वास्तव में विजयकांत सभी के ‘कैप्टन’ थे, अपना जीवन दूसरों की बेहतरी के लिए जिया: प्रधानमंत्री मोदी
Focus News 3 January 2024नयी दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को देसिया मुरपोक्कू द्रविड़ कषगम (डीएमडीके) के संस्थापक और लोकप्रिय तमिल अभिनेता विजयकांत की सराहना करते हुए कहा कि वह वास्तव में सभी के लिए ‘कैप्टन’ थे और उन्होंने अपना जीवन दूसरों की बेहतरी के लिए जिया। हाल ही में विजयकांत का निधन हो गया था।
विजयकांत को उनकी वेबसाइट पर श्रद्धांजलि देते हुए मोदी ने कहा कि ‘कैप्टन’ उनके बहुत प्रिय मित्र थे और वह उन लोगों में से थे जिनके साथ उन्होंने कई मौकों पर संवाद किया तथा उनके साथ काम किया।
द्रविड़ पार्टियों द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) और ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) का वास्तविक विकल्प बनने की उम्मीद के बीज बोने वाले विजयकांत का पिछले बृहस्पतिवार, 28 दिसंबर को चेन्नई में बीमारी के बाद निधन हो गया था।
विजयकांत ने 1991 की ब्लॉकबस्टर तमिल फिल्म ‘कैप्टन प्रभाकरण’ में आईएफएस अधिकारी की भूमिका निभाई थी, जिसके बाद वह ‘कैप्टन’ के रूप में लोकप्रिय हो गए थे। उनके परिवार में पत्नी और दो बेटे हैं।
उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘कुछ दिन पहले, हमने एक बहुत ही लोकप्रिय और सम्मानित हस्ती विजयकांत जी को खो दिया। वह वास्तव में सभी के लिए एक कैप्टन थे… एक ऐसे व्यक्ति जिन्होंने अपना जीवन दूसरों की बेहतरी के लिए जिया, जरूरतमंद लोगों को नेतृत्व दिया और उनके सुख-दुख के भागी बनें।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि विजयकांत बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे और भारतीय सिनेमा की दुनिया में कुछ ही सितारों ने उनकी तरह अमिट छाप छोड़ी है।
उन्होंने कहा, ‘‘उनके शुरुआती वर्षों और सिनेमाई काम से प्रेरित होने के लिए बहुत कुछ है। तमिल सिनेमा की शुरुआत से लेकर ऊंचाइयों तक की उनकी यात्रा सिर्फ स्टारडम की कहानी नहीं है, बल्कि अथक प्रयास और अटूट समर्पण का इतिहास है।’’
मोदी ने कहा कि विजयकांत ने प्रसिद्धि के लिए सिनेमा की दुनिया में प्रवेश नहीं किया था बल्कि उनकी यात्रा जुनून और दृढ़ता से प्रेरित थी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी प्रत्येक फिल्म ने न केवल मनोरंजन किया बल्कि अपने समय के सामाजिक लोकाचार को भी प्रतिबिंबित किया।
उन्होंने कहा, ‘‘कैप्टन की भूमिका को उन्होंने कैसे निभाया, यह आम नागरिक के संघर्षों को लेकर उनकी गहरी समझ की परिचायक है। उन्होंने अक्सर ऐसे किरदार निभाए जो अन्याय, भ्रष्टाचार, हिंसा, चरमपंथ, आतंकवाद के खिलाफ लड़े और निचले तबकों के लिए खड़े हुए। उन्होंने वास्तविक जीवन में भी इसे मूर्त रूप दिया।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह कहना उचित होगा कि उनकी फिल्में समाज का आईना हैं, जो उसके गुणों और दोषों को दर्शाती हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं ग्रामीण जीवन और संस्कृति के प्रति उनके प्यार को विशेष रूप से सामने लाना चाहता हूं। जबरदस्त प्रसिद्धि प्राप्त करने और दुनिया भर में यात्रा करने के बाद भी, ग्रामीण जीवन और पारंपरिक लोकाचार के लिए उनका प्यार बना रहा। ऐसा लगता है कि उनकी फिल्मों ने उनके ग्रामीण अनुभव का बारीकी से अनुसरण किया है। उन्होंने ग्रामीण परिवेश के बारे में शहरी लोगों की समझ में सुधार के लिए अक्सर अनुकरणीय प्रयास किए।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि लेकिन ‘कैप्टन’ का प्रभाव रुपहले पर्दे तक ही सीमित नहीं था बल्कि उन्होंने राजनीति की दुनिया में प्रवेश किया और अधिक व्यापक तरीके से समाज की सेवा का बीड़ा उठाया।
मोदी ने कहा कि विजयकांत का राजनीति की दुनिया में प्रवेश उच्च साहस और बलिदान का कार्य है।
उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने राजनीतिक क्षेत्र में तब प्रवेश किया जब तमिलनाडु की राजनीति में दो दिग्गजों- अम्मा जयललिता जी और कलैनार करुणानिधि जी का वर्चस्व था। ऐसे संदर्भ में, एक तीसरा विकल्प पेश करना अद्वितीय था, लेकिन यह कैप्टन ही थे… अपनी शर्तों पर चीजों को करने वाले!’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रवाद और सामाजिक न्याय पर विजयकांत का अपना जोर डीएमडीके की विचारधारा में परिलक्षित होता है, जिसकी स्थापना उन्होंने 2005 में की थी।
उन्होंने कहा, ‘‘जब भी वह बोलते थे, कोई भी उनके ऑन-स्क्रीन व्यक्तित्व के साथ तुलना करने से नहीं चूक सकता था। वह अक्सर दबे-कुचले लोगों के लिए आवाज उठाते थे। तमिलनाडु की बेहद द्विध्रुवीय और प्रतिस्पर्धी राजनीति में वह अपनी पार्टी के गठन के बाद से अपेक्षाकृत कम समय में 2011 में मुख्य विपक्षी नेता बन गए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान कैप्टन के साथ काम किया था, जब हमारी पार्टियों ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था और उन्हें 18.5 फीसदी से अधिक वोट मिले थे। यह 1989 के चुनावों के बाद किसी भी मुख्य क्षेत्रीय पार्टी के बिना किसी भी राष्ट्रीय गठबंधन को मिले सबसे अधिक वोट थे।’’
मोदी ने सालेम में आयोजित एक संयुक्त रैली को भी याद किया, जहां उन्होंने विजयकांत के आक्रामक भाषण का अंदाज और लोगों के साथ उनके जुड़ाव को देखा था।
उन्होंने कहा, ‘‘जब 2014 में राजग ने केंद्र में सरकार बनाई थी तो विजयकांत उन लोगों में से थे जो सबसे अधिक खुश हुए थे। मैं संसद के केंद्रीय कक्ष में उनकी खुशी को कभी नहीं भूल सकता, जब राजग के नेता 2014 के चुनाव में जीत के बाद मिले थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अपनी पेशेवर उपलब्धियों से परे, विजयकांत का जीवन युवाओं को मूल्यवान सबक प्रदान करता है। सबसे खास बात यह है कि लचीलेपन की शक्ति, कभी हार नहीं मानने का रवैया और समर्पण के माध्यम से किसी भी तरह की चुनौतियों से पार पाना… यह उनकी विशेषता थी।’’
मोदी ने कहा कि उनका बड़े दिल वाला स्वभाव भी उतना ही प्रेरणादायक है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विजयकांत परोपकार के लिए जाने जाते थे और उन्होंने अपनी प्रसिद्धि और संसाधनों का इस्तेमाल कई तरीकों से समाज को वापस देने के लिए किया।
मोदी ने कहा, ‘‘वह हमेशा चाहते थे कि तमिलनाडु और पूरा भारत स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी बने।’’
उन्होंने कहा, ‘‘विजयकांत जी के निधन से कई लोगों ने अपना सबसे चहेता सितारा खो दिया और बहुत से लोगों ने अपना प्रिय नेता खो दिया। लेकिन मैंने एक प्रिय मित्र खो दिया है- एक ऐसा मित्र, जिसकी गर्मजोशी और बुद्धिमता उल्लेखनीय थी।’’
मोदी ने कहा कि विजयकांत अपने पीछे एक शून्य छोड़ गए हैं जिसे भरा नहीं जा सकता।
उन्होंने कहा, ‘‘कुरल (तमिल भाषा का महान ग्रंथ) इस बारे में बात करता है कि कैसे साहस, उदारता, ज्ञान और उत्साह एक सफल नेता के चार आवश्यक तत्व होते हैं। कैप्टन ने वास्तव में इन गुणों को मूर्त रूप दिया और यही कारण है कि उनका इतना व्यापक सम्मान किया गया।’’
मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर अपनी श्रद्धांजलि का लिंक भी साझा किया।