नए वित्तीय उपायों के क्रियान्वयन को लेकर आश्वस्त: मंत्री के एन बालगोपाल

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तिरुवनंतपुरम, 30 अक्टूबर (भाषा) केरल के वित्त मंत्री के. एन. बालगोपाल ने बृहस्पतिवार को कहा कि राज्य सरकार को एक दिन पहले घोषित किए गए वित्तीय पैकेजों को लागू करने पर पूरा भरोसा है और वह अपने “दायित्वों और आश्वासनों से मुंह नहीं मोड़ेगी।”

हालांकि, कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी यूडीएफ ने आरोप लगाया कि “एलडीएफ सरकार लोगों को बेवकूफ बना रही है” और आगामी स्थानीय निकाय चुनावों को ध्यान में रखते हुए ये नई घोषणाएं की गई हैं।

बालगोपाल ने सुबह पत्रकारों से बातचीत में कहा कि कल घोषित किए गए वित्तीय उपाय — जिनमें सामाजिक सुरक्षा पेंशन में वृद्धि, आशा कार्यकर्ताओं के मानदेय में बढ़ोतरी और महिलाओं की सुरक्षा के लिए नई योजना शामिल है — ऐसे समय में लागू किए जा रहे हैं ‘‘जब केंद्र सरकार के वित्तीय प्रतिबंधों के कारण राज्य आर्थिक कठिनाइयों का सामना कर रहा है।’’

उन्होंने कहा, “नए पैकेजों से राज्य पर बोझ बढ़ेगा और इन्हें लागू करना कठिन होगा, लेकिन हमें विश्वास है कि हम इसे कर पाएंगे। हम कभी ऐसे वादे या घोषणाएं नहीं करते जिन्हें पूरा न कर सकें।”

मंत्री ने यह भी बताया कि राज्य सरकार के कर्मचारी इस वित्तीय वर्ष में ही अपने डीए-डीआर वृद्धि की तीन किस्तें प्राप्त करेंगे, जिससे वे संतुष्ट हैं।

स्थानीय निकाय चुनावों से पहले केरल की वाम सरकार ने बुधवार को कई वित्तीय उपायों का ऐलान किया था। इसमें सामाजिक सुरक्षा और कल्याण पेंशन 1,600 रुपये से बढ़ाकर 2,000 करने, आशा कार्यकर्ताओं के मासिक मानदेय में 1,000 रुपये की वृद्धि और गरीब परिवारों की महिलाओं को आर्थिक सहायता देने के लिए नई योजना शुरू करने की घोषणा शामिल है।

केंद्रीय राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन ने इन वित्तीय पैकेजों को “चुनाव के समय की लोकलुभावन घोषणाएं” करार दिया।

उन्होंने कहा, “हम हर चुनाव से पहले ऐसी घोषणाएं देखते हैं। इसमें कुछ नया नहीं है।”

इसी तरह, राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वी. डी. सतीशन ने कहा कि एलडीएफ ने 2021 के विधानसभा चुनावों के दौरान सामाजिक सुरक्षा पेंशन 2,500 रुपये करने का वादा किया था।

उन्होंने आरोप लगाया, “लेकिन साढ़े चार साल बीत जाने के बाद भी सरकार ने इस दिशा में कुछ नहीं किया। अब जब चुनाव नजदीक हैं, तो उन्होंने मात्र 400 रुपये की वृद्धि की घोषणा की है। वास्तव में, लाभार्थियों को 2021 से 900 रुपये की बढ़ोतरी से वंचित किया गया है।”

सतीशन ने कहा कि वाम सरकार अब तक “लोगों को मूर्ख बना रही थी” और जनता उनके इस नए प्रयास को “गलत दिशा में मोड़ने की कोशिश” के रूप में देखेगी।

उन्होंने कहा कि आशा कार्यकर्ताओं, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं, प्री-प्राइमरी शिक्षकों, कुकिंग स्टाफ और अन्य के मानदेय में की गई बढ़ोतरी “ज्यादातर मामलों में प्रति दिन केवल 33 रुपये” की है।

उनका कहना था कि ये कदम न केवल “चुनावी रणनीति” के तहत उठाए गए हैं, बल्कि माकपा को पीएम-श्री के मुद्दे पर मिले झटके से ध्यान भटकाने के लिए भी उठाए गए हैं।

इस बीच, राज्य सचिवालय के बाहर 250 दिन से अधिक समय से प्रदर्शन कर रहीं आशा कार्यकर्ताओं के समूह ने कहा कि उनके मानदेय में एक नवंबर से 1,000 रुपये प्रतिमाह की बहुत कम बढ़ोतरी की गई है।

केरल आशा स्वास्थ्य कर्मी सघ (केएएचडब्ल्यूए) की राज्य महासचिव एम. ए. बिंदु ने कहा, “लेकिन हम इसे अपने आंदोलन की उपलब्धि और महत्वपूर्ण जीत के रूप में देखते हैं, क्योंकि अब मुख्यमंत्री सहित सभी यह समझ गए हैं कि मानदेय देने की जिम्मेदारी किसकी है।”

केएएचडब्ल्यूए सचिवालय के बाहर प्रदर्शन कर रहीं आशा कार्यकर्ताओं का नेतृत्व कर रहा है। राज्य सरकार से मानदेय 7,000 रुपये से बढ़ाकर 21,000 रुपये करने और सेवानिवृत्ति के बाद 5 लाख रुपये की सहायता राशि देने की मांग को वे प्रदर्शन कर रही हैं।

बिंदु ने कहा कि सरकार, जो पहले यह दावा करती थी कि आशा कार्यकर्ताओं के मानदेय में बढ़ोतरी उसकी जिम्मेदारी नहीं है, “अब उनके सामने झुक गई है।”

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