नयी दिल्ली, 12 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले धड़े को ‘धनुष और बाण’ चुनाव चिह्न आवंटित करने के निर्वाचन आयोग के फैसले के खिलाफ शिवसेना (उबाठा) की याचिकाओं पर 21 जनवरी को अंतिम सुनवाई करेगा।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने बुधवार को कहा कि वह 21 जनवरी से ‘‘शिवसेना चुनाव चिह्न’’ विवाद पर सुनवाई शुरू करेगी। पीठ ने कहा कि इसके बाद 22 जनवरी को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) से संबंधित इसी तरह के विवाद पर भी सुनवाई होगी, क्योंकि दोनों मामलों में कई समान मुद्दे शामिल हैं।
शीर्ष अदालत ने राजनीतिक दलों के प्रत्येक गुट की दलीलें सुनने के लिए तीन-तीन घंटे का समय भी निर्धारित किया।
उद्धव ठाकरे गुट का पक्ष रखने के लिए पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने दलील दी कि राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव होने हैं, इसलिए इस मामले की तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है। इसपर न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि भारत में राजनीतिक दल हमेशा चुनावी माहौल में रहते हैं, चाहे वे राष्ट्रीय चुनाव हों, विधानसभा चुनाव हों या फिर स्थानीय निकाय चुनाव।
शिंदे गुट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और नीरज किशन कौल पेश हुए।
शीर्ष अदालत ने 14 जुलाई को मामले की अंतिम सुनवाई तय करते हुए कहा था कि यह मुद्दा लंबे समय से लंबित है और अनिश्चितता को जारी रहने नहीं दिया जा सकता।
उद्धव गुट ने निर्वाचन आयोग के 17 फरवरी के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को ‘शिवसेना’ मूल नाम और उसका मूल चुनाव चिह्न ‘धनुष और तीर’ आवंटित किया गया है।
उद्धव ठाकरे गुट ने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष द्वारा विधायी बहुमत के आधार पर पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न दूसरे गुट को सौंपने के फैसले पर भी सवाल उठाया है और दलील दी है कि यह शीर्ष अदालत की संविधान पीठ के फैसले के विपरीत है।
महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने जनवरी 2024 में शिंदे सहित सत्तारूढ़ गुट के 16 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की शिवसेना (उबाठा) की अर्जी खारिज कर दी थी।