बीते सप्ताह सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन तिलहन, पाम-पामोलीन और बिनौला में गिरावट

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नयी दिल्ली, 23 नवंबर (भाषा) बीते सप्ताह देश के तेल-तिलहन बाजारों में सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल कीमतों में गिरावट का रुख रहा। वहीं शादी-विवाह के मौसम की मांग के कारण सोयाबीन तेल, जाड़े में मांग बढ़ने से मूंगफली तेल-तिलहन के दाम सुधार के साथ बंद हुए।

बाजार सूत्रों ने कहा कि सरसों के भाव ऊंचा होने से सरसों की लिवाली अपेक्षा के अनुकूल नहीं हो रही है। जिससे समीक्षाधीन सप्ताह में सरसों तेल-तिलहन के दाम गिरावट के साथ बंद हुए।

उन्होंने कहा कि किसानों को उम्मीद है कि सरकार अपने आश्वासनों के अनुरूप सोयाबीन की खरीद करेगी और इस उम्मीद में किसान मंडियों में ऊपज कम ला रहे हैं। इसलिए विगत सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सोयाबीन तिलहन के दाम में गिरावट मामूली है अन्यथा जिस कदर हाजिर बाजार में सोयाबीन तिलहन के दाम एमएसपी से 12-14 प्रतिशत नीचे हैं, उसके अनुरूप सोयाबीन तिलहन के दाम में बड़ी गिरावट आने की संभावना थी।

सूत्रों ने कहा कि इस मौसम में शादी-विवाह अधिक संख्या में होती है और इसमें सस्ते हल्के तेल की मांग बढ़ती है। जो आयातक पहले सोयाबीन डीगम तेल लागत से 2.5-3 प्रतिशत नुकसान में बेच रहे थे, वह अंतर अब रुपये की कीमत में आई गिरावट के कारण बढ़कर लगभग पांच प्रतिशत हो चला है। विदेशों में जो इस तेल के दाम में तेजी रही है उसके अनुरूप यहां दाम में तेजी नहीं दिखी। इस परिस्थिति में बीते सप्ताह सोयाबीन तेल के दाम में मामूली सुधार देखने को मिला।

उन्होंने कहा कि विशेषकर गुजरात में जाड़े की मांग की वजह से बीते सप्ताह मूंगफली तेल-तिलहन के दाम में सुधार आया। लेकिन वास्तविकता यह भी है कि इसके थोक हाजिर दाम एमएसपी से 12-14 प्रतिशत नीचे हैं।

सूत्रों ने कहा कि एक तो जाड़े में पाम-पामोलीन की मांग कमजोर हो जाती है। सबसे बड़े खपत वाले देश भारत की मांग घटने के बीच मलेशिया में जिस कदर बाजार टूटा और जिस तरह सोयाबीन तेल से दाम ऊंचा होने के बीच पाम-पामोलीन की मांग प्रभावित हुई, वह बीते सप्ताह पाम-पामोलीन की दाम में गिरावट का मुख्य कारण है।

उन्होंने कहा कि बीते सप्ताह कपास की आवक बढ़ने के बीच बिनौला तेल के दाम भी गिरावट दर्शाते बंद हुए।

सूत्रों ने कहा कि तेल-तिलहन कारोबार की जो दयनीय हालत है, इसकी समीक्षा की जिम्मेदारी और उसके दूर करने के उपाय सुझाने की जिम्मेदारी आखिर किसकी होगी, इसे स्पष्ट रूप से तय किया जाना चाहिये ताकि तेल व्यापारी, आयातक, लागत से कम दाम पर ऊपज बेचने को मजबूर किसान उस संगठन को अपनी परेशानियां बता सके और किसी निदान की उम्मीद कर सके।

बीते सप्ताह सरसों दाना 25 रुपये की गिरावट के साथ 7,100-7,150 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल 75 रुपये की गिरावट के साथ 14,675 रुपये प्रति क्विंटल, सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 15-15 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 2,455-2,555 रुपये और 2,455-2,590 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।

समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज के थोक भाव क्रमश: 25-25 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 4,675-4,725 रुपये और 4,375-4,475 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।

दूसरी ओर, सोयाबीन दिल्ली तेल 25 रुपये के सुधार के साथ 13,325 रुपये प्रति क्विंटल, सोयाबीन इंदौर तेल 25 रुपये के सुधार के साथ 13,025 रुपये और सोयाबीन डीगम तेल का दाम 50 रुपये के सुधार के साथ 10,200 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।

समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहन की कीमतों में भी सुधार आया। मूंगफली तिलहन 100 रुपये के सुधार के साथ 6,275-6,650 रुपये क्विंटल, मूंगफली तेल गुजरात का थोक दाम 250 रुपये के सुधार के साथ 14,750 रुपये क्विंटल और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल का थोक दाम 30 रुपये के सुधार के साथ 2,400-2,700 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।

इस सुधार के उलट समीक्षाधीन सप्ताह में सीपीओ तेल का दाम 50 रुपये की गिरावट के साथ 11,250 रुपये प्रति क्विंटल, पामोलीन दिल्ली का भाव 25 रुपये की गिरावट के साथ 13,050 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 25 रुपये की गिरावट के साथ 12,050 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

गिरावट के आम रुख के अनुरूप, समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल के दाम भी 100 रुपये की गिरावट के साथ 12,450 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।

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