शिलांग-पूर्व का स्कॉटलैण्ड

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प्राकृतिक सौंदर्य एवं अद्भुत वैभव से सुसज्जित शिलांग पूर्व का स्कॉटलैंड कहलाता है। यहां के सुंदर झरने, पहाड़ों के बीच से निकलती छोटी-छोटी नदियां, चारों ओर हरे-भरे घास की बिछी मखमली कालीन, सदाबहार वनस्पतियों की हरियाली, आकाश में उमड़ते घुमड़ते बादल, अनन्नास व केले के बागान पर्यटकों का दिल जीत लेते हैं।


लगभग 1500 मीटर की ऊंचाई पर बसा शिलांग एक रमणीक पहाड़ी नगर है। गारो एवं खासी जनजातियां यहां के मूल निवासी हैं। ये लोग काफी मेहनती होते हैं। साथ ही नृत्य व संगीत के प्रेमी होते हैं। यहां की युवतियां सुंदरता की प्रतिमूर्ति होती हैं।


शिलांग की जलवायु काफी नम है। अक्तूबर से फरवरी को छोड़ लगभग सारा साल भर वर्षा होती है। मार्च से मई के बीच सर्वाधिक वर्षा होती है। अतः शिलांग के रमणीक पहाड़ों व घाटियों की सैर के लिए सितंबर से नवंबर के बीच का समय अपेक्षाकृत अधिक अनूकल है।
गुवाहाटी रेलवे का बहुत बड़ा केंद्र है जो देश के सभी भागों से जुड़ा है। शिलांग पहुंचने के लिए सर्वप्रथम गुवाहाटी उतरना पड़ता है। यहां से शिलांग के लिए सड़क यातायात के सभी साधन उपलब्ध हैं। गुवाहाटी शिलांग मार्ग के दोनों ओर ढलानों पर केले और अनन्नास के बागों के बीच गुजरने पर साढ़े तीन घंटे का समय कब बीत जाता है, पता ही नहीं चलता।
शिलांग में खाने-पीने की अच्छी व्यवस्था है। सस्ते से सस्ता और महंगे से महंगा हर प्रकार का भोजन मिलता है यहां। ठहरने के लिए हर प्रकार के होटल, गेस्टहाउस, सर्किट हाउस, लॉज वगैरह हैं। विभिन्न आय वाले पर्यटक अपनी अपनी जेब के अनुरूप होटल व खान पान का चयन कर सकते हैं।


शिलांग प्राकृतिक व जनजीवन की विविधता के बावजूद भी आधुनिक जीवन की संपूर्ण सुविधाएं उपलब्ध करवाता है। शहर के बड़े बाजार में देर रात तक चहल पहल बनी रहती है। यहां के बाजारों में खासकर बेंत और बांस की सुंदर सुंदर कलाकृतियां मिलती हैं जिनकी कलात्मकता देखते ही बनती है।


शिलांग स्थित लेडी हैदरी पार्क भारत के सुंदरतम उद्यानों में एक है। यहां हर कदम हरे हरे घास के मखमली कालीन पर पड़ते हैं। भिन्न-भिन्न प्रकार की सदाबहार वनस्पतियां छोटे बड़े पेड़ पौधे, इठलाती लताएं, खिलखिलाते सुमन बागों की सुंदरता में चार चांद लगाते हैं।
वार्ड झील का स्वच्छ व शीतल तल पर्यटकों को अपनी ओर खींचता दिखाई पड़ता है। इसमें बोट चलाने का अनोखा आनंद है। यहां एक बहुत बड़ा गोल्फ का मैदान है जिसमें प्रत्येक वर्ष अक्टूबर के महीने में खेलों का आयोजन होता रहता है।


तरह तरह के बाग बगीचे, वनस्पतियों से हरा भरा मांफलांग शहर से थोड़ी दूर है। शिलांग से यहां आने पर रास्ते के दोनों और बलूत तथा देवदार के घने जंगल मिलते हैं। सुनहरे बालों वाली बिल्ली यहीं देखी जा सकती है। अत्यधिक वर्षा के कारण यहां के पक्षी काले रंग के होते हैं।


शिलांग से लगभग 55 कि.मी. दूर ऊंची संकरी घाटियों से गुजरते हुए चेरापूंजी जल प्रवाह का अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है। पहाड़ों की काफी ऊंचाई से नीचे घाटी में गिरते झरने की आवाज भयानक लगती हैं पर प्रकृति का यह अदभुत नजारा आंखों को शीतलता प्रदान करता है।


नगर से कुछ दूरी पर गरम पानी का झरना है ‘जकरम’। ऐसा कहा जाता है कि झरने के पानी में रोगों को दूर करने की अपूर्व क्षमता है।


सघन अरण्यों व सदाबहार वनस्पतियों के बीच काफी ऊंचाई से गिरता मार्गरेट तथा हाथी जलप्रवाह नित नूतन संगीत छेड़ता मालूम पड़ता है। यह सुंदर झरना शहर से कुछ ही कि.मी. की दूरी पर शिलांग की रंगीनियों में एक विशेष रंग भरता है।


नगर से 14 किमी. की दूरी पर अवस्थित शिलांग पीक एवं दर्शनीय चोटी है। इस चोटी से नीचे देखने पर घाटी में बसे शिलांग नगर का सौंदर्य देखते ही बनता है। साथ ही दूर दूर तक फैली नीली पर्वत श्रृंखलाओं पर सूरज ढलते ही एक अजीब सा रंग मानव मन के लिए अविस्मरणीय हो जाता है।