असुरक्षित सड़कों के प्रदेश में सड़क हादसों पर ’जीरो टॉलरेंस’

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राजस्थान, जो अपनी भव्यता और अतिथि सत्कार के लिए जाना जाता है, दुर्भाग्यवश इन दिनों सड़क हादसों के एक

 गंभीर संकट का सामना कर रहा है। हाल के दिनों में हुई सिलसिलेवार भीषण दुर्घटनाओं ने न केवल कई परिवारों को उजाड़ दिया है 

बल्कि राज्य की यातायात सुरक्षा व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

 वर्ष 2025 में, जनवरी से नवंबर की शुरुआत तक, प्रदेश में 9,000 से अधिक लोगों की सड़क दुर्घटनाओं में मौत हो 

चुकी है, जो चिंताजनक रूप से उच्च आंकड़ा है।

 

 ये आंकड़ें दर्शाते हैं कि राज्य की सड़कें अब मौत का तांडव बन चुकी हैं। वर्तमान दौर में बढते सड़क हादसों के प्रमुख कारण इस प्रकार है।

 इन दुर्घटनाओं के पीछे कई प्रमुख कारण जिम्मेदार हैं, जिन पर तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है। इन हादसों का सबसे बड़ा कारण है तेज गति से वाहन चलाना और 

यातायात नियमों की घोर अनदेखी करना जो आम बात हो गई है। हाल ही में जयपुर में हुए भीषण हादसे ने भी शराब के नशे में ओवरस्पीडिंग के भयावह परिणाम सामने आये है

जिससे अनेक मासूम लोगों की जान चली गई। नशे में वाहन चलाना न केवल चालक  बल्कि सड़क पर चल रहे अन्य लोगों के जीवन को भी खतरे में डालता है।

इसके अलावा राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों पर ब्लैक स्पॉट (दुर्घटना बहुल क्षेत्र), अवैध कट और सड़कों की खस्ताहाल स्थिति भी बड़े हादसों को न्योता देती है।

 कुछ रिपोर्टों के अनुसार, कमजोर लाइसेंस प्रणाली और परिवहन कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार अप्रशिक्षित चालकों को 

सड़कों पर आने का मौका देता है।

 इसके अलावा लंबी दूरी के ट्रक और बस चालक अक्सर ओवरटाइम ड्राइविंग करते हैं जिससे थकान के 

कारण नींद की झपकी आना और दुर्घटना होना एक बड़ा जोखिम सामने आया है।

 इसके अलावा कुछ मामलों में हाईवे के किनारे अवैध रूप से बनी पार्किंग और ढाबे यातायात बाधित करते हैं और

 दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं।

  राजस्थान में बढ रही सडक दुर्घटना को लेकर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का ’सड़क सुरक्षा विशेष अभियान’ प्रारम्भ किया है।

मुख्यमंत्री ने राजस्थान में बढ़ते सड़क हादसों को गंभीरता से लेते हुए, ’सड़क सुरक्षा विशेष अभियान’ शुरू किया है जो 4 नवंबर से शुरू हुआ और

यह 15 दिवसीय अभियान परिवहन, पुलिस और सार्वजनिक निर्माण विभाग के संयुक्त प्रयास से चलाया जा रहा है। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है

कि सड़क हादसों के प्रति ’जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाई जाएगी। अभियान के तहत लिए गए दस बड़े और सख्त फैसले लेने के निर्णय सामने आये है जिसमें शराब पीकर वाहन चलाने वालों और

ओवरस्पीड के बार-बार चालान होने पर ड्राइविंग लाइसेंस तुरंत रद्द किए जाएंगे। यातायात नियमों की लापरवाही पर अधिकारियों के खिलाफ भी कठोरतम कार्रवाई की जाएगी।

नियमों का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए इंटरसेप्टर वाहन तैनात किए जाएंगे। प्रदेश भर में चिन्हित ब्लैक स्पॉटों को शीघ्र ठीक करवाया जाएगा

और राष्ट्रीय व राज्य राजमार्गों पर अवैध कटों को बंद किया जाएगा। हाईवे के आस-पास अतिक्रमण और अवैध ढाबों व पार्किंग के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई होगी।

नो एंट्री जोन में भारी वाहन आने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। ट्रक चालकों की आंखों की जांच 15 नवंबर तक सुनिश्चित की जाएगी।

दुर्घटनाग्रस्त घायलों को तत्काल मदद पहुँचाने के लिए एडवांस लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस की व्यवस्था की जाएगी। ट्रांसपोर्ट कंपनियों की जवाबदेही तय की जाएगी,

यदि वे वाहन चालकों से ओवरटाइम ड्राइविंग करवाती हैं।

इसके अलावा यातायात नियमों की पालना और जागरूकता के लिए यह 15 दिवसीय सड़क सुरक्षा अभियान निश्चित रूप से सडक दुर्घटनाओं में कमी लाने में सफल होगा।

इन सख्त फैसलों के साथ, राजस्थान सरकार 2030 तक सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों को पचास प्रतिशत तक कम करने के अपने दीर्घकालिक लक्ष्य की ओर भी बढ़ रही है।

सही मायने में इन सडक दुर्घटनाओं को रोकने में सामूहिक प्रयास की आवश्यकता की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री का यह विशेष अभियान एक सकारात्मक कदम है

लेकिन सड़क सुरक्षा केवल सरकारी जिम्मेदारी नहीं है। हर नागरिक, ट्रांसपोर्ट कंपनी और सड़क का उपयोग करने वाले व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।

सड़क सुरक्षा नियमों का कड़ाई से पालन, वाहन चालकों को पर्याप्त आराम देना और परिवहन विभाग द्वारा नियमों का निष्पक्ष प्रवर्तन सुनिश्चित करना ही इस संकट से उबरने का एकमात्र रास्ता है।

राजस्थान को ’असुरक्षित सड़कों का प्रदेश’ की छवि से बाहर निकालने के लिए सरकार के साथ-साथ जनता के सहयोग की भी नितांत आवश्यकता है। डा वीरेन्द्र भाटी मंगल

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