बच्चे सही खायेंगे तो स्वस्थ रहेंगे

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वर्तमान समय में स्वादिष्ट स्वास्थ्यवर्धक वस्तुएं खाने की अपेक्षा बच्चों में फास्ट फूड की ओर रूझान तेजी से बढ़ रहा है। इसके चलते छोटे-छोटे बच्चे भी मोटापे एवं मधुमेह जैसी समस्याओं की चपेट में आ रहे हैं।
स्वादिष्ट एवं सेहतमंद भोजन से इन रोगों से बचा जा सकता है। भोजन में स्वास्थ्य एवं स्वाद का मेल होना आवश्यक है। संतुलित भोजन में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन, जल, खनिज, लवण एवं रेशे की उपस्थिति होती है। दिनचर्या में निम्न बातों को सम्मिलित करने से बच्चों को भरपूर लाभ मिलेगा।
. प्रतिदिन बासी मुंह पानी पीने की आदत बनाएं।
. चाय के स्थान पर ताजा दूध उबाल कर ठण्डा कर बच्चों को पीने दें। इससे प्राप्त प्रोटीन, कैल्शियम से शारीरिक विकास में सहायता मिलती है।
. सुबह के नाश्ते में तले हुए पदार्थ के स्थान पर भीगे या अंकुरित एवं उबले चने, चोकर वाले आटे के बिस्किट, अंकुरित मूंग, चने की चाट बनाएं जिसमें हरा धनिया, खोपरा, प्याज, टमाटर, हल्का सा नमक व जीरा डालकर, नींबू निचोड़कर बच्चों को दें। यह सब विटामिन से भरपूर हैं।
. सब्जी का उपयोग करते समय पहले उन्हें दो-तीन बार साफ पानी से धो लें। छीलते समय पतला छिलका उतारें क्योंकि छिलके एवं गूदे के मध्य की पतली परत विटामिन बी से भरी होती है।
. सब्जियों को अधिक देर तक न पकाएं। ऐसा करने से पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं।
. चावल बनाते समय मांड को न निकालें। कभी-कभी सोलर कुकर में खाना बनाएं।
. भोजन के साथ सलाद, प्याज, ककड़ी, टमाटर, गाजर, मूली, पालक, चुकंदर, पत्तागोभी आदि खाने की आदत डालें।
. बच्चों को चाकलेट, बिस्किट की जगह गुड़, शहद के बिस्किट, मेवायुक्त चाकलेट, मूंगफली तथा तिल की चिकी बनाकर दें।
. मिश्रित दालें खिलाएं।
. मिश्रित आटे की रोटी बनाएं। एक किलो गेहूं, एक किलो देशी व छिलके वाला चना, एक किलो जौ इनका छिलका कब्ज होने नहीं देता।

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