जयपुर, 26 अक्टूबर (भाषा) राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य की भाजपा सरकार पर पंचायती राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों के चुनावों में देरी करके संवैधानिक प्रावधानों और उच्चतम न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है।
गहलोत के अनुसार राज्य सरकार इन संस्थाओं में मनमर्जी से प्रशासक लगाकर चुनाव नहीं करवा रही है।
उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा,’राजस्थान की भाजपा सरकार डॉ. भीमराव अंबेडकर के संविधान एवं उच्चतम न्यायालय के आदेशों की अवहेलना कर रही है।’
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 243-ई में पंचायती राज संस्थानों एवं 243-यू में नगरीय निकायों के चुनाव आवश्यक रूप से पांच वर्ष में करवाने का प्रावधान है।
उन्होंने कहा कि इनका कार्यकाल किसी भी परिस्थिति में पांच वर्ष से अधिक का नहीं रखा जा सकता।
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘इसी तरह, गोवा सरकार बनाम फौजिया इम्तियाज शेख तथा अन्य केस व पंजाब राज्य निर्वाचन आयोग बनाम पंजाब सरकार केस के फैसलों में उच्चतम न्यायालय का आदेश है हर पांच साल में पंचायती राज के चुनाव कराए जाएं।’’
गहलोत ने कहा, ‘‘राजस्थान की भाजपा सरकार पंचायती राज संस्थानों एवं नगरीय निकायों का कार्यकाल खत्म होने के बाद भी अपनी मनमर्जी से प्रशासक लगाकर यहां चुनाव नहीं करवा रही है। यह सीधा संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है। ये स्थिति तब है जब मुख्यमंत्री एवं नगरीय विकास मंत्री दोनों ही पंचायती राज की राजनीति से शुरुआत कर यहां तक पहुंचे हैं।’’
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, ‘‘प्रशासक लगाने से पंचायती राज एवं नगरीय निकायों के काम लगभग ठप से हो गए हैं। पंचायत राज एवं नगरीय निकायों को बनाने का उद्देश्य खत्म होता जा रहा है।’’
गहलोत ने कहा, ‘इन चुनावों से जो नई लीडरशिप पैदा होती है जो आगे बढ़ती परन्तु केवल भाजपा की हार के डर से चुनाव नहीं करवाए जा रहे हैं। संविधान की हत्या कर रही भाजपा सरकार के इस लोकतंत्र विरोधी कदम की जितनी निंदा की जाए वो कम है।’