अनिल अंबानी ने फेमा मामले में दूसरी बार ईडी के समक्ष पेश होने से इनकार किया
Focus News 17 November 2025 0
नयी दिल्ली, 17 नवंबर (भाषा) रिलायंस समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष पेश होने से सोमवार को दूसरी बार इनकार कर दिया।
व्यवसायी ने कहा कि वह संघीय जांच एजेंसी के समक्ष ‘‘डिजिटल उपस्थिति/रिकॉर्डेड वीडियो’’ के माध्यम से बयान दर्ज कराने के लिए तैयार हैं। यह बयान उन्होंने 14 नवंबर को पहली बार समन पर पेश न होने पर दिया था।
ईडी ने अंबानी की यह पेशकश ठुकरा दी थी और उन्हें सोमवार को पेश होने के लिए नया समन जारी किया था। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि एजेंसी अब तीसरा समन जारी करेगी या नहीं।
फेमा के अंतर्गत कार्यवाही दीवानी प्रकृति की होती है, जबकि धनशोधन निरोधक कानून के अंतर्गत (कार्यवाही) आपराधिक प्रकृति की होती है।
अनिल अंबानी (66) के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, ‘‘श्री अनिल डी. अंबानी ने ईडी के लिए उपयुक्त किसी भी तारीख और समय पर वर्चुअल उपस्थिति/रिकॉर्डेड वीडियो के माध्यम से अपना बयान दर्ज कराने के लिए खुद को उपलब्ध कराने की पेशकश की है।’’
सूत्रों के अनुसार, एजेंसी ने अंबानी को व्यक्तिगत रूप से शुक्रवार को पेश होकर फेमा के तहत अपना बयान दर्ज कराने को कहा था।
यह जांच जयपुर-रींगस राजमार्ग परियोजना से संबंधित है।
ईडी ने पहले एक बयान में कहा था कि हाल ही में धनशोधन निरोधक कानून के तहत अंबानी और उनकी कंपनियों की 7,500 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क करने के बाद ईडी ने एक बयान में कहा था कि आर-इंफ्रा के खिलाफ (फेमा के तहत की गई) तलाशी कार्रवाई में पाया गया कि राजमार्ग परियोजना में कथित तौर पर 40 करोड़ रुपये की ‘‘हेराफेरी’’ की गई थी।
एजेंसी ने कहा था, ‘‘सूरत स्थित फर्जी कंपनियों के माध्यम से धन दुबई पहुंचाया गया। इससे 600 करोड़ रुपये से अधिक के व्यापक अंतरराष्ट्रीय हवाला नेटवर्क का पता चला है।’’
सूत्रों ने बताया कि ईडी ने कुछ कथित हवाला डीलर सहित कई लोगों के बयान दर्ज किए हैं, जिसके बाद उन्होंने अंबानी को तलब करने का फैसला किया है।
हवाला, धन की अवैध आवाजाही को दर्शाता है, जिसमें अधिकतर नकदी शामिल होती है।
बयान में कहा गया है, ‘‘यह (फेमा) मामला 15 साल पुराना है, 2010 का है और एक सड़क ठेकेदार से जुड़ा है।’’
इसमें कहा गया है कि ‘रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड’ ने 2010 में जेआर टोल रोड (जयपुर-रींगस राजमार्ग) के निर्माण के लिए ईपीसी अनुबंध प्रदान किया था।
बयान के अनुसार, ‘‘यह पूरी तरह से घरेलू अनुबंध था, जिसमें किसी भी तरह का विदेशी मुद्रा घटक शामिल नहीं था। जेआर टोल रोड पूरी तरह से बनकर तैयार हो चुका है और 2021 से, यह पिछले चार वर्षों से भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के पास है।’’
अंबानी रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर के बोर्ड के सदस्य नहीं हैं।
इसमें कहा गया है, ‘‘उन्होंने अप्रैल 2007 से मार्च 2022 तक, लगभग 15 वर्षों तक कंपनी में केवल एक गैर-कार्यकारी निदेशक के रूप में काम किया और कंपनी के दैनिक प्रबंधन में कभी शामिल नहीं रहे।’’
ईडी ने अनिल अंबानी से एक बार उनके समूह की कंपनियों के खिलाफ कथित तौर पर 17,000 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी से जुड़े धनशोधन मामले में पूछताछ की थी।
