पारिवारिक पृष्ठभूमि शासन करने की काबिलियत तय नहीं करती: आरिफ मोहम्मद खान

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श्रीनगर, पांच नवंबर (भाषा) बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने बुधवार को इसकी पुष्टि की कि राज्य विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं और उन्होंने चुनाव को लोकतंत्र का उत्सव बताया।

खान ने शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस सेंटर (एसकेआईसीसी) में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘कल मतदान का दिन है और तैयारियों को पहले ही अंतिम रूप दे दिया गया है। मुझे विश्वास है कि हमारे देश में लोकतंत्र बहुत मजबूत हो गया है।’’

खान ने चुनावों को लोकतंत्र का उत्सव बताते हुए कहा कि किसी की पारिवारिक पृष्ठभूमि यह तय नहीं करती कि कौन शासन कर सकता है।

उन्होंने कहा, “सरकार चलाने वाला व्यक्ति मतपेटी के जरिये चुना जाता है। उन्हें भारत और राज्यों की जनता से एक निश्चित अवधि के लिए जनादेश मिलता है। वे संप्रभु नहीं हैं, इस देश की जनता संप्रभु है।’’

खान ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उदाहरण देते हुए कहा कि देश के सर्वोच्च पदों पर उनका आसीन होना एक शक्तिशाली संदेश देता है: कोई भी व्यक्ति क्या हासिल कर सकता है, इसकी कोई सीमा नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘इससे आम आदमी, खासकर युवाओं को क्या संदेश जाता है? यह दर्शाता है कि हमारे पास एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें आप कितनी भी ऊंचाई तक पहुंचने की आकांक्षा रख सकते हैं, इस पर कोई प्रतिबंध नहीं है। हालांकि, आपको लोगों का विश्वास अर्जित करना होगा। उसके बाद, कोई सीमा नहीं है।”

केंद्र शासित प्रदेश के तहत जम्मू कश्मीर में दोहरी सत्ता प्रणाली और राज्य का दर्जा बहाल नहीं होने के बारे में पूछे जाने पर, खान ने स्वीकार किया कि कश्मीर के लिए ऐसी दर्दनाक परिस्थितियों का सामना करना दुर्भाग्यपूर्ण है।

उन्होंने 1947 के विभाजन का हवाला देते हुए कहा कि कई लोगों ने कष्ट झेले हैं, वहीं कश्मीर के लोगों ने इसकी सबसे बड़ी कीमत चुकाई है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री सहित सभी लोग जम्मू कश्मीर में शांति चाहते हैं और राज्य का दर्जा बहाल होने की कामना करते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हम यह सोचकर लापरवाह नहीं हो सकते कि समस्याएं केवल कश्मीर में ही उत्पन्न होती हैं। हम सभी चिंतित हैं और सामान्य स्थिति चाहते हैं। जैसा कि आपने (राज्य के दर्जे के संबंध में) बताया, यह भारत में सभी की इच्छा है। प्रधानमंत्री चाहते हैं कि कश्मीर को अपने फैसले लेने की स्वायत्तता मिले।’’

हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि सामान्य स्थिति स्थापित होनी चाहिए, “ताकि यहां भी स्थिति सामान्य हो सके।”

उन्होंने कहा, ‘‘यह आपके और हमारे बीच एक सामूहिक प्रयास है कि ऐसी परिस्थितियां बनाई जाएं जहां कश्मीर में भी कानून का शासन उसी तरह कायम रहे जैसा कि अन्य जगहों पर है।’’

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