‘दरबार स्थानांतरण’ की परंपरा फिर शुरू होने पर जम्मू में मुख्यमंत्री का गर्मजोशी से स्वागत

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जम्मू, तीन नवंबर (भाषा) जम्मू कश्मीर में चार साल के अंतराल के बाद ऐतिहासिक ‘दरबार स्थानांतरण’ (दरबार मूव) परंपरा फिर से शुरू होने पर सोमवार को जम्मू के लोगों ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का उत्साहपूर्वक स्वागत किया।

इस परंपरा के तहत जम्मू कश्मीर की राजधानी और प्रशासनिक कार्यालय सर्दी के मौसम में श्रीनगर से जम्मू और गर्मी में जम्मू से श्रीनगर स्थानांतरित किए जाते हैं।

अपने सरकारी आवास से मुख्यमंत्री के रघुनाथ बाजार होते हुए सिविल सचिवालय पहुंचने के मार्ग में रेजीडेंसी रोड पर उमड़ी भीड़ ने अब्दुल्ला का स्वागत किया, जहां व्यापारियों और आम नागरिकों ने उन पर फूल बरसाए। ढोल-नगाड़ों और जश्न के नारों के बीच मिठाइयां बांटी गईं।

उप मुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी और जलशक्ति मंत्री जावेद राणा के साथ अब्दुल्ला सुबह करीब नौ बजे अपने सरकारी आवास से निकले। सचिवालय पहुंचने के लिए उन्हें रघुनाथ बाजार से अपने वाहन पर सवार होना पड़ा।

अब्दुल्ला के पैदल आने के फैसले की स्थानीय लोगों ने सराहना की जिन्होंने इसे उनकी विनम्रता और लोगों से जुड़ाव का प्रतीक माना।

मुख्यमंत्री को जम्मू कश्मीर पुलिस की टुकड़ी ने सलामी गारद दिया और सिविल सचिवालय पहुंचने पर उन्होंने सलामी ली जहां लोगों का एक और समूह ढोल बजाते हुए उनका इंतजार कर रहा था और अब्दुल्ला के काफिले को देखकर फिर से फूल बरसाए।

मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘आज जब मैं अर्द्धवार्षिक दरबार स्थानांतरण के लिए जम्मू पहुंचा तो मुझे जम्मू के लोगों का गर्मजोशी से भरा और जोशीला स्वागत पाकर बहुत खुशी हुई। मैंने शहीदी चौक और रघुनाथ बाजार में व्यापारियों और नागरिक संगठन के सदस्यों से बातचीत की।’’

‘दरबार स्थानांतरण’ की शुरुआत लगभग 150 साल पहले डोगरा शासकों ने की थी। उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने प्रशासन के ई-ऑफिस में पूरी तरह से बदलाव का हवाला देते हुए जून 2021 में इस पर रोक लगा दी थी। सिन्हा ने कहा था कि इससे सालाना लगभग 200 करोड़ रुपये की बचत होगी।

जम्मू के व्यापारिक समुदाय समेत विभिन्न वर्गों ने इस फैसले की तीखी आलोचना करते हुए इस प्रथा को फिर से शुरू करने पर जोर दिया था और इसे व्यापार एवं दोनों क्षेत्रों के बीच पारंपरिक संबंधों के लिए एक झटका बताया था।

अब्दुल्ला ने 16 अक्टूबर को फिर से ‘दरबार स्थानांतरण’ की शुरुआत करके अपना चुनावी वादा पूरा किया जिससे यहां के व्यापारी समुदाय को राहत मिली।

दरबार स्थानांतरण के तहत श्रीनगर में सिविल सचिवालय और अन्य स्थानांतरित कार्यालय 30 और 31 अक्टूबर को बंद हो गए और सोमवार को अगले छह महीनों के लिए शीतकालीन राजधानी से काम शुरू कर दिया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘यह (फैसला) खासकर जम्मू के लिए कितना महत्वपूर्ण था, यह आपको आज सुबह पता चल गया होगा। मेरे आधिकारिक आवास से सिविल सचिवालय तक का सफर आमतौर पर पांच मिनट का होता है, लेकिन इसमें एक घंटे का समय लग गया क्योंकि लोग सड़कों पर उमड़ पड़े और उन्होंने अपना प्यार बरसाया… ‘दरबार स्थानांतरण’ रोके जाने से जम्मू पर बहुत बुरा असर पड़ा।’’

अब्दुल्ला ने आशा व्यक्त की कि इस कदम से जम्मू कश्मीर की अर्थव्यवस्था को लाभ होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘सबसे जरूरी बात यह है कि हर चीज को पैसों से नहीं तौला जाना चाहिए। ‘दरबार स्थानांतरण’ पैसे बचाने के लिए रोका गया था। कुछ चीजें पैसों से बढ़कर होती हैं क्योंकि इसमें जम्मू कश्मीर के दोनों क्षेत्रों के लोगों की भावनाएं और एकता शामिल होती है।’’

उन्होंने कहा कि यह परंपरा दोनों क्षेत्रों को एकजुट करने का ‘‘सबसे बड़ा तरीका’’ है।

जम्मू चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष अरुण गुप्ता मुख्यमंत्री का स्वागत करने वाले पहले व्यक्तियों में शामिल थे।

गुप्ता ने कहा, ‘‘यह हमारे लिए एक ऐतिहासिक दिन है और मुख्यमंत्री का गर्मजोशी से किया गया स्वागत इसकी गवाही देता है। व्यापारियों और नागरिक संगठन की मांग को पूरा करने के कारण हमने उनका धन्यवाद करने का निर्णय लिया।’’

गुप्ता ने ने इस शुरुआत को एक बड़ा कदम बताया जो सभी क्षेत्रों के विकास में मदद करेगा।

उन्होंने कहा कि ‘दरबार स्थानांतरण’ को रोकने से जम्मू को काफी नुकसान हुआ है।

उन्होंने कहा, ‘‘जम्मू के लोग इस फैसले से बहुत खुश हैं और हमें उम्मीद है कि हमारे मुख्यमंत्री उद्योग जगत से संबंधित विभिन्न समस्याओं से जुड़ी हमारी सभी लंबित मांगों पर भी ध्यान देंगे।’’

नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला भी सचिवालय पहुंचे और सलामी गारद समारोह के साक्षी बने। उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले से जम्मू में रौनक आ गई है।

उन्होंने कहा, ‘‘वर्षों बाद पूर्ण ‘दरबार स्थानांतरण’ की वापसी हुई है… मुझे बहुत खुशी है कि जो लोग जम्मू कश्मीर को अलग करने की कोशिश कर रहे थे वे आज नाकाम हो गए। जम्मू कश्मीर एक इकाई है और इससे जम्मू को बहुत लाभ होगा।’’

उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सरकार अगले चार वर्षों में लोगों के लाभ के लिए अपने सभी चुनावी वादे पूरे करेगी।

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