उबटन से निखरता है रंग-रूप

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उबटन विशुद्ध प्राकृतिक व घरेलू पदार्थों से बना वह लेप है जिसको त्वचा पर लगाने से व हथेली की रगड़ से मसलने से मैल की बत्तियां भी उतर जाती हैं। रोमछिद्रों के भीतर घुसी गन्दगी व धूल मिट्टी भी दूर होती है और त्वचा की मालिश हो जाने से रंग-रूप भी निखर आता है।
मालिश से मांसपेशियों की कठोरता दूर होती है। उनमें लचीलापन व फुलाव आता है, साथ ही रक्त संचार तेज होने से मृत त्वचा हटती है व त्वचा में नई जान, चमक, नमी व स्निग्धता आ जाती है। उबटन का एक और प्रत्यक्ष लाभ है कि इसमें प्रयुक्त हल्दी त्वचा को कील, मुहासों, चर्म रोगों से तो बचाती ही है दाग, धब्बे हटा रंग को निखारती भी है।
उबटन में घरेलू सामानों का ही प्रयोग होता है जैसे आटा या छना बेसन, सरसों का तेल या दूध की मलाई, पानी या दूध व हल्दी। चिकनी त्वचा वालों को बेसन, पानी व तेल का उबटन लगाना चाहिए ताकि अतिरिक्त चिकनाई हट सके व त्वचा साफ व चमकती हुई दिखे। शुष्क त्वचा वालों को आटा, मलाई व दूध डालकर उबटन करना ठीक रहता है खासकर सर्दियों  में।
उबटन पूरे साल निरापद रूप से किया जा सकता है। उबटन स्वतः पूरे बदन का अच्छा टॉनिक भी है, सफाई प्रसाधन भी है व मसाज भी है। यह वस्तुतः हींग लगे न फिटकरी, रंग भी चोखा आये वाली उक्ति को शब्दशः प्रमाणित कर पाने में पूर्णतः सक्षम है। घरेलू वस्तुओं के लिए न तो अतिरिक्त पैसा ही खर्च करना पड़ता है न ही बार-बार बाजार ही दौड़ना पड़ता है।
इस सबके साथ इसके द्वारा मिलने वाले बहु-आयामी लाभ के लिये ब्यूटी पार्लर जाकर वक्त भी बर्बाद नहीं करना पड़ता। उबटन हर्बल कहलाए जाने वाले सौंदर्य प्रसाधनों से भी कहीं ज्यादा सुरक्षित है। उनमें तो रंग, गंध व उन्हें संरक्षित करने वाले कैमिकल्स भी पड़ते हैं। इससे त्वचा किसी न किसी रूप में कृत्रिम साधनों के सम्पर्क में आती भी है पर उबटन में ऐसा कुछ नहीं है। सब कुछ शुद्ध है। साथ ही यह साबुन का खर्च भी घटाता है। उबटन के बाद साबुन लगाने की जरूरत ही नहीं पड़ती।
तेल, आटा, पानी व हल्दी मिलाकर गाढ़ा घोल बनाकर दो-तीन मिनट रहने दें ताकि आटा भीग जाए। घोल लगभग पकौड़ी के घोल जैसा ही रखें। ज्यादा गाढ़ा घोल दो-चार हाथ लगाते ही ज्यों का त्यों छूट जाता है जिस कारण न मैल उतर पाता है, न मालिश का प्रयोजन ही पूरा हो पाता है। चेहरे, गर्दन, हाथ-पांव पर यह घोल लगा कर हथेली के दबाव से नीचे से ऊपर से क्रम में तथा गोलाई में मलने से मैल की बारीक बत्तियां उतरने लगेंगी। त्वचा में झनझनाहट सी होने लगेगी।
जब पूरे बदन की बत्तियां उतर जाएं, तब पांच-सात मिनट ठहरकर नहाने के पानी में एक चाय का चम्मच नमक डाल रगड़ कर नहा लें। पानी अच्छी तरह बदन पर डालें। रोयेंदार तौलिये से बदन पोंछ लें। पूरा शरीर चमक, आभा व स्निग्धता से भर जाएगा।
झुर्रियां व आंखों के नीचे के काले स्याह धब्बे-उबटन से धीरे-धीरे दूर होते हैं व रोज उबटन करने से फिर पड़ते भी नहीं। त्वचा कोमल, नाजुक व मुलायम बनी रहती है। किसी भी तरह के प्रसाधन के प्रयोग के बिना भी त्वचा में स्वाभाविक चमक व आकर्षण नमी बरकरार रहती है। उम्र को जवान व तरोताजा बनाये रखने का सर्वोत्तम तरीका है उबटन।

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