नयी दिल्ली, 11 नवंबर (भाषा) नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित करने वाली शुरुआती परियोजनाओं के लिए नए प्रस्ताव मंगलवार को आमंत्रित किए। इनमें 100 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए ‘बायोमास’ का उपयोग भी शामिल है।
हरित हाइड्रोजन पर तीसरे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए मंत्री ने कहा कि कार्यान्वयन एजेंसी बीआईआरएसी (जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद) इच्छुक एजेंसियों एवं अनुसंधान संस्थानों से भागीदारी के वास्ते जल्द ही प्रस्तावों के लिए आमंत्रण जारी करेगी।
उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे ऐसे नवोन्मेषी प्रस्ताव मिलने की उम्मीद है जो हमें अपने हरित हाइड्रोजन लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद कर सकें।’’
जोशी ने कहा कि राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (एनजीएचएम) के तहत देश नवोन्मेषी प्रौद्योगिकी का विकास कर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘ हमारा सबसे अधिक ध्यान ऐसी नवीन प्रौद्योगिकियों के विकास पर है जो हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए ‘बायोमास’ या अपशिष्ट पदार्थों का उपयोग करें।’’
मंत्री ने कहा, ‘‘… मैं पायलट परियोजनाओं के लिए नए प्रस्तावों की घोषणा कर रहा हूं, जो हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए ‘बायोमास’ के उपयोग सहित अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित करते हैं।’’
जोशी ने बताया कि इन शुरुआती स्तर की परियोजनाओं के लिए कुल 100 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है जो एनजीएचएम के तहत स्टार्टअप परियोजनाओं के लिए पहले से आवंटित 100 करोड़ रुपये के अतिरिक्त है।
उन्होंने राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन का ‘लोगो’ भी जारी किया।
एनजीएचएम का उद्देश्य भारत को हरित हाइड्रोजन के उत्पादन, उपयोग एवं निर्यात का वैश्विक केंद्र बनाना है। इसका परिव्यय 19,744 करोड़ रुपये है और इसका लक्ष्य 2030 तक प्रति वर्ष 50 लाख टन हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करना है।
इसका लक्ष्य 125 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता, आठ लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश और छह लाख से अधिक हरित रोजगार उत्पन्न करना है। इसका लक्ष्य जीवाश्म ईंधन के आयात में एक लाख करोड़ रुपये की कमी और कार्बन डाईऑक्साइड के सालाना पांच करोड़ टन उत्सर्जन को कम करना भी है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2023 में इस मिशन की शुरुआत की थी।
जोशी ने साथ ही बताया कि वीओ चिदंबरनार बंदरगाह पर भारत की पहली हाइड्रोजन ‘बंकरिंग’ और ईंधन भरने की सुविधा के लिए 35 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं।
वहीं देश में चार ‘हाइड्रोजन वैली इनोवेशन क्लस्टर’ (झारखंड, ओडिशा, पुणे, केरल) हैं।
सरकार ने एकीकृत हाइड्रोजन संकुल बनाने के लिए 170 करोड़ रुपये प्रदान किए हैं।