लोकपाल के आदेश के खिलाफ महुआ मोइत्रा की याचिका पर 21 नवंबर को सुनवायी

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Mahua-Moitra

नयी दिल्ली, 18 नवंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा की उस याचिका पर 21 नवंबर को सुनवाई करेगा जिसमें उन्होंने पैसे लेकर सवाल पूछने के कथित घोटाले में उनके खिलाफ आरोपपत्र दायर करने के लिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को लोकपाल द्वारा दी गई मंजूरी को चुनौती दी है।

न्यायमूर्ति अनिल खेत्रपाल और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ ने मामले को शुक्रवार के लिए सूचीबद्ध किया ताकि वह लोकपाल के आदेश पर गौर कर सके, जिसे उसके समक्ष सीलबंद लिफाफे में रखा गया है।

पैसे लेकर सवाल पूछने का कथित घोटाला इस आरोप से संबंधित है कि मोइत्रा ने एक व्यवसायी से नकद राशि और उपहार के बदले सदन में प्रश्न पूछे थे।

मोइत्रा ने अपनी याचिका में भारत के लोकपाल के 12 नवंबर के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया है, जिसके तहत सीबीआई को मंजूरी दी गई थी। उन्होंने दावा किया कि यह आदेश त्रुटिपूर्ण, लोकपाल अधिनियम के प्रावधानों के दायरे से बाहर और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का घोर उल्लंघन है।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि लोकपाल अधिनियम के तहत अनुमोदन आदेश जारी करने से पहले उनसे दलील तो मांगी गईं, लेकिन बाद में उन्हें यह कहते हुए पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया कि वे समयपूर्व हैं और उन पर बाद के चरण में विचार किया जाएगा।

इसमें कहा गया है कि मंजूरी आदेश ने लोकपाल की भूमिका को केवल “जांच रिपोर्ट पर मुहर लगाने” तक सीमित कर दिया है।

लोकसभा सदस्य मोइत्रा ने अपनी याचिका में कहा, “लोकपाल के पास न केवल लोकपाल अधिनियम की धारा 20(7)(ए) के तहत क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देने की शक्ति है, बल्कि उसका यह कर्तव्य भी है कि वह इस स्तर पर आरपीएस (प्रतिवादी लोक सेवक) के बचाव पर निष्पक्ष रूप से विचार करे, ताकि इस बारे में निष्पक्ष और तर्कसंगत निर्णय लिया जा सके कि मामले में आरोपपत्र दाखिल करना आवश्यक है या क्लोजर रिपोर्ट।’’

इसमें कहा गया है कि लोकपाल ने मोइत्रा की दलीलों और बचाव पर विचार किए बिना ही क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने का रास्ता बंद कर दिया है और इसके बजाय उनके प्रति पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर आरोपपत्र दाखिल करने की मंजूरी दे दी है।

मोइत्रा ने मंजूरी आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध भी किया है। उन्होंने सीबीआई को मंजूरी आदेश के तहत कोई भी कदम उठाने से रोकने का भी अनुरोध किया है।

सीबीआई ने जुलाई में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता एवं व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से जुड़े पैसे लेकर सवाल पूछने के कथित घोटाला मामले में लोकपाल को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।

एजेंसी ने लोकपाल के एक संदर्भ पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत 21 मार्च, 2024 को दोनों के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की थी।

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