फ्री रेडिकल्स का अर्थ हमारे आस-पास मौजूद विषैले तत्व हैं जिनके कारण आज तरह-तरह की असाध्य बीमारियां फैल रही हैं। क्या आपने कभी गौर किया है कि ताजी कटी हुई सब्जियां व फल कुछ ही समय में भूरे, मटमैले या काले पड़ने लगते हैं। एक प्रयोग के तौर पर सेब या आलू को बीच से काटकर दो भाग कर लें। अब एक टुकड़े पर नींबू रस लगा दें और दूसरे टुकड़े को यूं ही छोड़ दें। कुछ समय बाद आप देख सकते हैं कि सेब या आलू के जिस टुकड़े पर नींबू रस लगा था, उसके रंग में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है जबकि दूसरे टुकड़े का रंग हल्का भूरा या काला हो गया है। यहां गौर करने की बात यह है कि ऐसा क्यों होता है? यह प्रयोग दर्शाता है कि हमारे आस-पास वातावरण में कितने विषैले तत्व भरे पड़े हैं और दुर्भाग्यवश हम इसी वातावरण में जी रहे हैं, सांस ले रहे हैं। हजारों की तादाद में ये फ्री रेडिकल्स हमारे शरीर के अंदर हर रोज दाखिल हो रहे हैं। हम इस वातावरण से अपने आप को अलग नहीं रख सकते। कुछ ही घंटों में ये विषैले तत्व सेब के दूधिया रंग को काला कर देते हैं तो क्या ये हमारे फेफड़े, त्वचा आदि जैसे अत्यंत नाजुक अंगों पर कोई प्रभाव नहीं डालते? रिसर्च यह सिद्ध करती है कि हर रोज ये फ्री रेडिकल्स हमारे शरीर की हजारों कोशिकाओं को क्षति पहुंचाते हैं। यही कारण है कि हमारे शरीर की प्रतिरोधी क्षमता दिनों-दिन घटती जा रही है। अगर समय रहते इसके बचाव के उपाय नहीं कर लिए जाते हैं तो इसे कैंसर, हाइपरटेंशन, केटरेक्ट, पार्किन्सन रोग आदि के प्रभाव से कोई नहीं बचा सकता है। नींबू के रस को लगाने से आलू या सेब का टुकड़ा काला होने से इसलिए बचा रह गया क्योंकि इसमें विटामिन ’सी‘ और विटामिन ’ई‘ फ्री रेडिकल्स को निष्क्रिय करने की क्षमता रखते हैं इसलिए हमें अपने भोजन में उन पदार्थों को ज्यादा से ज्यादा शामिल करना चाहिए जिनमें ये विटामिन बहुतायत में मौजूद हों। काम करने की पद्धति बदली है। हमारा रहन-सहन, खान-पान, यहां तक की सोचने की शैली भी बदल गयी है। जिंदगी इतनी व्यस्त और तेज हो गयी है कि केवल काम ही काम नजर आता है। हमें अपने स्वास्थ्य और शरीर की देखभाल के लिए वक्त ही नहीं मिलता। भाग-दौड़ की इस जिंदगी में नियमित व्यायाम और संतुलित आहार के बारे में सोचना भी नामुमकिन हो गया है। ऐसे में या तो रोगी होकर दवाओं के सहारे जियें या उपरोक्त खाद्य पूरकों का उपयोग करें और स्वस्थ रहें।