संयम ही है आरोग्य की कुंजी

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 मन को कामुक विचारों से दूर रखना चाहिये।
 विवाहोपरान्त संयमपूर्वक भोग ही ब्रह्मचर्य का एक रूप हैं। इसलिए विवाह पश्चात् संयम बरतना आवश्यक है।
 स्त्री पुरूष के नग्न चित्र कामुकता को बढ़ावा देते हैं। ऐसे चित्र और श्रृंगार रस पूर्ण साहित्य नहीं पढ़ना चाहिए।
 सोते समय जब कामुक विचार आयें तो उन्हें भुलाकर सात्विक विचार मन में लाने चाहिए।
 अश्लील फिल्में, वेश्याओं से अश्लील हरकतें और बातचीत से बचना चाहिए। मन में पवित्र विचारों का संग्रह करें। जीवन को सादा रखना चाहिए। शरीर की शक्ति और स्वास्थ्य हेतु संयम रखना अति आवश्यक होता है।
 दीर्घायु हेतु अपनी इंद्रियों को वश में रखना जरूरी है। उत्तेजक भोजन और कामोत्तेजक साहित्य से स्वयं को दूर रखना चाहिए।
 अपनी स्त्री के साथ अधिक मैथुन करने से स्वप्नदोष हो जाता है। गृहस्थी में संयम बहुत ज़रूरी है।
 जांघ, बगल और गुप्तांगों की सफाई न रखने से काई प्रकार के रोग हो सकते हैं। उसमें उत्तेजना भी एक रोग है अतः इनकी सफाई भली प्रकार करनी चाहिए।
 शराब, तम्बाकू, अत्यधिक चाय सेवन भी इंद्रियों को उत्तेजित करता है। इनका सेवन कम से कम करें। इससे स्वास्थ्य भी ठीक रहता है।
 खाली न बैठकर कुछ न कुछ करते रहना चाहिए। खाली दिमाग शैतान का घर है जो स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है।

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