत्रों में स्टार्टअप की एक नयी लहर उभरी है, जिसमें भारत के युवा, विशेष रूप से ‘जेन जेड’ पीढ़ी, हर क्षेत्र में अभिनव समाधान प्रदान कर रहे हैं।

मोदी ने कहा कि छात्रों में अनुसंधान और नवाचार की भावना पैदा करने के लिए 10,000 से अधिक ‘अटल टिंकरिंग लैब’ पहले ही स्थापित की जा चुकी हैं और आने वाले दिनों में 50,000 नयी प्रयोगशालाएं स्थापित करने का कार्य जारी है।

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