सीओपी30 ने बेलेम राजनीतिक पैकेज का मसौदा जारी किया, जलवायु परिवर्तन पर वार्ता अंतिम चरण में

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बेलेम (ब्राजील), 19 नवंबर (भाषा) संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन सीओपी-30 में मंगलवार को बेलेम राजनीतिक पैकेज का मसौदा जारी होने के साथ अंतिम चरण की वार्ता की शुरुआत हो गई। यह पैकेज आने वाले वर्षों में वैश्विक जलवायु कार्रवाई की दिशा तय करने वाला माना जा रहा है।

सीओपी30 के अध्यक्ष आंद्रे कोरिया डो लागो ने सभी देशों को लिखे पत्र में अपील की कि वे ‘‘साथ-साथ, कार्य बल स्तर पर’’ काम करें ताकि मसौदे को तेज़ी से और निष्पक्षता के साथ अंतिम रूप दिया जा सके।

मसौदा दस्तावेज़ों को बुधवार को विचार-विमर्श के बाद अपनाए जाने की उम्मीद है।

संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन रूपरेखा सम्मेलन के अंतर्गत होने वाले वार्षिक सीओपी30 में 190 से अधिक देशों के वार्ताकार भाग ले रहे हैं। सीओपी30 का आयोजन ब्राज़ील के अमेज़न क्षेत्र के बेलेम में 10 से 21 नवंबर तक हो रहा है।

जारी मसौदे में जलवायु-संबंधी व्यापार प्रतिबंध, राष्ट्रीय रूप से निर्धारित योगदान (एनडीसी) पर संश्लेषण रिपोर्ट, 1.5 डिग्री सेल्सियस लक्ष्य और क्रियान्वयन अंतर, पेरिस समझौते के अनुच्छेद 9.1 और 13, अनुकूलन पर वैश्विक लक्ष्य, वैश्विक स्टॉकटेक, हरित जलवायु कोष और वैश्विक पर्यावरण सुविधा जैसे मुद्दे शामिल हैं।

एक अधिकारी ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया कि अध्यक्ष द्वारा जारी मसौदे पर सहमति बनाने के लिए तेजी से वार्ता चल रही है।

मसौदे में जलवायु परिवर्तन को संपूर्ण मानवता की साझा चिंता बताते हुए देशों से मानवाधिकार दायित्वों का पालन करते हुए जलवायु कार्रवाई सुनिश्चित करने की अपील की गई है।

मसौदा उन 123 देशों की सराहना करता है जिन्होंने नयी एनडीसी प्रस्तुत की हैं और बाकी देशों से जल्द ऐसा करने का आग्रह करता है।

भारत अभी अपनी संशोधित एनडीसी प्रस्तुत नहीं कर पाया है। पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने सोमवार को कहा कि भारत 2035 अवधि की एनडीसी दिसंबर तक जारी करेगा।

एनडीसी पेरिस समझौते के तहत देशों की राष्ट्रीय जलवायु योजनाएं होती हैं, जिनमें उत्सर्जन घटाने और जलवायु प्रभावों के अनुरूप बनने के लक्ष्य शामिल होते हैं। यह लक्ष्य वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने में मदद करते हैं।

बेलेम पैकेज विकासशील देशों के लिए जलवायु वित्त को 2035 तक कम से कम 1.3 ट्रिलियन डॉलर प्रतिवर्ष तक बढ़ाने की मांग करता है।

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