पाकिस्तान भारत के लिए अपने जन्म से ही समस्या बना हुआ है और अब बांग्लादेश भी उसकी राह पर चल निकला है । 2024 में शेख हसीना की सरकार का तख्तापलट करके बनी अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस लगातार ऐसे उपक्रम कर रहे हैं जिससे बांग्लादेश के रिश्ते भारत से बिगड़ जाएं । बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने शेख हसीना को मौत की सजा सुना दी है । अभी इस सरकार को सत्ता में आए सिर्फ एक साल हुआ है लेकिन उसके इशारे पर 2010 में शेख हसीना सरकार के द्वारा स्थापित संस्था ने उनका पक्ष सुने बिना ही उन्हें फांसी की सजा सुना दी है । सवाल यह है कि यह फैसला इतनी जल्दबाजी में क्यों किया गया है । शेख हसीना को भारत सरकार ने शरण दी हुई है और मोहम्मद युनुस की सरकार भारत सरकार पर लगातार दबाव बना रही है कि वो शेख हसीना को बांग्लादेश सरकार के हवाले कर दे । शेख हसीना को मौत की सजा सुनाये जाने के बाद अब यूनुस सरकार भारत सरकार पर भारी दबाव बनाने वाली है कि वो शेख हसीना को जल्दी से जल्दी उसके हवाले कर दे । दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि है, इसलिए इस संधि का हवाला देकर भारत पर लगातार दबाव बनाया जाएगा ।
बांग्लादेश की सरकार अच्छी तरह से जानती है कि भारत सरकार ऐसा नहीं करने वाली है । इसलिए अब बांग्लादेश शेख हसीना के प्रत्यर्पण की आड़ में भारत के साथ रिश्ते बिगाड़ने की कोशिश करता रहेगा। देखा जाए तो मोहम्मद यूनुस शेख हसीना के लिए मौत की सजा का इंतजाम करके उनके बांग्लादेश लौटने का रास्ता बंद करना चाहता है। इसकी दूसरी वजह यह भी हो सकती है कि शेख हसीना के खिलाफ दिये गए इस फैसले का विरोध करने के लिए उनकी पार्टी अवामी लीग सड़कों पर उतर सकती है और हिंसक प्रदर्शन भी कर सकती है। जबसे ये फैसला आया है, तब से अवामी लीग के कार्यकर्ता सड़कों पर हिंसक प्रदर्शन कर रहे हैं जिसमें 50 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। मोहम्मद यूनुस भी यही चाहता है कि अवामी लीग के समर्थक दंगा-फसाद करें ताकि वो कानून व्यवस्था बिगड़ने के नाम पर चुनावों को टाल दे और अपने कार्यकाल में बढ़ोतरी कर ले । मोहम्मद यूनुस जानता है कि चुनाव के बाद उसे सत्ता छोड़नी पड़ेगी लेकिन वो सत्ता छोड़ना नहीं चाहता है। देखा जाए तो शेख हसीना को मौत की सजा देकर मोहम्मद यूनुस ने एक साथ कई निशाने लगाए हैं । देखना यह है कि वो अपनी साजिश में कितना सफल होता है।
ये अजीब बात है कि जिस देश में कोई सरकार नहीं है, वहां सरकार का एक मुख्य सलाहकार है और वो प्रधानमंत्री के रूप में काम कर रहा है। बिना किसी चुनाव के सत्ता का आनंद ले रहा व्यक्ति अपने देश की विदेश नीति को पूरी तरह से बदल चुका है। पाकिस्तान के साथ उसे दोस्ती करने का ऐसा नशा चढ़ चुका है कि वो बांग्लादेश को पाकिस्तान की गोद में बिठाने की कोशिश कर रहा है । दूसरी तरफ वो अमेरिका के इको सिस्टम के इशारे पर चल रहा है। बांग्लादेश भारत के अहसान को भूल चुका है, इसलिए उस पाकिस्तान की गोद में बैठने जा रहा है जिसके सैनिकों ने कहा था कि वो बंगालियों की नस्ल बदल देंगे । अपने इरादों को कामयाब करने के लिए उन्होंने लाखों बांग्लादेशी महिलाओं के साथ बलात्कार किया । बांग्लादेशी भूल चुके हैं कि पाकिस्तानी सेना ने उनके तीस लाख लोगों को निर्ममता के साथ मौत के घाट उतार दिया था । अगर भारत दखल नहीं देता तो ये कत्लेआम कहां जाकर रुकता, कोई नहीं जानता । हजारों भारतीय सैनिकों ने अपनी जान देकर बांग्लादेशियों के जान-माल की रक्षा की । आज बांग्लादेश के सर्वेसर्वा मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई में भारत को सहयोगी मात्र बता रहे हैं । वास्तव में वो इस समय उस जमाते इस्लामी के साथ खड़े हुए हैं, जो बांग्लादेश के बनने का विरोध करती है । ये संगठन भारत को इसके लिए जिम्मेदार मानता है, इसलिए वो भारत का कट्टर विरोधी है ।
शेख हसीना ने ट्रिब्यूनल की स्थापना 1971 मुक्ति संग्राम के दोषियों को सजा दिलाने के लिए की थी ताकि उन्हें उनके अपराधों की सजा दी जा सके । विडम्बना यह है कि इसी ट्रिब्यूनल ने शेख हसीना को फांसी की सजा सुना दी है । उनके खिलाफ 2024 में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन के मामले में मुकदमा दर्ज किया गया था । अजीब बात है कि एक राष्ट्र अध्यक्ष होने के कारण हिंसा को रोकने का आदेश देने पर उन्हें यह सजा सुनाई गई है । सवाल यह है कि अवामी लीग के हिंसक प्रदर्शन को रोकने के आदेश यूनुस द्वारा दिए गए हैं और इसमें भी दर्जनों लोगों की जान जा चुकी है । क्या इन मौतों के लिए मोहम्मद यूनुस जिम्मेदार है । इस तरह तो नई सरकार बनने पर यूनुस को भी फांसी की सजा दी जा सकती है । संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने शेख हसीना को दी गई सजा को गलत ठहराया है । जब शेख हसीना भारत की शरण में हैं तो उनके खिलाफ मुकदमे में सरकार ने अपनी मनमर्जी चलाई है । उनकी अनुपस्थिति में उनको मौत की सजा देना, यह बताता है कि ट्रिब्यूनल का फैसला सरकार के दबाव में दिया गया है । उनकी पार्टी पर यूनुस सरकार ने पहले ही प्रतिबंध लगा दिया है और इस फैसले के बाद उनके लिए बांग्लादेश लौटने का रास्ता बंद कर दिया गया है । एक तरह से यह न्यायिक नहीं बल्कि एक राजनीतिक फैसला है ।
देखा जाए तो बांग्लादेश एक आत्मघाती रास्ते पर चल पड़ा है । शेख हसीना के शासन में विकास की सीढ़ियां चढ़ रहा बांग्लादेश अचानक अराजकता के दौर में पहुंच गया है । बांग्लादेश के एनएसए भारत आये हैं और उनकी मुलाकात भारत के एनएसए अजित डोभाल से हुई है । उम्मीद कर सकते हैं कि बांग्लादेश की सेना भारत के साथ रिश्ते बिगाड़ने की कोशिश का विरोध करेगी । सेना जानती है कि भारत बांग्लादेश के लिए कितना जरूरी है । बांग्लादेश की सेना की मदद से ही शेख हसीना भारत आई थी । अगर थोड़ी देर हो जाती तो प्रदर्शनकारी उनकी हत्या कर सकते थे । मोहम्मद यूनुस एक खास वर्ग की मदद से सत्ता में आए हैं और वो वर्ग पाकिस्तान की अपेक्षा भारत को अपना दुश्मन मानता है । शेख हसीना ने अपने शासन में इन तत्वों को दबाकर रखा हुआ था, इसलिए भारत के प्रति उनकी नफरत दिखाई नहीं दे रही थी । ये उनका ही दबाव है, जिसके कारण यूनुस भारत के साथ रिश्ते बिगाड़ने की हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं । इनके दबाव में ही बांग्लादेशी हिन्दुओं का उत्पीड़न हो रहा है और यूनुस सरकार उसे चुपचाप देख रही है । पिछले दिनों यूनुस ने हिन्दुओं के उत्पीड़न को भारत का दुष्प्रचार बता दिया था । इसका मतलब है कि हिन्दुओं के उत्पीड़न को उनका समर्थन प्राप्त है । भारत सरकार हिन्दुओं के उत्पीड़न का मुद्दा कई बार यूनुस सरकार के समक्ष उठा चुकी है,लेकिन वो कुछ करने को तैयार नहीं हैं । इसकी वजह यही है कि जिन लोगों की मदद से वो सत्ता चला रहे हैं, उनके खिलाफ कार्यवाही नहीं कर सकते ।
जैसे पाकिस्तान ने भारत विरोध में अपने देश में कट्टरपंथियों और आतंकवादियों का पालन-पोषण किया है, वैसे ही बांग्लादेश अपने देश में कट्टरपंथियों को बढ़ावा दे रहा है और इसके बाद आतंकवादियों के लिए भी रास्ता तैयार कर सकता है । पाकिस्तान भी चाहता है कि वो अब आतंकवादी हमले बांग्लादेश के रास्ते करे ताकि भारत उसके खिलाफ कार्यवाही न कर सके । भारत बांग्लादेश की नई सरकार के आने का इंतजार कर रहा है क्योंकि चुनी हुई सरकार के ज्यादा जिम्मेदार होने की संभावना है । इसमें भी एक समस्या है कि अवामी लीग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और बीएनपी को भारत विरोधी माना जाता है । उम्मीद है कि भारत की अहमियत को देखते हुए नई सरकार भारत से बिगड़ते रिश्तों को कुछ हद तक संभालने की कोशिश कर सकती है क्योंकि उनकी जवाबदेही जनता के प्रति होगी ।
आज भी बांग्लादेश का बड़ा हिस्सा भारत के साथ अच्छे रिश्तों का हिमायती है, इसलिए भी भारत सरकार रिश्ते सुधरने की उम्मीद लगा रही है । भारत सरकार एक निर्वाचित सरकार के साथ बातचीत का दौर शुरू करना चाहती है । शेख हसीना ने बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था को बहुत मजबूत कर दिया था और इसमें उसे भारत की बड़ी मदद मिली थी। बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था 450 अरब डॉलर की हो चुकी है, जो कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था से लगभग 100 अरब डॉलर ज्यादा है। भारत की अर्थव्यवस्था बेशक 4 ट्रिलियन डॉलर की हो लेकिन दोनों देशों के आकार को देखते हुए कहा जा सकता है कि बांग्लादेश भारत के बराबर खड़ा है। दोनों देशों की प्रति व्यक्ति आय भी लगभग बराबर है। बांग्लादेश का इतना विकास भारत की उदारतापूर्ण मदद से ही हुआ है। एक निर्वाचित सरकार इसको ध्यान में रखते हुए भारत के साथ रिश्ते सुधारने की कोशिश जरूर करेगी, भारत को उसी वक्त का इंतजार है।
राजेश कुमार पासी
