बीते महीने भारत ने एक बार फिर चांद के लिए अपना मिशन भेजा है. वहीं, क़रीब पांच दशक के लंबे अंतराल के बाद चांद तक पहुंचने की रेस में रूस भी कूद पड़ा है.
यानी एक रूसी और एक भारतीय स्पेसक्राफ्ट चांद पर उतरने के इरादे से आगे बढ़ रहे हैं.
भारत का चंद्रयान-3 और रूस का लूना-25 अपने साथ एक-एक लैंडर लेकर अंतरिक्ष में गए हैं, ताकि चांद के दक्षिणी ध्रुव में यानी अंधेरे वाले हिस्से में उतर कर इतिहास रच सकें.
ये चांद का वो इलाक़ा है जहां अब तक कोई लैंडर सफलतापूर्वक उतर नहीं पाया है.
ये दोनों लैंडर चांद पर जमे पानी और किसी तरह के संभावित खनिज की तलाश करने के लक्ष्य के साथ चांद की तरफ गए हैं.