बीते सप्ताह सरसों तेल, पाम-पामोलीन में गिरावट

0
oilpric

नयी दिल्ली, 16 नवंबर (भाषा) बीते सप्ताह देश के तेल-तिलहन बाजारों में सरसों तेल तथा कच्चे पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट का रुख रहा। वहीं सट्टेबाजी के कारण सरसों तिलहन, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे दाम पर किसानों की कमजोर बिकवाली की वजह से मूंगफली तेल-तिलहन और सस्ते में गुजरात में मांग बढ़ने से बिनौला तेल के दाम सुधार के साथ बंद हुए। लागत से कमजोर दाम पर बिकवाली के बीच सोयाबीन तेल के भाव पूर्व सप्ताहांत के बंद भाव पर स्थिर बने रहे।

बाजार सूत्रों ने कहा कि बीते सप्ताहांत सरकार ने खाद्य तेलों के आयात शुल्क मूल्य में कमी की है। आयात शुल्क मूल्य में की गई इस कटौती के तहत सीपीओ के शुल्क में 70 रुपये क्विंटल, पामोलीन में 182 रुपये क्विंटल तथा सोयाबीन डीगम तेल के आयात शुल्क मूल्य में 42 रुपये क्विंटल की कटौती की गई है। इस कटौती के उपरांत अधिकांश तेल-तिलहनों के दाम पर दबाव कायम हो गया।

उन्होंने कहा कि स्टॉकिस्ट की सटोरिया गतिविधियों के कारण सरसों तिलहन के दाम ऊंचा बोले जा रहे हैं और इस वजह से सरसों तिलहन के दाम में सुधार है। पर तिलहन के ऊंचे भाव की वजह से सरसों तेल का भाव भी ऊंचा हैं और इस वजह से इसकी लिवाली प्रभावित है। लिवाली कमजोर रहने की वजह से बीते सप्ताह सरसों तेल कीमतों में गिरावट देखने को मिली।

सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन तिलहन का एमएसपी 5,328 रुपये क्विंटल है जबकि यही फसल 4,400-4,600 रुपये क्विंटल के हाजिर दाम में बिक रही है। इसलिए बीते सप्ताहांत के मुकाबले सोयाबीन तिलहन में सुधार तो है पर इसे सुधार मानना उचित नहीं होगा क्योंकि हाजिर दाम अभी भी एमएसपी से काफी कमजोर हैं।

उन्होंने कहा कि दूसरी ओर, आयातक बैंकों में अपना ऋण साखपत्र ( लेटर आफ क्रेडिट या एलसी) घुमाते रहने के लिए बैंकों के ऋण का नुकसान करते हुए, आयातित सोयाबीन डीगम को लागत से कम दाम पर बंदरगाहों पर ही बेच देते हैं। उनकी वित्तीय स्थिति ऐसी नहीं है कि वे माल को रोककर अच्छे दाम मिलने का इंतजार कर सकें। लंबे समय से बाजार की हालत जैसी बनी हुई है कि उन्हें जल्दी दाम सुधरने के आसार भी नहीं दिखते। इस परिस्थिति के बीच सोयाबीन तेलों के दाम पूर्व सप्ताहांत के स्तर पर ही स्थिर बने रहे।

सूत्रों ने कहा कि मूंगफली की जाड़े में खाने की मांग है। दूसरा अच्छी गुणवत्ता वाले मूंगफली तिलहन और मूंगफली तेल की भी उच्च वर्ग के उपभोक्ताओं के बीच मांग है। मूंगफली का एमएसपी 7,265 रुपये क्विंटल है जबकि इसका हाजिर दाम एमएसपी से काफी कम यानी 6,200-6,300 रुपये क्विंटल के दायरे में है। इस नीचे दाम पर किसानों की बिकवाली कम रहने के बीच मूंगफली तेल-तिलहन के दाम में बीते सप्ताह सुधार दर्ज हुआ।

उन्होंने कहा कि जाड़े में पाम-पामोलीन तेल ठंड की वजह से जमकर ठोस हो जाते हैं और हर अगले दिन उसको उपयोग में लाने के लिए उसे गरम करते हुए पिघलाया जाता है जिसमें समय और धन दोनों जाया होता है। एक तो जाड़े में पाम-पामोलीन की मांग कमजोर रहती है दूसरा विदेशों में भी पाम-पामोलीन के दाम टूटे हैं। 20-25 दिन पहले पाम-पामोलीन का जो दाम 1,190-1,195 डॉलर प्रति टन था वह अब घटकर 1,090-1,095 डॉलर प्रति टन रह गया है। इन परिस्थितियों की वजह से बीते सप्ताह पाम-पामोलीन के दाम भी गिरावट के साथ बंद हुए।

उन्होंने कहा कि मूंगफली तेल और बिनौला तेल की ज्यादातर खपत गुजरात में होती है। मूंगफली से सस्ता होने की वजह से गुजरात में बिनौला तेल की मांग बढ़ी है जिसकी वजह से बीते सप्ताह बिनौला तेल के दाम में सुधार आया।

सूत्रों ने कहा कि सरकार अगर देश में तेल-तिलहन उत्पादन बढ़ाने की मंशा रखती है और खाद्य तेलों के आयात पर होने वालों लाखों-करोड़ों रुपये की बचत करने के बारे में गंभीर है तो उसे सबसे पहले यह सुनिश्चित करने की ओर ध्यान देना होगा कि तिलहन उत्पादन बढ़ाने में योगदान देने वाले किसानों की उपज बाजार में खपने का माहौल निर्मित हो ताकि उत्पादन बढ़ाने के अपने अभियान में किसान आगे बढ़ने को प्रेरित होते रहें। अगर उत्पादन बढ़ाने के बावजूद मौजूदा समय की तरह किसानों को एमएसपी से काफी नीचे के हाजिर दाम मिलेंगे तो ऐसे में निराश होकर किसान किसी ऐसी फसल का रुख कर लेंगे जो आसानी से बिके और हाथ के हाथ उनको लाभकारी दाम मिलें।

बीते सप्ताह सरसों दाना 25 रुपये के सुधार के साथ 7,125-7,175 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। दूसरी ओर, सरसों दादरी तेल 125 रुपये की गिरावट के साथ 14,750 रुपये प्रति क्विंटल, सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 15-15 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 2,470-2,570 रुपये और 2,470-2,505 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।

समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज के थोक भाव क्रमश: 150-150 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 4,700-4,750 रुपये और 4,400-4,500 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।

दूसरी ओर, सोयाबीन दिल्ली तेल 13,300 रुपये प्रति क्विंटल, सोयाबीन इंदौर तेल 13,000 रुपये और सोयाबीन डीगम तेल 10,150 रुपये प्रति क्विंटल पर पूर्व सप्ताहांत के बंद स्तर पर ही स्थिरता का रुख लिए बंद हुए।

समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहन की कीमतों में भी सुधार आया। मूंगफली तिलहन 275 रुपये के सुधार के साथ 6,175-6,550 रुपये क्विंटल, मूंगफली तेल गुजरात का थोक दाम 450 रुपये के सुधार के साथ 14,500 रुपये क्विंटल और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल का थोक दाम 80 रुपये के सुधार के साथ 2,370-2,670 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।

इस सुधार के उलट समीक्षाधीन सप्ताह में सीपीओ तेल का दाम 25 रुपये की गिरावट के साथ 11,300 रुपये प्रति क्विंटल, पामोलीन दिल्ली का भाव 75 रुपये की गिरावट के साथ 13,075 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 25 रुपये की गिरावट के साथ 12,075 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

सस्ते में गुजरात की मांग के बीच समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल के दाम भी 150 रुपये के सुधार के साथ 12,550 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *