राष्ट्रीय पक्षी दिवस (नेशनल बर्ड डे) बहुत ही उत्साह के साथ देश भर के पर्यावरणविद्, पक्षी प्रेमी व विभिन्न संस्थाओं द्वारा मनाया जाता है। सही मायने में राष्ट्रीय पक्षी दिवस मनाने के पीछे विशिष्ट भावना यह रही है इस दिन हम पक्षियों के संरक्षण एवं सुरक्षा का संकल्प ग्रहण करें। राष्ट्रीय पक्षी दिवस पक्षियों के प्रति प्रेम प्रकट करने के लिए एक विशेष दिन होता है। इस दिन का शुभारम्भ बॉर्न फ्री यूएसए और एवियन वेलफेयर गठबंधन के लोगों ने एवियन अवेयरनेस बढ़ाने के लिए वर्ष 2002 में 05 जनवरी को पहली बार राष्ट्रीय पक्षी दिवस मनाने का संकल्प किया था। इसके बाद से यह दिन सभी देशों में समान रूप से मनाया जाने लगा। हमारे देश में भी यह दिन सम्पूर्ण उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग एक दूसरे को संदेश भेजकर या सोशल मीडिया के माध्यम से जागरूक करते रहते हैं। इस बार यह दिवस पक्षी संरक्षण के संकल्प के साथ मनाये तो इस दिन की सार्थकता अधिक बढ जायेगी। दिन-प्रतिदिन प्रकृति के बिगड़ते संतुलन के कारण विभिन्न प्रजातियां लुप्त होने के कगार पर है।
हमारी संस्कृति में प्राणी मात्र के प्रति प्रेम स्नेह का भाव समाहित किया गया है। घर, परिवार व समाज में यह चहकते पक्षी हमें बहुत संदेश देते है। जिनकों मानव को समझने की आवश्यकता है। संगीत की विभिन्न ध्वनियों के समान चहकते इन पक्षियों का जीवन अब खतरे आ गया है। हमारे घरों में सर्वाधिक गौरियां चिड़िया देखने को मिलती थी, लेकिन आज यह लुप्त होने के कगार पर है। एक समय इंसान के निवास स्थान में यह अपना घोसला बनाकर रहती थी, लेकिन अब बंद होते घरों के कारण इनका आशियना छिन सा गया है, जिस कारण यह प्रजाति धीरे-धीरे कम होती जा रही है। विश्व प्रसिद्ध ताल छापर की संस्था नेचर एनवायरनमेंट एंड वाइल्डलाइफ समिति के तत्वावधान में गौरियां बचाओं अभियान व्यापक स्तर पर संचालित जा रहा है। समिति द्वारा अब तक हजारों मिट्टी के बने घोषले व वर्ड फीडर आम लोगों में वितरित कर इस अभियान को गति दी जा रही है। समिति के अध्यक्ष कन्हैया स्वामी के नेतृत्व में प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से सैकड़ों कार्यकर्ता इस कार्य को गति दे रहे है। आज की जरूरत यह है कि इसी तर्ज पर विभिन्न संस्थाओं द्वारा इस अभियान को व्यापक तौर पर चलाने की आवश्यकता है। जिससे लुप्त होती इस प्रजाति के संरक्षण के समुचित प्रयास किये जा सके। घर में चहकती इस गौरियां को बचाने के लिए जूनून सा दिल में जगाना पडेगा, तभी इस लुप्त होते पक्षी को हम बचा सकते है। आज आधुनिकता के नाम पर जंगल काटे जा रहे है जिससे हमारे पर्यावरण का अति-दोहन होने से प्राणियों पर भी सकंट गहरा गया है। आज हम इस विषय पर चिंतन करे कि मानव अपनी प्रगति के साथ इन मूक पक्षियों को कैसे बचाया जा सकता है।
जहां भी बाग-बगीचे है वहां सार्वजनिक स्थल है उन स्थलों पर अगर हम पक्षियों के लिए नियमित दाने-पानी की समुचित व्यवस्था करते है, तो पक्षी संरक्षण में अपना विशिष्ट योगदान दे सकते है। आज हमारे राष्ट्रीय पक्षी मोर का अस्तित्व भी संकट में पड़ता नजर आ रहा है। बढते शहरीकरण के कारण मोर के बसरे पेड़ों को धडल्ले से काटा जा रहे है, वहीं मोर के दाने पानी की समस्या भी बनी रहती है। ऐसे में लाडनूं की संस्था जैन विश्वभारती राष्ट्रीय पक्षी मोर के संरक्षण के लिए समर्पित है जिसके अन्तर्गत परिसर में अधिक से अधिक पेड़ लगाने के साथ ही मोर के दाने-पानी की उचित व्यवस्था की जा रही है, परिणाम स्वरूप संस्था के परिसर में सैकड़ों मोर निश्चिन्तता से विचरण करते रहते है।
प्रकृति की सुरक्षा एवं संरक्षण में इन पक्षियों का बहुत बड़ा योगदान होता है। लुप्तप्राय पक्षियों को रहने की असुविधा, जलवायु परिवर्तन और शिकार सहित अनेक खतरों का सामना करना पड़ता है। लुप्तप्राय पक्षियों की सहायता के लिए हमे इनकी सुरक्षा व संरक्षण के लिए काम करने वाले संगठनों का समर्थन करना होगा, तभी लुप्तप्राय पक्षियों के सामने आने वाले खतरों के बारे में हम दूसरों को बता पायेगें। इसके अलावा पर्यावरण पर पड़ते मानवीय दुष्प्रभाव कम कर प्रकृति के अनुरूप जीवनशैली जीना होगा। इसके अलावा प्रत्येक व्यक्ति जिम्मेदारी के साथ पक्षियों के सरंक्षण के लिए कार्य कर पक्षियों के आवास व दाने-पानी की व्यवस्था कर सकता है। पक्षियों का संरक्षण वर्तमान दौर में प्रकृति संतुलन के लिए बहुत जरूरी है। हम सबको मिलकर यह प्रयास करना चाहिए।