प्रतिबंध खत्म होन के बाद मुक्केबाज परवीन हुड्डा की नजरें नयी बुलंदियां छूने पर

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ग्रेटर नोएडा, 15 नवंबर (भाषा) पेरिस ओलंपिक के लिये कोटा हासिल करने के बावजूद जब यह खबर पहली बार आई कि परवीन हुड्डा नहीं खेल सकेंगे तो हरियाणा की इस मुक्केबाज को कुछ समझ ही नहीं आया कि क्या हो गया है ।

वह पेरिस ओलंपिक की तैयारियों में जुटी थी और अगले ही पल उन्हें निलंबन का नोटिस थमा दिया गया जिसे उनकी सारी मेहनत पर पानी फिर गया ।

परवीन ने 2022 एशियाई चैम्पियनशिप जीती और उसी साल विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक हासिल किया । उसे बारह महीने के भीतर तीन बार ठिकाने का पता बताने में नाकाम रहने पर विश्व डोपिंग निरोधक एजेंसी (वाडा) से 22 महीने का प्रतिबंध (बाद में 14 महीने का ) झेलना पड़ा ।

इस निलंबन से भारत को 57 किलो का ओलंपिक कोटा गंवाना पड़ा । इसके साथ ही एशियाई खेलों का कांस्य पदक भी गंवाना पड़ा था ।

परवीन ने पीटीआई से कहा ,‘‘ जब यह खबर आई कि मैं ओलंपिक नहीं जा रही हूं तो मुझे समझ ही नहीं आया कि क्या हो रहा है । मुझे समझ ही नहीं आया कि क्या करूं ।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ मैने अपने आप को संभालने के लिये एक महीने का ब्रेक लिया और मानसिक रूप से चीजों पर काम किया क्योंकि जो हुआ, उसे स्वीकार करना मुश्किल था । मैने ओलंपिक के लिये काफी तैयारी की थी और अचानक मुझसे मौका छीन लिया गया ।’’

परवीन ने कहा ,‘‘ लेकिन मेरे शिविर में मनोवैज्ञानिक प्रियावृंदा मैम ने निशुल्क सत्र लिये । उन्होंने मानसिक तौर पर मेरी काफी मदद की । मेरे नियोक्ता आईटीबीपी ने उन्हें और मेरे कोच जोगिंदर सौन को मुझे अभ्यास कराने के लिये बुलाया ।’’

इसके बाद कंधे की चोट के कारण उनकी वापसी में विलंब हुआ । उन्होंने कहा ,‘‘ मुझे अभ्यास के दौरान कंधे में चोट लगी और चार पांच महीने उबरने में लग गए । वापसी मुश्किल थी लेकिन मैने हिम्मत नहीं हारी ।’’

इसके बाद उन्होंने सितंबर में अखिल भारतीय पुलिस चैम्पियनशिप में स्वर्ण जीता और अक्टूबर में बीएफआई कप में खिताब अपने नाम किया । इसके बाद राष्ट्रीय शिविर में वापसी हुई ।

विश्व मुक्केबाजी फाइनल्स कप में भाग लेने जा रही इस मुक्केबाज ने कहा ,‘‘ मैं नर्वस हूं लेकिन रोमांचित भी । मुझे खुशी है कि टीम में वापिस आ सकी और यह मौका मिला । इससे मुझे खुद को आंकने का मौका मिलेगा ।’’

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