नयी दिल्ली, सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि देशभर में लगभग 241 प्राथमिक कृषि सहकारी ऋण समितियों (पीएसीएस) ने जन औषधि केंद्र खोले हैं, जिससे गांवों में गरीबों और किसानों को भी सस्ती कीमत पर जेनेरिक दवाओं का लाभ सुनिश्चित हुआ है।
जेनेरिक औषधि से आशय ऐसी दवाओं से हैं, जिनकी पेटेंट अवधि समाप्त हो गयी हो। ये दवाएं ब्रांडेड दवाओं की तरह प्रभावी होती हैं लेकिन साथ ही काफी सस्ती भी होती हैं, क्योंकि इसमें शोध की लागत शामिल नहीं होती।
शाह ने यहां एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अबतक सरकार के जन औषधि केंद्र बड़े पैमाने पर शहरों में खोले जाते थे, जिससे शहरी गरीबों को फायदा होता था। अब यह लाभ ग्रामीण गरीबों तक पहुंचाया जा रहा है।
शाह ने पांच पात्र पैक्स को जन औषधि केंद्र ‘स्टोर कोड’ प्रमाणपत्र भी दिए। उन्होंने कहा कि पैक्स अपने उपनियमों में लाए गए बदलावों के कारण जन औषधि केंद्र खोलने के लिए अपनी व्यावसायिक गतिविधियों का विस्तार कर सकते हैं।
शाह ने कहा, ‘‘पिछले छह माह में पैक्स से 4,470 आवेदन प्राप्त हुए। इनमें से 2,373 पैक्स को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी गई है। उनमें से लगभग 241 ने जन औषधि केंद्रों का संचालन शुरू कर दिया है।’’ उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों में ये केंद्र खुलने से लोग अब किफायती दरों पर जेनेरिक दवाएं खरीद सकते हैं। उदाहरण के लिए, कैंसर की दवा जिसकी कीमत खुले बाजार में लगभग 2,250 रुपये है, यहां 250 रुपये में बेची जाती है। यहां तक कि ग्रामीण लड़कियां भी इन केंद्रों से एक रुपये में सैनिटरी नैपकिन खरीद सकती हैं।
शाह ने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने गरीबों को लागत के 8-30 प्रतिशत पर दवाएं सुनिश्चित करने के लिए जन औषधि केंद्रों को सुव्यवस्थित किया है। इससे गरीबों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिली है। वे पिछले नौ साल में दवाओं पर अनुमानित 26,000 करोड़ रुपये बचा पाए हैं।
इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया, सहकारिता राज्यमंत्री बी एल वर्मा, सहकारिता और औषधि सचिव भी उपस्थित थे।
वर्तमान में, देश में लगभग 63,000 पैक्स चल रहे हैं। सरकार ने पैक्स को मजबूत करने के लिए उनके कंप्यूटरीकरण, उनकी व्यावसायिक गतिविधियों में विविधता लाने और मॉडल उपनियम लागू करने सहित कई कदम उठाए हैं।