मराठी भाषा का संरक्षण उसकी संस्कृति को बचाने के लिए महत्वपूर्ण: लेखक विश्वास पाटिल

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ठाणे, दो नवंबर (भाषा) प्रख्यात लेखक और पूर्व नौकरशाह विश्वास पाटिल ने कहा है कि मराठी भाषा का अस्तित्व उसकी संस्कृति और साहित्य की समृद्धि को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।

पाटिल को जनवरी 2026 में सतारा में आयोजित होने वाले 99वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।

ठाणे महानगरपालिका (टीएमसी) द्वारा शनिवार शाम को लेखक को सम्मानित करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, “हमारा साहित्य और संस्कृति आज की तरह पहले कभी खतरे के कगार पर नहीं था। मराठी संस्कृति के अस्तित्व के लिए मराठी भाषा का अस्तित्व आवश्यक है। हमें अपनी मराठी भाषा, मराठी स्कूलों और मराठी साहित्य को बचाने के लिए सामूहिक रूप से लड़ना होगा।”

उन्होंने कहा कि मराठी को संरक्षित करना केवल एक सांस्कृतिक कार्य नहीं है, बल्कि एक सामाजिक आंदोलन है जो लोगों की ओर से होना चाहिए।

पाटिल ने कहा, “किसी भी परिस्थिति में मराठी स्कूल बंद नहीं होने चाहिए। अगर किसी मराठी स्कूल में केवल एक ही छात्र हो, तो उस छात्र को अवश्य पढ़ाया जाना चाहिए और स्कूल चलता रहना चाहिए। ऐसे ही छात्र से संत तुकाराम या संत ज्ञानेश्वर उभर सकते हैं।”

सांस्कृतिक विकास में अधिकाधिक जन भागीदारी का आह्वान करते हुए पाटिल ने कहा कि स्थानीय साहित्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए “महाराष्ट्र के प्रत्येक तालुका में कम से कम दो से तीन ‘मराठी भवन’ बनाए जाने चाहिए।”

साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता पाटिल की साहित्यिक विरासत समृद्ध है। उनकी कृतियों में पानीपत और जदाजादती जैसी कृतियां शामिल हैं।

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