अमित एक दिन अपने घर से मथुरा के लिए चला, वह अकेला ही था, राजधानी में उसे कोई स्मरण हो आया, सो अन्तर्राज्यीय बस अड्डे से रिक्शा में बैठकर निकटवर्ती मार्केट में जाने लगा। छोटे से मार्ग में ही रिक्शा वाले ने किसी अन्य व्यक्ति को सवारी के रूप में बिठा लिया।
दोनों सवारियों के बीच वार्तालाप हुआ, दूसरी सवारी ने अमित के सामने बिस्किट का पैकेट खोला, एक बिस्किट लेने का अनुरोध किया, अमित इंकार न कर सका, परिणामस्वरूप अमित बेहोश हो गया। जब उसे अस्पताल में होश आया तो ज्ञात हुआ कि घर से निकले हुए चार दिन हो चुके है, घर वाले उसकी गुमशुदगी को लेकर परेशान हैं।
दूसरी घटना अंतर्राज्यीय बस अड्डे की ही है। एक व्यक्ति ढाई सौ किलोमीटर की यात्रा के लिए बस में सवार हुआ। उसकी बगल में जो व्यक्ति आकर बैठा, वह उसी के समान कद-काठी और उम्र वाला था। बातों का सिलसिला शुरू हुआ, उसने पहले व्यक्ति से पूछा- कहां जाना है, प्रत्युत्तर में पहले व्यक्ति ने कहा- अमुक स्थान पर जाना है। दूसरे व्यक्ति ने आत्मीय भाव जताया और कहा- भइया.. हमें भी तुम्हारे से अगले पड़ाव तक जाना है, फिर क्या था, बातचीत जारी रही। पहले यात्री ने दूसरे यात्री के सम्मुख चाय की पेशकश की, दोनों ने साथ बैठकर चाय पी, तदुपरांत बस गंतव्य हेतु चल पड़ी मार्ग में दूसरे यात्री ने बिस्किट का पैकेट खोला, पहले यात्री के सम्मुख प्रस्तुत किया, बातें इतनी आत्मीय हो रही थीं कि पहला यात्री इंकार नहीं कर सका, परिणाम फिर वही। उसे स्मरण नहीं कि बस कहां चल रही है, जब होश आया तो स्वयं को अस्पताल में पाया। होश आने पर स्वयं को पुलिस के सवालों से घिरा पाया।
उपरोक्त प्रकार की घटनाएं देश में आम हो गई हैं। रेलवे में ऐसे गिरोह अधिक सक्रिय हैं जो बातों ही बातों में यात्रियों को फंसाते हैं तथा नशीले पदार्थ खिलाकर यात्रियों को लूट लेते हैं। मार्ग में कब कोई लुटेरा किस रूप में मिल जाए कहा नहीं जा सकता। प्रश्न बार बार यही उठता है कि किसी भी अनजान व्यक्ति पर विश्वास कैसे किया जाए। इसलिए आवश्यक है कि यात्रा पर जाने से पूर्व अपनी सामान्य आवश्यकताओं की वस्तुओं को साथ लेकर चला जाए ताकि किसी अन्य यात्री से कुछ मांगने या उससे कुछ स्वीकारने की आवश्यकता ही न रहे। मार्ग में अत्यधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है। जहरखुरानी गिरोह से बचने के लिए निम्नानुसार उपाय किए जा सकते हैं-
1. सफर में किसी भी यात्री पर अधिक विश्वास न करें। यदि कोई यात्री आपसे अधिक सहानुभूति जताने का प्रयास कर रहा है, तो सचेत रहें। अवश्य ही उसका इरादा संदिग्ध हो सकता है।
2. यात्रा में कीमती सामान लेकर न चलें। साथ लेकर चल रहे हैण्डबैग या अटैची, सूटकेस में अधिक कीमती वस्तुएं कदाचित न रखें। जहां भी अपने सामान को रखें, बार-बार यदा-कदा उस पर नजर रखते रहें। हो सके तो रेल में सफर करते समय जंजीर ताले से उसे बांध कर रखें।
3. किसी भी यात्री के सम्मुख अपनी यात्रा का नियत स्थान न बताएं। न ही अपनी यात्रा का मन्तव्य स्पष्ट करें। हो सकता है कि अनजान व्यक्ति आपके बारे में जानकारी करके आपको कुछ हानि पहुंचा दे।
4. अपने घर-परिवार का कोई किस्सा किसी के सम्मुख यात्रा में न कहें। यदि समय अधिक है तथा दो यात्रियों के बीच आप किसी वार्ता में भाग ले रहे हैं तो घर-परिवार का किस्सा इस तरीके से सुनाएं जैसे कि आप किसी दूर के परिचित का किस्सा सुना रहे हों।
5. किसी भी यात्री के भरोसे अपना सामान छोड़कर चहलकदमी करने के लिए किसी स्टेशन पर बाहर न घूमें, स्टेशनों पर विशेष सतर्कता बरतें।
6. किसी भी अपरिचित व्यक्ति से कोई पेय पदार्थ या बिस्किट ग्रहण न करें। हो सकता है कि उसमें कोई नशीला पदार्थ मिला हो।
यात्रा के समय स्वयं को सामान्य बनाए रखें। तटस्थता का भाव सर्वथा सर्वोपरि होना चाहिए। मार्ग में यात्रा के उद्देश्यों तक ही स्वयं को सीमित रखें। किसी भी यात्री के प्रति अपनाया जाने वाला सहानुभूति पूर्ण रुख भी कई बार आपको परेशानी में डाल सकता है। स्वयं को तटस्थ बनाकर यात्रा करेंगे तो अनेक समस्याओं से स्वयं ही छुटकारा मिल जाएगा।