जी-20 में अमेरिका की अनुपस्थिति के दक्षिण अफ्रीका पर दीर्घकालिक परिणाम हो सकते हैं: विशेषज्ञ
Focus News 17 November 2025 0
जोहानिसबर्ग, 17 नवंबर (भाषा) दक्षिण अफ्रीका ने कहा है कि इस सप्ताहांत जोहानिसबर्ग में होने वाला जी-20 नेताओं का शिखर सम्मेलन अमेरिका की अनुपस्थिति के बावजूद जारी रहेगा, लेकिन विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि मेजबान देश के लिए इसके दीर्घकालिक परिणाम हो सकते हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि इस शिखर सम्मेलन में अमेरिका की कोई भागीदारी नहीं होगी। उन्होंने श्वेत किसानों के नरसंहार और सरकार द्वारा उनकी जमीन के अवैध अधिग्रहण के आरोपों का हवाला दिया था। दक्षिण अफ़्रीकी सरकार और श्वेत नेताओं, दोनों ने इन आरोपों को झूठा बताते हुए खारिज कर दिया है।
राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने शुक्रवार को पुष्टि की कि अमेरिका की अनुपस्थिति के बावजूद, 22-23 नवंबर को जी20 नेताओं का शिखर सम्मेलन पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही होगा।
रामफोसा ने यहां एक कार्यक्रम से इतर कहा, ‘‘राष्ट्रपति ट्रंप ने नहीं आने का फैसला किया है और उन्होंने सभी अमेरिकी प्रतिनिधियों को बुला लिया है। लेकिन हमने कहा है कि बहिष्कार की राजनीति कभी काम नहीं आती।’’
रामफोसा ने कहा, ‘‘शिखर सम्मेलन जारी रहेगा। हम इसलिए नहीं रुकेंगे क्योंकि वे यहां नहीं हैं। हम इसे जारी रखेंगे और दुनिया के लोगों को प्रभावित करने वाले मामलों पर बुनियादी फैसले लेंगे।’’
उन्होंने कहा कि लगभग 40 अन्य राष्ट्राध्यक्ष और शासनाध्यक्ष भी शिखर सम्मेलन में मौजूद रहेंगे।
हालांकि, विश्लेषकों और शोधकर्ताओं का मानना है कि अमेरिका की अनुपस्थिति का दक्षिण अफ्रीका पर, खासकर वित्त और विकास के मामलों में व्यापक प्रभाव पड़ सकता है।
दक्षिण अफ़्रीकी विदेश नीति पर शोधकर्ता डॉ. नामपुला एम्फ़ाहलेले ने स्थानीय दैनिक ‘द स्टार’ से कहा, “अमेरिका जलवायु परिवर्तन जैसी अधिकतर अंतरराष्ट्रीय पहलों को प्रायोजित करता है। वे संयुक्त राष्ट्र और विश्व व्यापार संगठन जैसी अन्य वित्तीय संस्थाओं के संचालन के लिए भारी मात्रा में धन का इस्तेमाल करते हैं।’’
एम्फाहलेले ने कहा, “यदि अमेरिका (जी-20 का) बहिष्कार कर रहा है, तो इससे बहुपक्षवाद के भविष्य और आगे चलकर जी-20 के संचालन के तरीके के बारे में एक कड़ा संदेश जाएगा।”
उन्होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीका के जी-20 में अपनी सीट गंवाने की आशंका कम है, क्योंकि किसी देश के शामिल होने पर फैसला सदस्यों द्वारा मतदान से होता है, न कि केवल एक व्यक्ति या देश द्वारा।
हालांकि, अमेरिका दक्षिण अफ्रीका को कुछ गतिविधियों से बाहर रखना जारी रख सकता है, क्योंकि जी20 की बैठकों, जैसे वित्त मंत्रियों की बैठक और कार्य समूहों में भाग लेने के लिए अक्सर निमंत्रण की आवश्यकता होती है।
क्वा-ज़ुलु नटाल विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय संबंध विशेषज्ञ डॉ. नोलुथांडो फुंगुला ने अखबार से कहा कि ट्रंप का निर्णय एक संदेश दे रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह अर्जेंटीना के राष्ट्रपति की अनुपस्थिति से स्पष्ट है, जिन्होंने भी निमंत्रण अस्वीकार कर दिया है और कहा है कि वह अपना एक प्रतिनिधि भेजेंगे।”
फुंगुला के अनुसार, यह बहिष्कार प्रिटोरिया और वाशिंगटन के बीच गहरे तनाव को दर्शाता है और इसका व्यापार एवं राजनयिक संबंधों पर निश्चित रूप से असर पड़ेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘इसका उन देशों पर भी असर पड़ेगा जो अमेरिका से जुड़े हैं। जैसा कि आपने देखा, अर्जेंटीना को इस समय अमेरिका से वित्तीय सहायता मिल रही है, इसलिए ज़ाहिर है कि उसे अमेरिका के साथ एकजुटता से खड़ा होना होगा।”
फुंगुला ने इसको लेकर भी चिंता व्यक्त की कि ट्रंप के कदम से अमेरिका-दक्षिण अफ्रीका के द्विपक्षीय संबंध और कमजोर हो जाएंगे, जिससे प्रिटोरिया चीन, रूस और अन्य ब्रिक्स देशों के करीब चला जाएगा।
उन्होंने कहा कि वैकल्पिक वैश्विक शासन संरचनाओं के साथ दक्षिण अफ्रीका का बढ़ता तालमेल वैश्विक शक्ति गतिशीलता में एक बड़े बदलाव को दर्शाता है, जहां दक्षिण अफ्रीका जैसे ‘ग्लोबल साउथ’ के राष्ट्र पश्चिमी प्रभाव को संतुलित करने की कोशिश करते हैं।
‘ग्लोबल साउथ’ से तात्पर्य उन देशों से है जिन्हें अक्सर विकासशील, कम विकसित अथवा अविकसित के रूप में जाना जाता है और ये मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लातिन अमेरिका में स्थित हैं।
फुंगुला ने कहा कि शिखर सम्मेलन का बहिष्कार करने का अमेरिका का निर्णय जी-20 के भविष्य के जुड़ाव और सामंजस्य के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा करता है तथा जी-20 की वैधता और प्रभावशीलता को कमजोर करता है।
दक्षिण अफ्रीका रविवार को जी-20 की वार्षिक अध्यक्षता अमेरिका को सौंपने वाला है, लेकिन अब इस बात को लेकर चिंता है कि अमेरिका की अनुपस्थिति में ऐसा समारोह कैसे हो पाएगा।
रामफोसा ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका जी-20 की अध्यक्षता “खाली कुर्सी” को नहीं सौंपना चाहेगा, लेकिन यह एक प्रतीकात्मक हस्तांतरण होगा।
उन्होंने कहा कि बहिष्कार के बावजूद, अमेरिका दक्षिण अफ्रीका के लिए एक “महत्वपूर्ण बाज़ार” बना हुआ है।
