बीते सप्ताह सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, पाम-पामोलीन, बिनौला तेल में गिरावट, मूंगफली स्थिर

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नयी दिल्ली, 26 अक्टूबर (भाषा) बीते सप्ताह तेल-तिलहन बाजार में महंगे दाम पर लिवाली प्रभावित होने से सरसों तेल-तिलहन, आयातकों द्वारा लागत से कम दाम पर बिकवाली करने से सोयाबीन तेल, संभावित सट्टेबाजी की हवा निकलने के बीच मलेशिया में एक सप्ताह से जारी गिरावट के कारण पाम-पामोलीन तथा आवक बढ़ने से बिनौला तेल के दाम में गिरावट दर्ज हुई।

वही, इंडोनेशिया में आयात मांग बढ़ने के बीच मूंगफली तेल-तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे। नये न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी कमजोर हाजिर दाम होने की वजह से किसानों की कम बिकवाली से सोयाबीन तिलहन कीमतों में सुधार दर्ज हुआ।

बाजार सूत्रों ने कहा कि बीते सप्ताह भी सरसों के दाम ऊंचे बने रहे जिससे लिवाली प्रभावित रहने के कारण सरसों तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट दर्ज हुई। सरसों का स्टॉकिस्ट, किसानों और सरकार के पास स्टॉक है।

उन्होंने कहा कि सोयाबीन तिलहन का नया न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 5,328 रुपये क्विंटल है जबकि हाजिर बाजार का दाम 4,000-4,200 रुपये क्विंटल के बीच है। ऐसे में केवल कमजोर वित्तीय हालत वाले किसानों को छोड़कर बाकी किसान अपने उपज की बिकवाली कम कर रहे हैं। इस कमजोर बिकवाली की वजह से सोयाबीन तिलहन कीमतों में अपने पूर्व सप्ताहांत के मुकाबले मामूली सुधार कहा जा सकता है। लेकिन इसे शुद्ध रूप से सुधार के रूप में देखना अनुचित है क्योंकि सोयाबीन का दाम पहले से ही एमएसपी से लगभग 20-22 प्रतिशत नीचे चल रहा है। दूसरी ओर, आयातकों द्वारा बैंकों में अपना ऋण साखपत्र (एलसी) चलाते रहने के लिए लागत से कमजोर दाम पर बिकवाली करने से सोयाबीन तेल कीमतों में गिरावट आई।

उन्होंने कहा कि सरकार को इस ओर ध्यान देना होगा क्योंकि इससे किसानों, बैंकों और तेल उद्योग सभी को नुकसान हो सकता है। दूसरी एक और महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दाम पर सोयाबीन की बिक्री करने से बचने को कहा है। उन्होंने आगामी 30 अक्टूबर से सरकारी खरीद में भाग लेने के लिए किसानों को अपना पंजीकरण कराने को भी कहा है। लेकिन सवाल यह है कि सरकार पूरी फसल की खरीद करने में सक्षम है अथवा नहीं?

सूत्रों ने कहा कि महाराष्ट्र के तेल संयंत्रों के सामने यह सवाल भी है कि वह सोयाबीन की पेराई कैसे करें क्योंकि सोयाबीन से निकलने वाले लगभग 82 प्रतिशत डी-आयल्ड केक (डीओसी) की स्थानीय मांग सामान्य है और महंगे दाम पर निर्यात की मांग नहीं है। सोयाबीन की कीमत, इससे निकलने वाले डीओसी की खपत पर निर्भर करती है जिसका बाजार नहीं होगा तो तेल संयंत्र पर्याप्त पेराई नहीं कर पायेंगे और वे किसानों की उपज भी कम दाम पर खरीदना चाहेंगे।

इस स्थिति को भी सरकार को अपने ध्यान में लेना होगा और देशी तेल-तिलहनों का बाजार बनाने की ओर सारी ताकत लगानी होगी।

सूत्रों ने कहा कि इस दौरान इंडोनेशिया की ओर से मूंगफली की आयात मांग के लिए पूछ-परख देखी जा रही है। इसका असली रुख सोमवार को देखा जा सकता है जब सबसे अधिक खपत वाले राज्य गुजरात में लंबी छुट्टियों के बाद सोमवार को बाजार खुलेगा। इन परिस्थितियों के बीच मूंगफली तेल-तिलहन के दाम अपने पूर्व सप्ताहांत के स्तर पर स्थिर बने रहे।

उन्होंने कहा कि मलेशिया में जिन संभावित सट्टेबाजी से पाम-पामोलीन तेल के दाम को चढ़ाये जा रहे थे और उनके खाद्य तेल प्रवक्ताओं की ओर से आगे और तेजी के कयास लगाये जा रहे थे, उस पूरे अभियान की पिछले कई दिनों से हवा निकलने लगी है और मलेशिया एक्सचेंज में निरंतर गिरावट चल रही है। इस वजह से बीते सप्ताह पाम-पामोलीन के दाम में भी गिरावट देखी गई। वैसे पाम-पामोलीन के दाम में और तेजी आने की वकालत करने वाले प्रवक्ताओं ने भी चुप्पी साध ली है।

सूत्रों ने कहा कि बाजार में कपास की आवक बढ़ने के बीच बिनौला तेल के दाम में भी गिरावट दर्ज हुई।

बीते सप्ताह सरसों दाना 50 रुपये की गिरावट के साथ 7,000-7,050 रुपये प्रति क्विंटल, सरसों दादरी तेल 150 रुपये की गिरावट के साथ 14,650 रुपये प्रति क्विंटल, सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 20-20 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 2,460-2,560 रुपये और 2,460-2,595 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।

समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज के थोक भाव क्रमश: 75-75 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 4,425-4,475 रुपये और 4,125-4,225 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।

दूसरी ओर, सोयाबीन दिल्ली तेल का दाम 150 रुपये की गिरावट के साथ 13,400 रुपये प्रति क्विंटल, सोयाबीन इंदौर तेल का दाम 100 रुपये की गिरावट के साथ 13,100 रुपये और सोयाबीन डीगम तेल का दाम 75 रुपये की गिरावट के साथ 10,225 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहन की कीमत अपने पूर्व सप्ताहांत के बंद स्तर पर ही स्थिर रही। मूंगफली तिलहन 5,750-6,125 रुपये क्विंटल, मूंगफली तेल गुजरात का थोक दाम 13,800 रुपये क्विंटल और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल का थोक दाम 2,265-2,565 रुपये प्रति टिन पर स्थिर रुख के साथ बंद हुआ।

समीक्षाधीन सप्ताह में सीपीओ तेल का दाम 175 रुपये की गिरावट के साथ 11,825 रुपये प्रति क्विंटल, पामोलीन दिल्ली का भाव 100 रुपये की गिरावट के साथ 13,550 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 200 रुपये की गिरावट के साथ 12,450 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

गिरावट के आम रुख के अनुरूप, समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल के दाम भी 200 रुपये की गिरावट के साथ 12,300 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

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