अहमदाबाद, सात नवंबर (भाषा) गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने शुक्रवार को राष्ट्र गीत ‘वंदे मातरम’ को भारत की आत्मा एवं प्रेरणा का स्रोत बताते हुए कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दिनों से लेकर अब तक इसने लोगों के दिलों में एक विशेष स्थान बना रखा है।
इससे पहले, पटेल ने गांधीनगर में विधानसभा परिसर में बंकिमचंद्र चटर्जी द्वारा लिखे गए राष्ट्र गीत की 150वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में राज्य सरकार द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम की अध्यक्षता की।
एक विज्ञप्ति में बताया गया कि कार्यक्रम के दौरान राष्ट्र गीत का सामूहिक गायन और स्वदेशी अपनाने की सामूहिक शपथ ली गई। विधानसभा अध्यक्ष शंकर चौधरी भी कार्यक्रम में शामिल हुए।
मुख्यमंत्री ने ‘वंदे मातरम’ के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे विकास का मार्ग, दृढ़ राष्ट्रीय जीवन की मार्गदर्शक शक्ति और भारत के स्वतंत्रता की धड़कन बताया है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में देश भर में आयोजित हो रहे समारोहों ने 140 करोड़ भारतीयों में ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना को फिर से जगाया है। पटेल ने कहा कि मोदी ने वंदे मातरम को भारत का गौरव, गरिमा और वैभव बताया है।
मुख्यमंत्री के अनुसार, ‘‘वंदे मातरम गीत में मां भारती की जो दृष्टि दर्शायी गयी है उसे मोदी ने गरीबों और वंचितों के लिए ठोस पहल और कल्याणकारी उपायों के माध्यम से साकार किया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘वंदे मातरम केवल एक गीत नहीं है – यह भारत की आत्मा की आवाज़ है, देशभक्ति का एक पवित्र गीत है जो प्रत्येक भारतीय के हृदय में असीम ऊर्जा, भक्ति और दृढ़ संकल्प का संचार करता है।’’
मुख्यमंत्री ने नागरिकों से स्वदेशी के मुद्दे को मजबूत करने और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ने की अपील की।
स्वदेशी और ‘वंदे मातरम’ के बीच ‘गहरे संबंध’ पर प्रकाश डालते हुए, पटेल ने कहा कि 1906 में अहमदाबाद में स्वदेशी उत्पादों की एक प्रदर्शनी के दौरान, गुजरात की धरती पर पहली बार वंदे मातरम गाया गया था।