बेलेम (ब्राजील), 20 नवंबर (भाषा) भारत ने कहा है कि संयुक्त क्रेडिटिंग तंत्र (जेसीएम) वैश्विक स्तर पर न्यायसंगत एवं व्यापक जलवायु कार्रवाई को आगे बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण साधन बनकर उभरा है। यह उन्नत निम्न-कार्बन प्रौद्योगिकियों को तेज़ी से अपनाने की क्षमता रखता है और भारत के उत्सर्जन लक्ष्यों को समर्थन दे सकता है।
पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने बुधवार को कहा कि जेसीएम जैसे सहयोगी ढांचे भारत की तरह देशों की विकास प्राथमिकताओं के अनुरूप वैश्विक उत्सर्जन न्यूनीकरण प्रयासों को मजबूत करते हैं।
उन्होंने यहां सीओपी30 के इतर 11वें जेसीएम साझेदार देशों की बैठक में कहा, ‘‘जेसीएम जैसे तंत्र जलवायु कार्रवाई को मजबूत करने के साथ-साथ राष्ट्रीय प्राथमिकताओं विशेषकर विकासशील देशों के हितों को भी समर्थन देते हैं।’’
जेसीएम एक तंत्र है जिसमें भारत और जापान जैसे देश मिलकर कम-कार्बन तकनीक वाली परियोजनाएं लगाते हैं। इन परियोजनाओं से होने वाली उत्सर्जन कमी को दोनों देश क्रेडिट के रूप में बांटते हैं ताकि अपने-अपने जलवायु लक्ष्यों को पूरा कर सकें। यह स्वच्छ तकनीक, निवेश और सहयोग को बढ़ावा देता है।
सत्र की अध्यक्षता करने वाले जापान के पर्यावरण मंत्री हिरोताका इशिहारा ने बताया कि जेसीएम अब 31 साझेदार देशों तक विस्तृत हो गया है और पेरिस समझौते के अनुच्छेद 6 के तहत 280 से अधिक परियोजनाएं लागू की जा रही हैं। जापान का लक्ष्य है कि इस सहयोग को दीर्घकालिक निवेश, क्षमता निर्माण और लचीलापन परियोजनाओं के माध्यम से और बढ़ाया जाए।
भारत और जापान ने इस वर्ष अगस्त में जेसीएम पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे।
यादव ने कहा कि जेसीएम अनुच्छेद 6 के सहयोगात्मक ढांचे के अनुरूप है और सरकारों तथा निजी क्षेत्र को संयुक्त रूप से उत्सर्जन-न्यूनन परियोजनाएं विकसित करने, वित्त जुटाने, उन्नत तकनीक लागू करने और उत्सर्जन कटौती को पारदर्शी ढंग से आवंटित करने का मार्ग प्रदान करता है।
यादव ने जेसीएम को ‘‘पारदर्शी, प्रभावशाली और न्यायसंगत जलवायु साझेदारी’’ का मॉडल बनाने की अपील की।
संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन रूपरेखा सम्मेलन के अंतर्गत होने वाले वार्षिक सीओपी30 में 190 से अधिक देशों के वार्ताकार भाग ले रहे हैं। सीओपी30 का आयोजन ब्राज़ील के अमेज़न क्षेत्र के बेलेम में 10 से 21 नवंबर तक हो रहा है।