सिंगापुर में दीपावली की रंगारंग तैयारियां शुरू, सांस्कृतिक एकता का दिखा अद्भुत नज़ारा

0
Untitled-3

सिंगापुर, सिंगापुर में दीपावली का उत्सव रंग-बिरंगी सजावट, सामुदायिक सहयोग और सांस्कृतिक माहौल के साथ शुरू हो गया है। भारतीय मूल के नागरिकों के साथ-साथ सरकारी अधिकारियों और बहु-सांस्कृतिक समूहों ने मिलकर पूरे देश में ‘प्रकाश के पर्व’ की शुरुआत की।

पारंपरिक भारतीय दुकानों और भोजनालयों का केंद्र ‘लिटिल इंडिया’ इलाका, अब एक उत्सव क्षेत्र में तब्दील हो चुका है। यहां जगमगाती रोशनी, सजीव सांस्कृतिक कार्यक्रम और भव्य सजावट देखने को मिल रही है, जो सिंगापुर की बहु-जातीय संस्कृति को दर्शाते हैं। ऐसा क्रिसमस, चीनी नववर्ष और ईद के दौरान होता है।

इस वर्ष दीपावली 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी, और यह सिंगापुर में एक सार्वजनिक अवकाश है। इस अवसर पर देशभर के हिंदू और सिख मंदिरों में विशेष प्रार्थनाएं, सामुदायिक भोज और सांस्कृतिक आयोजन किए जाएंगे।

इस उत्सव की अगुवाई करते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय में मंत्री इंद्राणी राजा ने एक विशेष पहल की शुरुआत की, जिसके तहत पूरे द्वीप से 300 से अधिक साड़ियों को एकत्र किया गया। इन साड़ियों से एक सामुदायिक केंद्र को खूबसूरत तरीके से सजाया गया है।

इस पहल में ‘इंडियन वूमन्स एसोसिएशन सिंगापुर’ और ‘बंगाली एसोसिएशन सिंगापुर’ सहित अनेक नागरिक और संगठन शामिल हुए।

इंद्राणी राजा को स्थानीय साप्ताहिक ‘तबला’ ने यह कहते हुए उद्धृत किया है, “मैंने बस साड़ियों से सामुदायिक केंद्र को सजाने का सुझाव दिया था, और ‘इंडियन एक्टिविटीज एग्जीक्यूटिव कमेटी’ (आईएईसी) ने यह कर दिखाया। उन्होंने डिजाइन तैयार किया और अलग-अलग तरीकों से साड़ियों को सजाया। इसका परिणाम अद्भुत रहा।”

उन्होंने कहा, “ये साड़ियां केवल कपड़े या परिधान नहीं हैं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत की बुनावट हैं, जो पूरे समुदाय को एक साथ लाती हैं।”

उन्होंने त्योहारों को सौहार्दपूर्ण तरीके से मनाने की भी अपील की और सामानों को दोबारा उपयोग में लाने पर ज़ोर दिया।

‘पासिर रिस एलियास सामुदायिक केंद्र’ की आईएईसी के अध्यक्ष सरवनन गोविंदासामी ने बताया कि इस पहल में चीनी और मलय समुदायों के लोगों ने भी उत्साहपूर्वक भाग लिया। उन्होंने कहा, “जब हमने साड़ियों के लिए अपील की, तो अल्पसंख्यक समुदायों से जबरदस्त समर्थन मिला। यह वास्तव में एकता की बुनावट थी।”

स्थानीय निवासी रंगास्वामी सजिता ने बताया कि सजावट के लिए साड़ियों का उपयोग कैसे किया जाए, इसे लेकर कई प्रयोग किए गए। उन्होंने कहा,“काफी कोशिशों के बाद हम इस नतीजे पर पहुंचे कि इन्हें वैसे ही सजाएं जैसे हम खुद पहनते हैं।”

यह साड़ी सजावट 16 नवम्बर तक प्रदर्शित की जाएगी। इसके बाद इन साड़ियों को वृद्धाश्रमों, घरेलू कामगार संगठनों और भारत व मलेशिया भेजे जाने की योजना है।

राजा ने कहा, “हम चाहते हैं कि हर कोई इस उत्सव का हिस्सा बने — हर किसी को दिवाली मनाने का अवसर मिले।”

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *