विनिर्माताओं की मांग, इस्पात आयात रोकने के लिए और उपाय करे सरकार

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नयी दिल्ली, दो नवंबर (भाषा) इस्पात विनिर्माताओं ने सरकार से चीन सहित चुनिंदा देशों से बढ़ते आयात पर लगाम लगाने के लिए और कदम उठाने का आग्रह किया है। चीन ने जनवरी-सितंबर की अवधि में 74.63 करोड़ टन कच्चे इस्पात का उत्पादन किया है, जो घरेलू उत्पादन का छह गुना से भी अधिक है।

वैश्विक निकाय विश्व इस्पात संघ (वर्ल्डस्टील) के अनुसार, भारत ने जनवरी-सितंबर में 12.24 करोड़ टन कच्चे इस्पात का उत्पादन किया है। जबकि अकेले सितंबर में चीन ने 7.35 करोड़ टन कच्चे इस्पात का उत्पादन किया है, जो घरेलू उत्पादन 1.36 करोड़ टन का पांच गुना है।

बाजार के आंकड़ों के अनुसार, स्टेनलेस स्टील भी 75 लाख टन की कुल स्थापित क्षमता के 100 प्रतिशत क्षमता उपयोग तक नहीं पहुंच पा रहा है। आयात के प्रभाव के कारण यह केवल 60 प्रतिशत के आसपास बना हुआ है।

सरकार ने घरेलू इस्पात उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता की रक्षा के लिए आयात पर अंकुश लगाने के कई उपाय किए हैं।

पिछले कुछ वर्षों में, इस्पात मंत्रालय ने 100 से ज्यादा गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यूसीओ) जारी किए हैं, जो भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) का अनुपालन नहीं करने वाले इस्पात उत्पादों को भारतीय बाजार में प्रवेश से रोकते हैं।

इस साल जून में जारी क्यूसीओ ने कुछ इस्पात उत्पादों के इनपुट के आयात पर भी प्रतिबंध लगा दिया था।

एक उद्योग विशेषज्ञ ने कहा, ‘‘घटिया और सस्ती सामग्री को देश में आने से रोकने के लिए क्यूसीओ की वैधता बढ़ाई जा सकती है।’’

उद्योग विशेषज्ञ ने कहा कि सरकार इस्पात और स्टेनलेस स्टील, दोनों ही घरेलू उद्योगों की सुरक्षा के लिए इसी तरह के और भी उपाय कर सकती है, जो सरकार की आत्मनिर्भर भारत पहल के अनुरूप भविष्य की मांग को पूरा करने के लिए क्षमता बढ़ाने को करोड़ों रुपये का निवेश करने की योजना बना रहे हैं।

मार्च में, वाणिज्य मंत्रालय की जांच इकाई व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) ने घरेलू उत्पादकों को आयात में वृद्धि से बचाने के उद्देश्य से कुछ इस्पात उत्पादों पर 200 दिन के लिए 12 प्रतिशत अस्थायी रक्षोपाय (सेफगार्ड) शुल्क लगाने की सिफारिश की थी।

इसके बाद स्टेनलेस स्टील उद्योग ने भी स्टेनलेस स्टील के आयात की जांच के लिए सरकार से संपर्क किया क्योंकि रक्षोपाय शुल्क उनकी चिंताओं को दूर नहीं करता था।

एक सूत्र ने बताया कि नीति आयोग की एक उच्चस्तरीय समिति अगले सप्ताह आयात के मुद्दे पर इस्पात उद्योग के दिग्गजों से मुलाकात कर सकती है।

‘बिगमिंट’ के आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर में घरेलू इस्पात की कीमतें पांच साल के निचले स्तर पर आ गईं, जिसके लिए बढ़ते आयात सहित कई कारक जिम्मेदार थे।

इस बीच, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इस्पात आयात में वृद्धि की ओर इशारा किया है, जो मुख्यतः कम आयात कीमतों के कारण है। इसने घरेलू इस्पात उत्पादन की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत समर्थन का भी आह्वान किया है।

इस साल सितंबर में, भारत ने 7.9 लाख टन तैयार इस्पात का आयात किया, जो अगस्त के 6.9 लाख टन से अधिक है। इससे देश लगातार छठे महीने शुद्ध इस्पात आयातक बना रहा।

दक्षिण कोरिया, रूस और इंडोनेशिया से आयात बढ़ा, जबकि चीन, जापान, वियतनाम, थाइलैंड और ताइवान की हिस्सेदारी में सितंबर, 2024 की तुलना में गिरावट आई।

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