राम मंदिर : अब साकार होगी राम राज्य की परिकल्पना

देश में सबको 22 जनवरी का इंतजार है। जैसे-जैसे 22 तारीख नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे देशवासियों की अधीरता बढ़ती जा रही है। वक्त काटे नहीं कट रहा है। हर सनातनी और राष्ट्रवादी देशवासी उस घड़ी का साक्षी बनने को आतुर है, जब अयोध्या के श्रीराम मंदिर में श्रीराम लला की प्राण प्रतिष्ठा होगी। सनातन संस्कृति के आस्थावान इस अवसर को दिव्य, अद्भुत, अलौकिक तथा देश के सम्मान की पुनस्र्थापना का मार्ग प्रशस्त करने वाला मान रहे हैं। आशा की जा रही है कि श्रीराम लला के अयोध्या में विराजमान होने के बाद भारत फिर से राम राज्य बनने की ओर अग्रसर होगा।


22 तारीख के इंतजार में देश में कुछ वैसा ही माहौल है, जिस प्रकार दीपावली पर्व और स्वाधीनता दिवस से पहले हुआ करता है। देश का हर नागरिक इस दिन दीप प्रज्ज्वलित करने के लिए तत्पर है। सनातन धर्म और संस्कृति में जिनकी आस्था है, उनके लिए जितना 15 अगस्त के दिन का महत्व है, उतना ही जनवरी की 22 तारीख का भी होगा। यह कोई साधारण दिन नहीं है और न ही आसानी से देखना नसीब हो रहा है। यह कई पीढिय़ों द्वारा सदियों तक किए गए प्रयासों-संघर्षों का परिणाम है। श्रीराम के प्रयोजन के लिए जिन लोगों ने अपना सर्वस्व होम कर दिया, यह उन हुतात्माओं के बलिदान का प्रतिफल है।


अयोध्या में बना यह मंदिर देश के लिए सिर्फ पूजास्थल नहीं है बल्कि यह हमारे लिए तप, त्याग और संकल्प प्रतीक और स्थायी प्रेरणापुंज  बनने जा रहा है। इसकी वजह साफ है-श्रीराम का यह भव्य मंदिर जिस आंदोलन की बदौलत आकार ले पाया है, वह अर्पण, तर्पण और संकल्प से ओत-प्रोत आंदोलन था। उसी अर्पण, तर्पण और संकल्प की बदौलत ये मंदिर कोटि-कोटि लोगों की सामूहिक संकल्प शक्ति और हमारे राष्ट्र का प्रतीक बनने जा रहा है।  जन मान्यता है कि इसी मंदिर में श्री रामलला के विराजित होने के उपरांत राम राज का शिलान्यास भी हो जाएगा। उस राम राज की आधारशिला रखी जाएगी, जिसकी परिकल्पना न जाने कब से हम भारत के लोग कर रहे हैं। सदियों की प्रतीक्षा समाप्त होने जा रही है। राम राज की परिकल्पना के साकार होने का वक्त नजदीक आ रहा है।


अभी हम जिस कालखंड में जी रहे हैं, वह भारत के लिए क्रांतिकारी, गौरवशाली और बड़े सकारात्मक बदलावों का कालखंड है। पूरी दुनिया हमारी संस्कृति को मान रही है। भारत की गौरवशाली और प्राचीन संस्कृति की तरफ लोगों का रूझान है। पाश्चात्य संस्कृति की ओर खिंचे रहने वाले युवा भी हमारी संस्कृति को पुन: अंगीकार कर रहे हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद समेत सौ से ज्यादा संस्थाएं समाज को जाग्रत कर रही हैं। निश्चय ही आने वाला समय अच्छा समय है, इसमें श्रीराम मंदिर मील का पत्थर बनने जा रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने तो अगले पच्चीस सालों में मंदिर से राम राज की यात्रा का शुभारंभ करने की तैयारी शुरू की है। इसके लिए संघ की एक महत्ती योजना है, जिसके तहत संघ अगले पच्चीस सालों में ऐसे सशक्त भारत का निर्माण करना चाहता है जिसकी बदौलत भारत एक बार पुन: विश्व गुरु बने। वर्ष 2047 में देश की आजादी के एक सौ वर्ष पूरे होने के अवसर पर आरएसएस की जो परिकल्पना है, उसे साकार करने के लिए केन्द्र बिंदू राम का मंदिर है और संघ समाज की सभी संस्थाओं को राम राज्य की परिकल्पना के अनुरूप संवैधानिक दायरे में स्थापित करने का रोड मैप बना रहा है। संघ चाहता है कि आगामी पच्चीस सालों में प्रत्येक व्यक्ति का हृदय ऐसा हो, जिसमें श्रीराम स्वयं बसें और प्रत्येक व्यक्ति अपने व्यक्तिगत एवं पारिवारिक जीवन की रचना इसी के अनुरूप करे।


आज यह सब करने की जरूरत इसलिए पड़ रही है क्योंकि अतीत मेंं समय चक्र कुछ ऐसे चला, जिससे आसुरी शक्तियां हावी हो गईं। विदेशी आक्रांताओं की वजह से एक लंबे कालखंड तक देश में प्रतिकूल हालात बने रहे। आक्रांताओं ने हमारे विशाल भवन नष्ट कर दिए। हमारे अस्तित्व के खात्मे की कोशिशें की गईं मगर वह श्रीराम को भला किस प्रकार मिटा पाते।