आलस्य के विभिन्न रूप

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आज जहां विज्ञान अपनी चरम सीमा पर पहुंच रहा है, वहीं आलस्य भी उसी प्रकार उत्तरोत्तर आगे बढ़ रहा है। उस पर कोई रोक टोक नहीं है। आलस्य एक मानसिक वृत्ति है। यह मनुष्य की भूख की तरह है। इसे जितना चाहे घटा लो और जितना चाहे बढ़ा लो। यह मानव की इच्छा शक्ति पर निर्भर करता है। आज पूरे समाज में आलस्य मजबूती से अपने पैर जमा चुका है।
आलस्य का सर्वप्रथम मुख्य कारण आज के कलियुग में युवा पीढ़ी का भोजन है। इसलिए आज युवा पीढ़ी आलस्य की ज्यादा शिकार है। भोजन में पिजा,नूडल्स ,बर्गर आदि जंकफूड बच्चे,युवा अधिक पसंद करते हैं जो मोटापे को बढ़ावा देते हैं। मोटापा आलस्य का एक बड़ा कारण है। बच्चे देर रात तक पार्टियों का आनंद लेते हैं जिसके कारण सुबह समय पर उठ नहीं सकते और दिन भर शरीर में सुस्ती छाई रहती है। इस आलस्य के कारण काम समय पर नहीं होते और कार्य में श्रेष्ठता नहीं आती।
आज किसी भी कार्य में समय का नियोजन नहीं है। समय का नियोजन न होने से आलस्य हावी हो जाता है जिससे व्यवस्था बन नहीं पाती। इसी तरह आलस्य का एक अन्य रूप देखने को मिलता है। बच्चे या युवा अधिकतर लेटकर पढ़ेंगे जिससे आंखों में उनींदी या सुस्ती आ जाती है और नींद पर नियंत्राण नहीं रहता। जहां चार घंटे बैठकर आवश्यक कार्य पूरा करता था,वह वहीं का वहीं धरा रह जाता है। फिर सुबह स्कूल, कालेज या आफिस में झूठ और बचने के लिए बहाने बनाए जाते हैं जो आलस्य का ही परिणाम हैं।
आलस्य का एक प्रकार है शरीर की अस्वस्थता। अस्वस्थ होने के कारण भी आलस्य प्रधान रहता हे। रोगी हैं लेकिन आलस्य के कारण समय पर दवाई नहीं लेंगे। कौन बिस्तर से उठकर पानी का गिलास भरे और मेज से दवाई लेने जाए। चलो आज रहने दो, कल ले लेंगे,होता क्या है। अगर ब्लडप्रेशर की दवाई है तो स्वास्थ्य की हानि हो सकती है। यहां आलस्य बहुत महंगा पड़ सकता है।
आलस्य का अन्य रूप भी है। आलस्य के कारण गाड़ी चलाते समय भी सुस्ताने लगेंगे। एक हाथ से गाड़ी चलाएंगे जिससे भयंकर दुर्घटना का भय हो सकता है।
अगर आज घर में कोई मेहमान आ गया तो घर की सारी दिनचर्या में आलस्य के कारण अव्यवस्था आ जाएगी। आज तो मेहमान के साथ बैठकर गप- शप करेंगे। कौन जाए आफिस? साहब ने तो छुट्टी ली,मेमसाहब ने भी नाश्ता समय पर नहीं बनाया और बच्चों को टिफिन नहीं दिया। बच्चे भी छुट्टी के मूड में आ गए, कोई बात नहीं एक दिन छुट्टी कर ली तो क्या हुआ। क्या फर्क पड़ता है, बच्चों की टेस्ट में अनुपस्थिति लग गई। आलस्य यहां आनंददायक प्रवृत्ति के रूप में काम कर रहा है। उसका परिणाम देखने की फुर्सत किसको है।
इसी प्रकार कभी कभी आलस्य बूढ़ों में भी आना स्वाभाविक है। सवेरे महाशय जी सैर पर निकले। वहां एक पुराने दोस्त से भेंट हो गई। लगे उसके साथ अपनी वीरता की दास्तान सुनाने। क्या हुआ अगर थोड़ा आलस्य कर लिया तो। अपने आप बेटा ,बच्चों को स्कूल छोड़ आएगा। बेटा घर पर प्रतीक्षा करते हुए झल्ला रहा है तो क्या बिगड़ता है।
कभी कभी आलस्य परिवार में कलह और अशांति का कारण भी बन जाता है। आलस्य के कारण पत्नी ने कपड़़े इस्तरी  करवाकर नहीं रखे, पति को आफिस से आते ही आफिस टूर के लिए निकलना था। वो पत्नी पर बरस पड़ता है। पत्नी भी कहां चुप रहने वाली हैं। दोनों ही गुत्थम गुत्था हो जाते हैं जिसका परिणाम बच्चों पर भी बुरा पड़ता है।
एक आलस्य ही है जो स्कूल, कालेज, आफिस, घर, बाहर, हर जगह अपना डेरा जमा लेता है और सारी व्यवस्था भंग कर देता है,इसलिए यह आवश्यक है कि समय की व्यवस्था को बनाए रखें। अपनी इच्छा शक्ति को दृढ़ और मजबूत बनाएं,उसे डगमगाने मत दें या उसके अधीन मत हों अन्यथा आलस्य कभी आपका पीछा नहीं छोड़ेगा और जीवनभर पश्चाताप करते रह जाओगे और गाड़ी एक मिनट की देरी से छूट जाएगी।
आलस्य से बचने के लिए बुद्धि पर नियंत्रण रखें तो अवश्य आलस्य पर विजय पा सकेंगे। आलस्य मन की कमजोरी से हावी होता है इसलिए मन पर नियंत्रण और संयम रखें तो अवश्य आलस्य आपसे कोसों दूर भागेगा और सफलता आपके कदम चूमेगी। 

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