बेंगलुरु/नयी दिल्ली, 17 नवंबर (भाषा) कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार ने मुख्यमंत्री पद पर बदलाव की चर्चा के बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ अपनी मुलाकात को कोई खास तवज्जो नहीं दी।
पार्टी अध्यक्ष से अपनी मुलाकात का ब्यौरा साझा करने से परहेज करते हुए शिवकुमार ने कहा, “अगर पार्टी है तो हम सब हैं।”
यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब कर्नाटक में कांग्रेस सरकार नवंबर में ढाई साल पूरे करने जा रही है, जिसे कुछ लोग ‘‘नवंबर क्रांति’’ कह रहे हैं। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के साथ हुए ‘ढाई साल’ के कथित समझौते के अनुरूप शिवकुमार के मुख्यमंत्री बनने की अटकलें तेज़ हैं।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, अगर कांग्रेस आलाकमान मंत्रिमंडल में फेरबदल को मंज़ूरी देता है, तो यह संकेत होगा कि मौजूदा मुख्यमंत्री सिद्धरमैया अपना कार्यकाल पूरा करेंगे, जिससे शिवकुमार के इस पद पर पहुंचने की संभावनाएं कम हो जाएंगी।
खरगे से अपनी मुलाक़ात के बारे में पूछे गए सवालों पर शिवकुमार ने नयी दिल्ली में पत्रकारों से कहा, “पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का राष्ट्रीय अध्यक्ष से मिलना स्वाभाविक है। इसमें कोई ख़ास बात नहीं है। पार्टी कार्यालयों के उद्घाटन जैसे कुछ पार्टी संबंधी मामले थे, साथ ही कुछ ट्रस्ट से जुड़े मामले भी थे। इसके अलावा और कुछ नहीं था।”
मंत्रिमंडल में फेरबदल और नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच इस मुलाक़ात के बारे में पूछे गए सवाल पर उन्होंने बस इतना कहा, “कुछ नहीं… अगर पार्टी है, तो हम सब हैं।”
इस बीच, सिद्धरमैया राज्य-विशिष्ट मुद्दों पर चर्चा के लिए राष्ट्रीय राजधानी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलने वाले हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के साथ मुख्यमंत्री की बैठक के बारे में उप-मुख्यमंत्री ने कहा, “मुख्यमंत्री ने मुझे भी (शामिल होने के लिए) कहा था, लेकिन मेरी कुछ पारिवारिक प्रतिबद्धताएं हैं, मैं देखूंगा कि मैं जा सकता हूं या नहीं।”
यह पूछे जाने पर कि क्या प्रधानमंत्री के साथ मुख्यमंत्री की बैठक के दौरान राज्य की सिंचाई और जल परियोजनाओं पर चर्चा होगी, जल संसाधन विभाग का प्रभार संभाल रहे शिवकुमार ने कहा, “हमने (जल संसाधन विभाग) इस मामले पर तैयारी कर ली है और मुख्यमंत्री को सौंप दी है।”
उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक द्वारा कावेरी नदी पर मेकेदातु जलाशय परियोजना के निर्माण के खिलाफ तमिलनाडु सरकार की याचिका को बीते बृहस्पतिवार को खारिज कर दिया था और इसे ‘‘समय से पूर्व दायर की गई अर्जी’’ बताया था।