बिहार में दिसंबर में वार्षिक त्रिपिटक जप समारोह और जेठियन घाटी से राजगीर के वेणुवन के पवित्र बांस के बाग तक बुद्ध के पदचिह्नों का प्रतीकात्मक रूप से अनुसरण करने वाली एक स्मारक पदयात्रा आयोजित की जाएगी। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
बोधगया में आध्यात्मिक समागम का आयोजन ‘इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कॉन्फेडरेशन’ (आईबीसी) द्वारा संस्कृति मंत्रालय और ‘लाइट ऑफ बुद्ध धर्म फाउंडेशन इंटरनेशनल’ (एलबीडीएफआई), अमेरिका के साथ साझेदारी में किया जाएगा।
इस संबंध में एक अधिकारी ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय त्रिपिटक जप समारोह दो से बारह दिसंबर के बीच आयोजित होने की उम्मीद है, जबकि स्मारक पदयात्रा 13-14 दिसंबर को आयोजित की जाएगी। आयोजन की तारीखों की आधिकारिक घोषणा अभी बाकी है।
अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि जप समारोह विश्व के समक्ष अपनी कालातीत बौद्ध विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने की भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
बुद्ध की शिक्षाओं का संग्रह, त्रिपिटक, ‘‘प्राचीन भारत की एक स्मारकीय आध्यात्मिक, साहित्यिक और दार्शनिक विरासत’’ के रूप में विद्यमान है।
संस्कृति मंत्रालय ने कहा कि बोधि वृक्ष (वह स्थान जहां बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था) के नीचे धर्मग्रंथों का जाप वैश्विक बौद्ध परंपरा में निरंतरता और भक्ति का एक शक्तिशाली प्रतीक बना हुआ है। इस वर्ष के उत्सव को भारत के कई बौद्ध संगठनों द्वारा समर्थित किया गया है, जिसका नेतृत्व ‘इंटरनेशनल त्रिपिटक चैंटिंग कमेटी’ (आईटीसीसी) कर रही है।