केंद्र को पंजाब की भावनाओं से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए : मुख्यमंत्री मान

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नयी दिल्ली, 18 नवंबर (भाषा) पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मंगलवार को दावा किया कि केंद्र सरकार ने राज्य से संबंधित प्रमुख मुद्दों को टालने का फैसला किया है, जिसमें पड़ोसी राज्यों के साथ नदी जल और अन्य अधिकारों का बंटवारा तथा पंजाब विश्वविद्यालय का पुनर्गठन शामिल है।

मान ने यह दावा फरीदाबाद में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में उत्तरी क्षेत्रीय परिषद की 32वीं बैठक में शामिल होने के एक दिन बाद किया, जहां उन्होंने पंजाब की चिंताओं को उठाया था।

पंजाब के मुख्यमंत्री के अनुसार उन्होंने बैठक में कहा कि केंद्र को पंजाब के हितों की अनदेखी करते हुए राज्य की भावनाओं से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए।

मान ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘मैंने पंजाब की चिंताओं को उठाया और राज्य से संबंधित मुद्दों पर यथास्थिति बनाए रखने का आह्वान किया, जिसके बाद केंद्र ने पंजाब से संबंधित सभी 11 मुद्दों को स्थगित कर दिया है। पंजाब के अधिकारों को किसी के हाथ में जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।’’

मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने बैठक में पड़ोसी राज्यों द्वारा किए गए सभी दावों का कड़ा विरोध किया और गृह मंत्री से कहा कि उन्हें पंजाब के अधिकार छीनने की अनुमति न दी जाए।

उन्होंने कहा, ‘‘अन्य राज्यों द्वारा उठाए गए सभी मुद्दे पंजाब के अधिकारों को छीनने के लिए थे और मैंने उनका कड़ा विरोध किया।’’

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर भारत में सिंचाई के लिए पानी की कमी के मुद्दे को हल करने में मदद के लिए उन्होंने प्रस्ताव दिया कि सिंधु नदी जल संधि को रद्द करने के बाद, चिनाब नदी से 24 एमएएफ (मिलियन एकड़ फुट) पानी पंजाब को दिया जाना चाहिए और इसे सभी उत्तरी राज्यों में सिंचाई के लिए उपयोग किया जा सकता है।

दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण पर चिंता जताई थी और पंजाब और अन्य उत्तरी राज्यों में पराली जलाने को इसका कारण बताया था। इस पर मान ने दावा किया कि पंजाब की छवि अनावश्यक रूप से खराब की जा रही है और दिल्ली में प्रदूषण पंजाब में खेतों में पराली जलाने से नहीं है, क्योंकि वहां धान की फसल की कटाई में देरी हो रही है।

मुख्यमंत्री मान ने यमुना के पानी को पंजाब की ओर मोड़कर एसवाईएल नहर का नाम बदलकर वाईएसएल (यमुना-सतलुज लिंक) नहर रखने का भी प्रस्ताव रखा।

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