वैश्विक एकाकीपन के बारे में लिखना चाहती थी: किरण देसाई

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लंदन, 10 नवंबर (भाषा) भारतीय लेखिका किरण देसाई ने कहा है कि वह वैश्विक एकाकीपन के बारे में एक किताब लिखना चाहती थीं, जो अमेरिका में एक छात्रा के रूप में उनके अपने “कलात्मक एकाकीपन” पर आधारित हो।

किरण देसाई ‘द लोनलीनेस ऑफ सोनिया एंड सनी’ के लिए सोमवार को लंदन में दूसरे बुकर पुरस्कार की दौड़ में हैं।

रविवार शाम को लंदन के साउथबैंक सेंटर में आयोजित एक विशेष पुरस्कार समारोह में, लेखिका देसाई (54), पांच अन्य शॉर्टलिस्ट लेखकों के साथ अपने उपन्यासों के विषय पर चर्चा और वाचन में शामिल हुईं, जिसने विश्व के सबसे प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कारों में से एक के निर्णायक मंडल को प्रभावित किया।

देसाई ने 2006 में ‘द इनहेरिटेंस ऑफ़ लॉस’ के लिए 50,000 पाउंड का पुरस्कार जीता था। उसके बाद से ही वह इस उपन्यास पर काम कर रही थीं।

देसाई ने कहा, ‘‘मैं एक लंबी, अनसुलझी प्रेम कहानी के माध्यम से वैश्विक एकाकीपन के बारे में एक किताब लिखना चाहती थी।’’

इस उपन्यास को लिखने में लगे लंबे समय के एकांतवास के बारे में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा, “कलात्मक एकाकीपन मेरे अंदर बहुत पहले ही आ गया था, जब मैं एक विदेशी छात्रा थी और पहली बार भारत से बाहर निकली थी तथा वर्मोंट के कॉलेज में लिखना शुरू किया था।”

उन्होंने कहा, ‘‘तो शायद यह पुस्तक की शुरुआत थी, पहली बार अकेले होने का अहसास, लेकिन उस उत्कृष्ट कलात्मक एकाकीपन का अनुभव भी, आप पर कोई नजर नहीं, पूरी तरह से बेपरवाह… मैं पुस्तक लिखते समय बहुत अकेली थी, लेकिन मैं इस पुस्तक को लिखते हुए बहुत खुश भी थी; यह एक साथी की तरह लगा।’’

667 पृष्ठों वाले देसाई के उपन्यास को निर्णायकों ने अमेरिका में रहने वाले दो युवा भारतीयों की एक “विशाल और गहन” कहानी बताया है। अगर वह पुरस्कार जीत जाती हैं, तो लेखिका बुकर पुरस्कार के 56 साल के इतिहास में पांचवीं बार दोहरी विजेता बन जाएंगी।

नयी दिल्ली में जन्मी और पली-बढ़ी देसाई 15 साल की उम्र में अपने परिवार के साथ ब्रिटेन चली गईं और फिर अमेरिका चली गईं। उसके बाद से वह वहीं रह रही हैं। इस पुरस्कार से उनका पारिवारिक इतिहास जुड़ा हुआ है, उनकी मां अनीता देसाई को तीन बार बुकर पुरस्कार के लिए शार्टलिस्ट किया गया था।

बुकर निर्णायकों ने ‘द लोनलीनेस ऑफ़ सोनिया एंड सनी’ के बारे में कहा है, ‘‘यह दो लोगों के प्यार और एक-दूसरे तक पहुंचने की यात्रा के बारे में एक अंतरंग और व्यापक महाकाव्य है। जाति, वर्ग और राष्ट्रवाद पर गहरी चिंतनशीलता से परिपूर्ण, इस किताब में सब कुछ है।’’

बड़े पुरस्कार के लिए प्रतिस्पर्धा करने वाली अन्य कृतियों में अमेरिकी कोरियाई लेखिका सुसन चोई की ‘फ्लैशलाइट’, अमेरिकी जापानी लेखिका केटी कितामुरा की ‘ऑडिशन’, ब्रिटिश अमेरिकी बेन मार्कोविट्स की ‘द रेस्ट ऑफ आवर लाइव्स’, हंगेरियन ब्रिटिश डेविड स्जाले की ‘फ्लेश’ और अंग्रेजी उपन्यासकार एंड्रयू मिलर की ‘द लैंड इन विंटर’ शामिल हैं।

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