नयी दिल्ली, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) के मामले में डीमैट प्रारूप में निवेश रखने तथा संरक्षक की नियुक्ति को लेकर सोमवार को दिशानिर्देश जारी किए।
नये दिशानिर्देशों के तहत अगर सेबी ने छूट नहीं दी है तो एआईएफ को अपने निवेश को डीमैट यानी डिजिटल तरीके से रखना आवश्यक है।
सेबी ने एक परिपत्र में कहा कि एक अक्टूबर, 2024 से प्रभावी नई व्यवस्था के तहत इस तिथि के बाद एआईएफ की तरफ से किया गया कोई भी निवेश डीमैट रूप में रखना होगा।
हालांकि, इस तिथि से पहले किए गए निवेश को कुछ मामलों में छूट दी गयी है। लेकिन निवेश कंपनी को कानूनी रूप से डीमैट में रखने की जरूरत है या जब एआईएफ अकेले या अन्य सेबी पंजीकृत संस्थाओं के साथ, निवेश वाली कंपनी पर नियंत्रण रखता है, उन मामलों में उसे डीमैट में ही निवेश रखने जरूरत होगी।
सेबी ने यह भी कहा कि एक अक्टूबर, 2024 से पहले किये गये निवेश अगर इन दो शर्तों के तहत आते हैं, उन्हें 31 जनवरी, 2025 तक डीमैट रूप में रखना होगा।
इसके अलावा, उन एआईएफ योजनाओं के लिए छूट है, जहां योजना 31 जनवरी, 2025 को या उससे पहले परिपक्व हो रही है। या परिपत्र की तारीख के अनुसार विस्तारित अवधि वाली योजनाएं हैं।
इसके साथ ही एआईएफ के प्रायोजक या प्रबंधक को वैकल्पिक निवेश कोष की प्रतिभूतियों की सुरक्षा के लिए बोर्ड के साथ पंजीकृत एक संरक्षक नियुक्त करना आवश्यक है।
संरक्षक, प्रायोजक या प्रबंधक का सहयोगी होगा। वह केवल कुछ निर्दिष्ट शर्तों के तहत संरक्षक के रूप में कार्य कर सकता है।