तमिलनाडु की राजनीति क्षेत्रवाद नहीं बल्कि तमिल ‘विशिष्टतावाद’ है : राज्यपाल रवि

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चेन्नई, 25 नवंबर (भाषा) तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि ने कहा कि राज्य की राजनीति क्षेत्रवाद नहीं है, बल्कि यह मूल रूप से तमिल ‘‘विशिष्टतावाद’’ है, जो इस बात पर जोर देता है कि तमिल भाषा अन्य भाषाओं से ‘‘भिन्न’’ है।

राज्यपाल ने कहा, ‘‘यह तमिल विशिष्टतावाद अन्य भाषाओं के प्रति नफरत के रूप में सामने आता है, यहां तक कि वह भाषाएं भी जो द्रविड़ भाषा परिवार से जुड़ी हैं जैसे तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम। यह केवल हिंदी तक सीमित नहीं है।’’

उन्होंने यह भी आलोचना की कि तमिल नेता वास्तव में तमिल भाषा से प्रेम नहीं करते क्योंकि उन्होंने तमिल भाषा या तमिल संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए कुछ खास नहीं किया है।

उन्होंने एक टीवी चैनल को दिए एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘हकीकत यह है कि हर साल छात्र तमिल माध्यम छोड़कर अंग्रेजी माध्यम की ओर जा रहे हैं। तमिल में पढ़ाई करने वाले छात्रों की संख्या लगातार और तेज़ी से घट रही है।’’

तमिलनाडु के राज्यपाल के रूप में रवि का मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन के नेतृत्व वाली द्रमुक सरकार से बार-बार टकराव होता रहता है।

रवि ने कहा कि तमिलनाडु सरकार ने तमिल भाषा और संस्कृति पर शोध के लिए ‘‘शून्य बजट’’ दिया है।

अक्टूबर 2024 में दूरदर्शन के एक कार्यक्रम में ‘तमिल थाई वज़्थु’ को लेकर हुए विवाद का उल्लेख करते हुए राज्यपाल ने कहा कि द्रमुक के नेतृत्व वाली तमिलनाडु सरकार ने बिना वजह बड़ा मुद्दा बना दिया। इस कार्यक्रम में तमिल गान बिना ‘‘द्रविड़’’ शब्द के गाया गया था।

उन्होंने कहा कि वह उस कार्यक्रम में केवल अतिथि थे और आयोजकों से गलती हुई थी लेकिन उन्होंने माफी मांग ली थी।

रवि ने साक्षात्कार में जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर भी अपनी राय व्यक्त की, जहां उन्होंने कई वर्षों तक एक खुफिया अधिकारी के रूप में काम किया। साथ ही पूर्वोत्तर से जुड़े मुद्दों पर भी बात की।

तमिलनाडु में नियुक्ति से पहले रवि नगालैंड के राज्यपाल के रूप में कार्यरत थे और मेघालय का अतिरिक्त प्रभार भी संभाल रहे थे।

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