ठिठुरता वासंती मौसम और किशोरियां

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सेतु जैन
किशोरियां बरसात के मौसम से हुई परेशानियों से निवृत्त नहीं हो पाती कि ठिठुरता जाड़ा उनके स्वास्थ्य पर हमला बोल देता है। एक तरफ सुर्ख लाल होती नाक मौसम के बदलाव को झेल न पाने का इशारा करती है तो दूसरी तरफ त्वचा एवं सौंदर्य की दृष्टि से भी ठंड का मौसम समस्याप्रद ही होता है।
सर्दी के मौसम में त्वचा बुझी-बुझी सी, रूखी एवं बेजान सी लगने लगती है। इन सभी के पीछे अनेक वजह होती हैं जैसे शीत लहर का हानिकारक प्रभाव। दूसरे ठंड से बचने के लिए किशोरियां अक्सर धूप का सेवन करती हैं पर तेज धूप का सेवन त्वचा के लिए हानिकारक होता है, हां कुनकुनी धूप अवश्य शरीर के लिए स्वास्थ्यप्रद होती है।
अगर जाड़ा प्रारंभ होने के साथ-साथ स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर विचारविमर्श कर सावधानी बरती जाए तो जाड़ों का मौसम वर्ष का सब से हसीन, खुशगवार और मदमस्त करने वाला मौसम हो सकता है।
जाड़ों का मौसम कौन-कौन सी परेशानियां लेकर आता है जिससे किशोरियां परेशान होती हैं? जैसे प्रश्नों के साथ में सौंदर्य विशेषज्ञा निकी बावा से मिली।
निकी बावा ने बताया, ‘इस मौसम में सब से बड़ी समस्या ओेवरवेट (वजन का बढ़ना) की होती है। किशोरियां और युवतियां अपने बढ़ते वजन को लेकर परेशान हो जाती हैं और एक के बाद एक प्रश्न पूछने लगती हैं, जैसे क्या करना चाहिए जिससे कि हमारा वजन न बढ़े? तब मैं उन्हें बताती हूं कि जाड़े के मौसम में त्यौहारों की भरमार रहती है। युवतियां खानपान पर नियंत्राण नहीं कर पाती और वजन बढ़ा लेती हैं।
जाड़े के मौसम में वैसे तो हर तरह का भोजन युवतियां खा सकती है क्योंकि इस मौसम में भारी से भारी भोजन पचाने की ताकत शरीर में उत्पन्न हो जाती है, फिर भी स्वास्थ्य की दृष्टि से भोजन पर नियंत्राण आवश्यक होता है। इस के लिये युवतियों को चाहिए कि डाइटचार्ट बना लें। संतुलित भोजन जिस में पर्याप्त मात्रा में विटामिन, मिनरल, प्रोटीन, कैल्शियम और कार्बोहाइड्रेट हों, ही करना चाहिए, कोशिश तो यही करनी चाहिए कि कच्ची सब्जियां सलाद के रूप में अधिक से अधिक खाई जाएं। जिन युवतियों को सलाद से परहेज हो, वे सूप ले सकती हैं।
इस मौसम में फलों की भी भरमार होती है। अब यह आप की इच्छा पर है कि चाहें तो फल खाएं या फिर जूस बना कर लें पर साबुत फल खाना सेहत के लिए बेहतर होता है । इसी प्रकार दूध का सेवन तो करें मगर मलाई निकाल कर। दही का सेवन अवश्य करना चाहिए लेकिन मीठा नहीं, पोदीना, जीरा व नमक डाल कर। साग भाजी कोई भी हो, सभी पोटेशियम परमैगनेट वाले पानी से अच्छी तरह धो कर बनाएं और खाएं। पार्टी या वैवाहिक समारोह में जाती हैं तो खुशी-खुशी सब कुछ खाएं क्योंकि रिच फूड खाने से स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव नहीं पड़ता।
इसी प्रकार अगर कोई मिठाई, केक, पेस्ट्री आदि खाने की इच्छा बलवती हो जाए तो मन को मारना नहीं चाहिए। हां, खाते समय मात्रा का ख्याल अवश्य ही रखना चाहिए। जितना कम खाया जाए, उतना सेहत के लिए अच्छा होता है। मन को मारना, तनाव को जन्म देगा। किशोरावस्था में तनाव का क्या काम? इससे किशोरियां दूर रहें तो स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है वरना एक बार डिप्रेशन आ जाए तो ठीक होना मुश्किल होता है।
इसके अलावा इस उम्र में वाकिंग के अलावा व्यायाम भी करना चाहिए जो बढ़ते मोटापे को नियंत्रित रखने में सहायक होता है। बाडी मसाज के लिए मसाज तेल हो तो सब से अच्छा अन्यथा तिल या सरसों के तेल से भी मसाज कर सकती हैं। इससे त्वचा में लावण्य बरकरार रहता है। त्वचा फटती नहीं बल्कि स्निग्ध बनी रहती है।
ओवरवेट के अलावा एडि़यां और होंठ फटने की शिकायत इन दिनों काफी रहती है, तब क्या करना चाहिए? पूछने पर वह बोली, ऐसे में शक्कर एवं कार्बोहाइड्रेट वाले पदार्थों का  कम से कम सेवन करना चाहिए। फैट एवं स्वीट फ्री व्यंजनों का सेवन अधिक से अधिक सेवन करें। सप्ताह में कम से कम 1 बार पेडिक्योर, मेनिक्योर करें। नियमित रूप से झांबे या प्यूमिक स्टोन से रगड़ कर एडि़यां, कुहनियां साफ करें। फिर स्नान कर के कोल्ड क्रीम, तेल या बाड़ी लोशन लगाएं। ऐसा करने से त्वचा कोमल, नरम व सुन्दर बनी रहेगी तथा एडि़यां भी नहीं फटेंगी।
होंठों पर ताजी मलाई लगाना ही सब से बेहतर उपाय है अन्यथा देसी घी लगा सकती हैं।
चेहरे को सौम्य बनाए रखने के लिए पालक, ‘पोदीना व धनिया का पेस्ट बना कर 15 मिनट के लिए चेहरे पर लगाएं। तत्पश्चात चेहरा स्वच्छ पानी से धो लें। 15 मिनट में चेहरे पर निखार आ जाएगा।’
इसी तरह इस मौसम में स्नान से बचना नहीं चाहिए बल्कि हल्के कुनकुने पानी से शरीर के अंगों को झांवे से रगड़ रगड़ कर साफ करना चाहिए। इस क्रिया से रक्तसंचार की गति तीव्र होती है। इससे मृत होती कोशिकाओं को आक्सीजन मिलती है जिस से त्वचा में निखार आता है। स्नान के पश्चात कोई भी कोल्ड क्रीम या तेल अवश्य लगाएं।
माताओं के लिए भी एक हिदायत है कि वे किशोरियों के स्वास्थ्य को ले कर अनावश्यक तनाव न मोल लें, न ही उन्हें बात बात पर सलाह दें कि यह मत खाओ, वह मत खाओ। यदि कुछ बताना है तो उन्हें सलाह के तौर पर बताएं, अधिकार से थोपें नहीं। यह भी ध्यान रखें कि बात-बात की गई टीका टिप्पणी से किशोर मन आहत होता है। अगर आप बच्ची की जिद से बचना चाहती हैं तो उसे कभी आर्डर न दें।
ठंड में किशोरियों के पहनावे के बारे में उनका कहना है कि ठंड में तो हर रंग डिजाइन व टेक्सचर के कपड़े पहने जा सकते हैं। हल्के रंग के कपड़े दिन में और गाढ़े रंग के कपड़े रात में पहनने चाहिए। साथ ही फुलस्लीव की शर्ट या ब्लाउज पहने जाएं तो उचित होता है।
सिर पर चुन्नी या साड़ी का पल्ला लपेटना चाहिए। इस से कान ढके रहते हैं और ठंडी हवाओं का असर प्रत्यक्ष रूप से कानों द्वारा हमारे शरीर पर नहीं होता। कोई भी वस्त्रा पहनें पर शरीर पूरा ढका ही अच्छा होता है। घर से निकलते वक्त आंखों की सुरक्षा के लिए चश्मा अवश्य ही पहनना चाहिए। 

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