जानिए आक्जेलिक एसिड के बारे में

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यह वह पदार्थ है जो पौधों में तो होता ही है, इसके अलावा मानव शरीर भी इसका उत्पादन करता रहता है। जो लोग आक्जलेट रिच फूड ज्यादा खाते हैं या जिन व्यक्तियों के शरीर में इसका उत्पादन ज्यादा होने लगता है, उन सभी की किडनी में ‘प्रीशियस स्टोन्स’ बनने लगते हैं।
‘प्रीशियस’ इसलिए कहा गया कि उनको निकालने के लिए डाक्टर खूब पैसे लेते हैं। आक्जलेट की कैल्शियम और आयरन से पक्की दोस्ती है और कैल्शियम के साथ मिलकर यह गट से निकलकर ‘इज्जतघर’ घूमने चला जाता है।
जो लोग कैल्शियम कम खाते हैं, उनके पाचन तंत्र में कैल्शियम की कमी हो जाती है और आक्जलेट को कोई साथी न मिल पाने के कारण यह इंटेस्टाइन से ‘इज्जतघर’ की तरफ न जाकर अब्सार्ब हो जाता है और खून में मिलकर किडनी में पहुंच जाता है और वहीं डेरा जमा लेता है और इसी को ‘किडनी स्टोन’ कहते हैं। ज्यादातर केसों में किडनी स्टोन कैल्शियम आक्जलेट के ही बने होते हैं।
इनके बनने का एक और कारण है भोजन में ‘विटामिन सी’ की अधिकता। जो लोग ज्यादा विटामिन सी खाते हैं, उनमें यह अतिरिक्त विटामिन सी आक्जलेट में कन्वर्ट होता रहता है और जाकर किडनी में जम जाता है।
अब इससे बचें कैसे?
पहला बचाव – भोजन में कैल्शियम की मात्रा ज्यादा कर दो। दूसरा बचाव- आक्जलेट रिच फूड की मात्रा कम कर दो। तीसरा बचाव – विटामिन सी का सेवन बहुत ज्यादा मत करो। एक हजार मिलीग्राम विटामिन सी प्रतिदिन से ज्यादा बिलकुल नहीं।
चौथा बचाव – नमक का प्रयोग कम करो। भोजन में नमक ज्यादा होगा तो खून में नमक बढ़ेगा। खून में नमक बढ़ेगा तो उसे बाहर निकालने के लिए किडनी को ज्यादा काम करना पड़ेगा। बस इसी चक्कर में किडनी में कैल्शियम आक्जलेट डिपाजिट होने लगेगा।
हाई आक्जलेट वाले फूड हैं कौन-कौन से? ये हैं फल जैसे कीवी, अंजीर, बैंगनी अंगूर आदि। सब्जी जैसे भिंडी, पालक, चुकन्दर आदि। नट्स जैसे बादाम, काजू, मूंगफली आदि और कोको, चाकलेट और चाय।
इस से बचने के लिए उन चीजों का त्याग करो जिनमें आक्जलेट ज्यादा है। सब्जियों को उबाल कर खाओ। भोजन में कैल्शियम की मात्रा बढ़ा दो। विटामिन सी का सेवन आवश्यकता से अधिक मत करो। पानी ज्यादा पीओ तो आक्जेलिक एसिड आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा।

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