लखनऊ, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हालिया वाराणसी दौरे में उनसे संवाद कर सुर्खियों में आयीं ‘‘लखपति दीदी’’ के नाम से मशहूर चंदा देवी का कहना है कि प्रधानमंत्री की प्रशंसा ने सरकारी योजनाओं का उपयोग करने वाली साथी बहनों के उत्थान के लिए काम करने के उनके संकल्प को और मजबूत किया है।
सरकारी योजनाओं से परिवार की जीवन शैली और किस्मत बदलने वाली मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के सेवापुरी विकास खंड के रामपुर गांव की निवासी 35 वर्षीय चंदा देवी के आत्मविश्वास और उनके धारा प्रवाह भाषण की शैली की प्रधानमंत्री ने सराहना की थी। चंदा देवी ने तब लोगों का और ज्यादा ध्यान आकर्षित किया जब मोदी ने उनसे पूछा कि ‘आप इतना बढ़िया भाषण दे रही हो, क्या चुनाव लड़ोगी?’।
चंदा देवी ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह प्रधानमंत्री से आमने-सामने बातचीत करेंगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 18 दिसंबर को ‘विकसित भारत संकल्प यात्रा’ के तहत बरकी ग्राम सभा में विभिन्न सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों से संवाद करते हुए चंदा देवी से सबसे ज्यादा देर तक बात की और बाद में रैली को संबोधित करते हुए भी उनकी सराहना की।
रैली में मोदी ने कहा, ‘‘आज अभी यहीं हमारी एक बहन चंदा देवी का मैंने भाषण सुना, इतना बढ़िया भाषण था, यानी मैं कहता हूं बड़े-बड़े लोग भी ऐसा भाषण नहीं कर सकते।’’
चंदा देवी ने पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा, ‘‘चुनाव लड़ने के लिए कहे जाने की बात तो दूर मैंने तो प्रधानमंत्री से मिलने के बारे में भी सपने में नहीं सोचा था। यह मेरे लिए बहुत गर्व की बात है कि मैं उनसे मिली और आठ से नौ मिनट तक बातचीत करने का मौका भी मिला।’’
चंदा देवी के आत्मविश्वास और वाक्पटुता से प्रभावित होकर प्रधानमंत्री ने उनसे उनकी शैक्षिक पृष्ठभूमि के बारे में पूछा और यह भी पूछा कि ‘क्या इतना बढ़िया भाषण दे रही हो, क्या कभी चुनाव लड़ी हो?’ उनके नहीं कहने पर मोदी ने पूछा कि ‘क्या भविष्य में चुनाव लड़ोगी’?, इस पर चंदा देवी ने इनकार किया।
चंदा देवी पिछले एक दशक से ‘राधा महिला सहायता समूह’ से जुड़ी हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं ‘राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन’ से जुड़ने के बाद आत्मनिर्भर बन गई हूं और अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही हूं। ‘बैंक सखी’ के रूप में काम करके मैंने अपनी एक अलग पहचान बनाई है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री द्वारा मेरी प्रशंसा करना और चुनाव लड़ने के लिए कहना उनकी महानता को दर्शाता है। उनके इस कदम से मुझे बहुत खुशी और संतुष्टि हुई है। इससे मेरी साथी बहनों और मेरे परिवार की जीवनशैली को और बेहतर बनाने के लिए कड़ी मेहनत करने का मेरा संकल्प और मजबूत हुआ है।’’
चंदा ने बताया कि उनके परिवार में कुल पांच सदस्य हैं और समूह से जुड़ने से पहले उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, इसलिए उनका रहन-सहन, खान-पान, शिक्षा व्यवस्था ठीक नहीं थी।
चंदा देवी ने कहा कि एक दीदी ने उन्हें समूह के बारे में जानकारी दी और इस समूह से जुड़कर 15 हजार रुपये कर्ज लेकर सब्जी की खेती शुरू की और उन्हें 30 हजार रुपये मुनाफा हुआ। जैसे-जैसे उनकी खेती ने लाभ देना शुरू किया, उनकी आर्थिक और रहने की स्थिति में सुधार हुआ। उन्होंने एक ‘बैंक सखी’ के रूप में भी काम करना शुरू किया, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में और सुधार हुआ और वह आत्मनिर्भर बनीं।
उन्होंने कहा कि अब वह सालाना 1.30 लाख रुपये बचाती हैं और ‘लखपति दीदी’ बन गई हैं और चाहती हैं कि सरकार महिला सशक्तिकरण को और बढ़ावा दे। बेहतर वित्तीय स्थिति के कारण अपने जीवन में आए बदलाव के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, ‘‘पहले हमारे पास जो होता था वही खाते और पहनते थे, लेकिन अब हमें क्या खाना है और क्या पहनना है इसका विकल्प मौजूद है। आज मैं अपने बच्चों से पूछती हूं कि वे क्या खाना चाहते हैं और इसमें सुधार कर सकते हैं।’’
चंदा ने जोर देकर कहा, ‘‘पहले हमें केवल वही खाने को मिलता था जो हमारे पास होता था और चुनने का कोई विकल्प नहीं होता था।’’
प्रधानमंत्री से मुलाकात पर उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा लग रहा था जैसे मैं स्क्रीन पर कोई फिल्म देख रही हूं। मैं सिर्फ इस बात से खुश हूं कि मैं उनसे मिल पाई। जब वह हमारे बीच आए तो हम आशंकित थे लेकिन उन्होंने बहुत सहज व्यवहार किया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमें तो उनसे बातचीत करके बहुत अच्छा लगा और यह लगा कि हम उनके साथ ऐसे जुड़े हैं, जैसे वह हम में से ही एक हों।’’
अब जब चंदा देवी की उपलब्धि लोगों के सामने आई है तो उनका संकल्प और मजबूत हुआ है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को अपने जीवन स्तर को और बेहतर बनाने के लिए ‘लखपति दीदी’ बनने की प्रेरणा दी जाए। चंदा ने कहा, ‘‘सरकार ऐसी योजनाएं शुरू करके एक कदम उठा रही है और हमें इसे फलीभूत करने के लिए दो कदम आगे बढ़ना होगा और एक बड़ा बदलाव लाने के लिए इसका लाभ प्राप्त करना होगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मेरा गांव कृषि आधारित है। यहां अधिकांश महिलाएं इस तथ्य से अवगत हैं कि केवल कड़ी मेहनत के माध्यम से ही वे अपने जीवन की स्थितियों में सुधार कर सकती हैं।’’
दो बच्चों की मां चंदा देवी ने कहा कि वह इसके लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) की मदद ले रही हैं और बदलाव लाने के लिए सभी मिलकर कड़ी मेहनत कर रहे हैं। एनआरएलएम को ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा गरीब ग्रामीणों को स्थायी आजीविका के माध्यम से अपनी घरेलू आय बढ़ाने में सक्षम बनाने के मकसद से स्थापित किया गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि मैं अपनी बेटी और बेटे को अच्छा भविष्य दे पाऊंगी और उन्हें उच्च शिक्षा दिलवा पाऊंगी।’’
सेवापुरी ब्लॉक की कुमारी देवी को घर से बाहर निकलने की इजाजत नहीं थी, लेकिन तीन साल पहले स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के बाद उनके परिवार की तस्वीर बदल गई। कुमारी ने बताया कि समूह से मिले पैसे से उन्होंने 30 हजार रुपये में भैंस खरीदी। इसके अलावा, 50 हजार रुपये की सहायता से एक बोलेरो जीप खरीदी जिसका व्यावसायिक उपयोग उनके पति कर रहे हैं। परिवार में जुड़ी आय से उनकी स्थिति में सुधार हुआ है।
रामपुर की उर्मिला देवी एक अन्य लाभार्थी हैं। उन्होंने फर्श की टाइल्स काटने की एक मशीन खरीदी जिससे उनके पति व्यावसाय चलाते हैं और इसकी मदद से परिवार की आय होती है। उन्होंने कहा समूह से खेती के लिए बीज और उर्वरक की खरीद के लिए वित्तीय सहायता मिलती है। समूह ने रामपुर प्रखंड की मनोरमा देवी और सुमन देवी की आर्थिक स्थिति को भी मजबूत किया है।