आजादी के बाद सत्ता में रहे लोगों को अपनी ही संस्कृति पर शर्म आती थी : प्रधानमंत्री मोदी

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गुवाहाटी,  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को दावा किया कि आजादी के बाद सत्ता में रहे लोग पूजा स्थलों के महत्व को नहीं समझ सके और उन्होंने राजनीतिक वजहों से अपनी ही संस्कृति पर शर्मिंदा होने की प्रवृत्ति स्थापित की।

गुवाहाटी में 11,600 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण करने के बाद एक रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि कोई भी देश अपना इतिहास मिटाकर प्रगति नहीं कर सकता।

केंद्र सरकार द्वारा 498 करोड़ रुपये की लागत से बनाए जा रहे कामाख्या मंदिर गलियारा परियोजना पर उन्होंने कहा कि इसके तैयार हो जाने के बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस ‘शक्ति पीठ’ में आएंगे और इससे पूरे पूर्वोत्तर के पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा।

मोदी ने कहा, ‘‘यह पूर्वोत्तर का प्रवेश द्वार बन जाएगा। हजारों वर्षों की चुनौतियों के बावजूद ये हमारी संस्कृति और हमने खुद को कैसे संरक्षित रखा है, इस बात के प्रतीक हैं। हमारी मजबूत संस्कृति का हिस्सा रहे इनमें से कई प्रतीक आजकल खंडहर बन गए हैं।’’ उन्होंने कहा कि ‘कामाख्या दिव्यलोक परियोजना’ इस शक्ति पीठ की तीर्थयात्रा के अनुभव को बिल्कुल पलट देगी।

प्रधानमंत्री ने दावा किया कि आजादी के बाद लंबे समय तक सरकार चलाने वाले लोग ऐसे धर्म स्थलों का महत्व नहीं समझ सके और उनकी उपेक्षा की।

उन्होंने कहा, ‘‘राजनीतिक लाभ के कारण उन्होंने अपनी ही संस्कृति और इतिहास पर शर्मिंदा होने की प्रवृत्ति स्थापित की। कोई भी देश अपने इतिहास को भुलाकर तथा मिटाकर और अपनी जड़ों को काटकर विकसित नहीं हो सकता है।’’

मोदी ने कहा, ‘‘हालांकि, पिछले 10 साल में स्थिति बदली है।’’ उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत ‘डबल-इंजन’ सरकार की नीति विरासत स्थलों के विकास और संरक्षण की है।

उन्होंने कहा कि विरासत के विकास पर सरकार के ‘फोकस’ से देश के युवाओं को व्यापक लाभ हुआ है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘पिछले एक साल में, 8.5 करोड़ लोगों ने काशी की यात्रा की, पांच करोड़ से अधिक ने उज्जैन में महाकाल लोक के दर्शन किए और 19 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने केदारधाम के दर्शन किए। राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा के कार्यक्रम के केवल 12 दिनों में, अयोध्या में 24 लाख से अधिक पर्यटक आए।’’ उन्होंने कहा कि ऐसे विरासत स्थलों पर तीर्थयात्रियों की संख्या बढ़ने से सबसे गरीब लोगों की आजीविका को भी बढ़ावा मिलता है।

असम के दो दिवसीय दौरे पर आए प्रधानमंत्री ने राज्य का उदाहरण देते हुए कहा कि यह एक ऐसी जगह है, जहां मान्यताएं, आध्यात्मिकता और इतिहास आधुनिकता से जुड़े हुए हैं।

मोदी ने कहा कि जिन परियोजनाओं की उन्होंने शुरुआत की, उससे न केवल पूर्वोत्तर में, बल्कि बाकी के दक्षिण एशिया में संपर्क सुविधा मजबूत होगी।

उन्होंने कहा, ‘‘आज, युवा चाहते हैं कि असम और पूर्वोत्तर का विकास दक्षिण एशिया की तरह किया जाए। आपका सपना मोदी का संकल्प है। मोदी आपके सपने को पूरा करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगा। यह मोदी की गारंटी है।’’ प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि पिछले 10 साल में असम में शांति लौटी है और 7,000 से अधिक लोगों ने हथियार छोड़कर मुख्यधारा में लौटे हैं।

मोदी ने कहा, ‘‘दस से अधिक प्रमुख शांति समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। एक वक्त में मैंने असम में पार्टी के लिए काम किया था। मैंने अपनी आंखों से गुवाहाटी में सड़कें अवरुद्ध होने और बम विस्फोट की घटनाएं देखी हैं। यह अब बीते वक्त की बात है।’’

उन्होंने कहा कि राज्य के साथ ही क्षेत्र के कई इलाकों से सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम, 1958 (आफस्पा) हटा लिया गया है जबकि अंतर-राज्यीय सीमा विवाद का समाधान किया जा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले दशक में पूर्वोत्तर में रिकॉर्ड संख्या में पर्यटक आए हैं। हम ऐतिहासिक स्थलों के उत्थान के लिए एक नयी योजना लेकर आएंगे और इसलिए हमने इस साल के बजट में पर्यटन पर ध्यान केंद्रित किया है। असम तथा पूर्वोत्तर में इसके लिए असीम संभावना है। इसलिए पूर्वोत्तर भाजपा के प्राथमिकता वाले इलाकों में है।’’

प्रधानमंत्री ने दावा किया कि पिछले 10 साल में क्षेत्र में विकासात्मक गतिविधियों के लिए खर्च चार गुना बढ़ाया गया है।

उन्होंने यह भी कहा कि पिछले 10 वर्षों में 6,000 किलोमीटर नए राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण किया गया, जबकि 2014 तक यह आंकड़ा कुल 10,000 किलोमीटर था।

मोदी ने असम से राज्यसभा सदस्य रहे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नाम का जिक्र किए बिना कहा, ‘‘ऐसा पहले तब भी नहीं किया गया था, जब प्रधानमंत्री असम से चुने गए थे।’’

उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में खराब संपर्क के कारण पहले एक जिले से दूसरे जिले तक जाने में घंटों लग जाते थे। प्रधानमंत्री ने क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए केंद्र और राज्य की भाजपा-नीत सरकारों को श्रेय दिया।

प्रधानमंत्री ने लक्ष्य स्थापित करने के महत्व पर जोर दिया और कहा कि पिछली सरकारों के पास उद्देश्यों की कमी थी और वे कड़ी मेहनत करने में विफल रहीं, क्योंकि उन्होंने विकास के लिए छोटे लक्ष्य निर्धारित किए थे।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने इसे बदल दिया है। राज्य में कई सड़कों को दक्षिण एशिया उपक्षेत्रीय आर्थिक सहयोग के तहत उन्नत किया जाएगा, जिससे पूर्वोत्तर एक व्यापार केंद्र में बदल जाएगा।’’

मोदी ने कहा कि परियोजनाएं कनेक्टिविटी को बढ़ावा देंगी, पर्यटन क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा करेंगी और खेल प्रतिभाओं को मदद करेंगी।

उन्होंने कहा कि पहले भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) और भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) केवल बड़े शहरों में स्थापित किए जाते थे, लेकिन अब ऐसे संस्थान पूरे देश में बनाए जा रहे हैं और असम में मेडिकल कॉलेजों की कुल संख्या छह से बढ़कर 12 हो गई है।

प्रधानमंत्री ने गरीबों के लिए चार करोड़ घरों के निर्माण, नल के पानी के कनेक्शन, बिजली और रसोई गैस कनेक्शन की आपूर्ति और शौचालयों के निर्माण का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘जीवन को आसान बनाना वर्तमान सरकार की प्राथमिकता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले 10 वर्षों में हमने हर घर में बिजली पहुंचाने का अभियान चलाया। अब हम बिजली बिल शून्य करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। बजट में हमने छत पर सैर पैनल लागने की योजना की घोषणा की, जिसके तहत सरकार शुरुआत में एक करोड़ परिवारों को छत पर सौर पैनल लगाने में मदद करेगी।’’

मोदी ने कहा, ‘‘इससे उनका बिजली बिल शून्य होगा और सामान्य परिवार अपने घर पर ही बिजली पैदा कर कमाई कर सकेंगे।’’

इस साल की बजट घोषणाओं का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि सरकार ने बुनियादी ढांचे पर 11 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का वादा किया है, जबकि 2014 से पहले 10 साल की अवधि में कुल बुनियादी ढांचा बजट 12 लाख करोड़ रुपये था।