सतर्क सचेत होकर मनाएं जश्न

जैसे जैसे अंग्रेजी पर्व त्यौहारों को मनाने का चलन भारतीय समाज और परिवेश में बढ़ा है वैसे ही इन सभी मौकों को देर शाम शुरू करके पूरी रात और सुबह होने तक मनाए जाने का  प्रचलन भी बढ़ा है विशेषकर शहरी और महानगरीय समाज में।  अंग्रेजी और पाश्चात्य परम्पराओं में अंग्रेजी कैलेंडर के वर्षांत से लेकर नए वर्ष  तक का समय उत्सव और उमंग का होता है।  ईसाईयों के बड़े पर्व क्रिसमस से शुरू होकर यह अगले कैलेंडर वर्ष के शुरूआती सप्ताह तक पूरी दुनिया में मनाया जाता है।  
 
भारत में भी पिछले कई दशकों से इन्हें धूमधाम से आयोजित किए जाने व मनाए जाने का चलन बढ़ा है।  किन्तु पिछले कुछ वर्षों में शहरी आबादी , विशेषकर महानगरों में इन वर्षांत और नव वर्ष की पार्टियों , दावतों जलसों में और उसके बाद अपराध हादसों की बढ़ती घटनाएं चिंता का सबब हैं।  वर्षांत पर देर रात तक पबों , रेस्त्रां , क्लबों और बार में आदि में आयोजित इन जलसों जश्नों में अक्सर कई तरह के मद्य पेयों का सेवन देर सवेर उनके आपसी झगडे का कारण बनता है।  
 
इन जलसों , पार्टियों में अधिकाँश तरुण और युवाओं के शामिल होने के कारण स्वाभाविक रूप से वे ज्यादा स्वछंद और उदण्ड व्यवहार का प्रदर्शन करते हैं , खानपान में नशे शराब का प्रयोग , तेज़ धवनि में बजा संगीत और नृत्य , भड़कीले पोशाक आदि कुल मिलाकर सारा माहौल ऐसा रहता है जिसका अनुचित लाभ दुर्भावना से ग्रस्त मानसिकता वाले उठाने का प्रयास करते हैं।  
 
वर्षांत और नव वर्ष के जलसों , दावतों के साथ एक और त्रासदी जुड़ती है अक्सर और वो है इन रातों में होने वाली वाहन दुर्घटनांए और उनमें गई जानें।  आँकड़ों को देखकर भी यही लगता है और इसका बड़ा कारण वाहन चलाने वालों का नशे में होना ही पाया गया है।  इतना ही नहीं इन पार्टियों में शामिल युवतियों महिलाओं से दुर्व्यवहार तथा शोषण तक की घटनाओं के जिम्मेदार आरोपी भी अधिकाँश नशे के ही प्रभाव में पाए गए।  
 
क्रिसमस  , वर्षांत और नववर्ष पर आयोजित इन दावतों ,जलसों के आयोजन स्थलों , तमाम मॉल ,क्लबों।  पब रेस्त्रां बार आदि में और इनके आसपास सुरक्षा की व्यवस्था को सचेत और दुरुस्त रखना बहुत जरूरी है।  इसके साथ ही इन दिनों में पुलिस और ट्रैफिक कर्मियों को सड़कों पुलिस नाकों तथा संवेदनशील स्थलों पर अपनी व्यवस्था अधिक चाक चौबंद रखनी चाहिए।  
 
 साथ ही  बड़ा दायित्व अभिभावकों का भी है जिनके तरुण और युवा बच्चे आधुनिक जलसों दावतों में शामिल होकर अपना त्यौहार मनाने जा रहे हैं कि वे उन्हें समझा कर भेजें कि ऐसा कोई भी अवसर आनंद और  उत्सव के लिए  होता है , रोमांच  और आवेश में अपने या दूसरों के जीवन से खिलवाड़ करने का नहीं।