गाजर जमीन के अंदर उगने वाला कन्द है। इसकी मूसला जड़ें जमीन से खाद्य पदार्थ संग्रह करके कन्द के रूप में रूपान्तरित हो जाती हैं। यह शीत ऋतु का सस्ता, सुलभ और गुणकारी आहार है। यदि शीत ऋतु में इसका नियमित सेवन किया जाये तो अनेकों रोगों से हमारी रक्षा होगी तथा शारीरिक सौन्दर्य भी बढ़ेगा। इस गुणकारी आहार के कुछ चमत्कारिक उपयोग नीचे दिए जा रहे हैं- गाजर में फाइबर प्रचुर मात्रा में होता है जो आंतों को साफ करता है। यदि नियमित रूप से गाजर चबा चबाकर खाई जाये तो कब्ज़ तथा आंतों में सड़न से छुटकारा मिलता है। आंतों से मल निकल कर आंतें साफ हो जाती हैं। गाजर विटामिन ‘ए‘ का भंडार है। इसे नियमित रूप से सेवन किया जाय तो आंखों की ज्योति बढ़ती है। चश्मा उतर जाता है। गाजर नित्य चबाकर खाने या उसका रस पीने से बवासीर दूर होती है। प्रतिदिन एक गिलास गाजर का रस पिया जाये तो स्मरण शक्ति बढ़ती है तथा असमय बुढ़ापा नहीं आता। रोज एक गाजर खाने से मूत्रा संस्थान की पथरी में लाभ मिलता है। मूत्रावरोध दूर होकर पेशाब खुलकर आता है। इसके सेवन से बुढ़ापे की कमजोरी दूर होकर शरीर में शक्ति बढ़ती है। इसका रस पीने से पोलियो के रोगी को लाभ मिलता है। मुंह में छाले होने पर गाजर का रस मुंह में घुमा कर फिर पिएं। छाले शीघ्र ठीक हो जाएंगे। त यदि प्रसूता का दूध कम हो रहा हो तो उसे रोज गाजर का खूब सेवन कराना चाहिए। इससे दूध की मात्रा बढ़ जाएगी। गाजर के रस में मिश्री एवं काली मिर्च मिलाकर सेवन करने से खांसी एवं कफ दूर होता है। गाजर में विटामिन ‘बी‘ ‘कॉम्पलेक्स भरपूर मात्रा में होता है। इससे पाचन संस्थान मजबूत बनता है। बच्चों को इसका रस सेवन कराने से वे तन्दुरूस्त व स्वस्थ होते हैं। गाजर के सेवन से मानसिक और शारीरिक शक्ति मिलती है। जीवन में नई उमंग का संचार होता है। गाजर रक्त को शुद्ध करती है। रक्त की अम्लता और क्षारीयता के अनुपात को संतुलित रखती है जिससे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता की वृद्धि होती है। चेहरे पर गाजर का रस लगाने से त्वचा का रंग निखरता है। रूई के फाहे से चेहरे और गर्दन पर गाजर का रस लगाएं तथा 20 मिनट बाद ठंडे जल से चेहरा धो डालें। इससे त्वचा पर निखार आएगा। हमेशा ताजी और गहरे रंग की गाजर उपयोग में लानी चाहिए। रस के साथ बर्फ का प्रयोग नहीं करना चाहिए लेकिन शहद, आंवला, अदरक, काली मिर्च तथा सेंधा नमक का प्रयोग किया जा सकता है।